भारत की आजादी के पश्चात 26 नवंबर 1949 को संविधान बनकर तैयार हुआ और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ(गणतंत्र दिवस) था ..लेकिन आजादी मिलने और संविधान लागू होने के बीच का जो अंतराल है उसमें शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालन करने के लिए / अस्थाई/अंतरकालीन व्यवस्थापिका की आवश्यकता थी।

इसी आवश्यकता को पूरा करने के लिए माउंटबेटन योजना के द्वारा एक प्रावधान किया गया था जिसके तहत संविधान लागू होने तक संविधान सभा ही देश के विधानमंडल/ व्यवस्थापिका के रूप में व्यवस्थार्थ कार्य करेगी।

ध्यातव्य: 15 अगस्त 1947 को आजादी प्राप्त होने और संविधान लागू होने तक भारतीय शासन का संचालन 1935 के अधिनियम के अंतर्गत हुआ था।

  • माउंटबेटन योजना के तहत अंतरकालीन संसद:

ज्ञात हो कि भारतीय संविधान के कुल 395 अनुच्छेदों में से 15 अनुच्छेद 26 जनवरी 1950 से पहले ही यानी 26 नवंबर 1949 को ही लागू कर दिए गए थे। इस संविधान के अनुसार सन 1952 में देश की पहली संसद चुनाव/गठित हुई थी। स्वतंत्र भारत के संविधान लागू होने से पहले ही माउंटबेटन योजना के तहत संविधान सभा ने देश की पहली व्यवस्थापिका/ विधानमण्डल/ संसद के रूप में कार्यक्रम करना शुरू कर दिया था और 17 नवंबर 1947 को डॉ राजेंद्र प्रसाद ने विधिवत रूप से जी.वी .मावलंकर को स्पीकर निर्वाचित घोषित किया था। हालांकि भारतीय संविधान के अनुसार विधिवत रूप से अंतरिम सरकार ने कार्य संविधान निर्माण होने (26 नवंबर 1949) से करना शुरू किया।

ध्यातव्य: संविधान सभा जिस समय संविधान निर्माण कार्य करती थी तब इसकी अध्यक्षता डॉ राजेंद्र प्रसाद किया करते थे तथा जब संविधान सभा ने अंतरकालीन संसद के रूप में कार्य किया तब इसकी अध्यक्षता जी.वी मावलंकर किया करते थे।

  • संविधान में अंतरकालीन संसद का उल्लेख

जिस दिन (26 नवंबर 1949) संविधान बनकर तैयार हुआ था उसी दिन देश की अंतरिम संसद के रूप में कार्य करना शुरू कर दिया था ज्ञात हो कि संविधान लागू होने से पहले ही 15 अनुच्छेद 26 नवंबर को ही लागू हो गए थे जिसे हम सामान्यतः संविधान का आंशिक रूप से लागू होना कह सकते हैं।

  • अनुच्छेद 379 और अंतरकालीन सरकार:

26 नवंबर 1949 को जिन 15 अनुच्छेदों को तत्काल प्रभाव से लागू किया गया था उन 15 अनुच्छेदों में एक अनुच्छेद 379 भी शामिल था जिसके अनुसार भी संविधान निर्मात्री संविधान सभा, संविधान लागू होने से पहले ही भारत की अंतरकालीन संसद बन गई थी जिसने लोकसभा के पहले चुनाव होने तक विधानमंडल के रूप में विधिवत रूप से कार्य किया था।

ध्यातव्य: संविधान सभा जिस समय संविधान निर्माण कार्य करती थी तब इसकी अध्यक्षता डॉ राजेंद्र प्रसाद किया करते थे तथा जब संविधान सभा ने अंतरकालीन संसद के रूप में कार्य किया तब इसकी अध्यक्षता जी.वी मावलंकर किया करते थे।

ध्यातव्य : जी. वी.मावलंकर का पूरा नाम गणेश वासुदेव मावलंकर था।

  • अंतरिम संसद का गठन :

देश की अंतरकालीन संसद एक सदनात्मक विधानमंडल के रूप में कार्य करती थी जिसका चुनाव प्रत्यक्ष न होकर अप्रत्यक्ष चुनाव हुआ था ।ज्ञात हो कि यही अंतरिम संसद संविधान सभा थी जिसका निर्वाचन और मनोनयन ब्रिटिश प्रांतों ,देशी रियासतों तथा चीफ कमिश्नर प्रांतों से हुआ था।

ध्यातव्य अंतरिम /अंतरकालीन सरकार/ यहां हम अंतरिम संसद पर बात कर रहे हैं लेकिन हमें इसके साथ-साथ अंतरिम सरकार के बारे में भी जान लेना आवश्यक है । भारत की अंतरिम सरकार , जिसे भारत की अंतरकालीन /अंतरिम सरकार के रूप में भी जाना जाता है इसका गठन 2 सितंबर 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में हुआ था जिसमे 15 सदस्य थे।

  • अंतरकालीन संसद के सदस्य की संख्या:

अंतरकालीन संसद के कुल सदस्यों की संख्या 296 थी ..तत्पश्चात 1951 देशी राज्यों के प्रतिनिधियों के इसमें शामिल हो जाने से यह संख्या बढ़कर 313 हो गई थी।

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