आजादी के पश्चात देश के लोकतांत्रिक संविधान के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद बने ।आज हम इस आलेख के माध्यम से डॉ राजेंद्र प्रसाद के देश के पहले और दूसरे राष्ट्रपति के रूप में सभी प्रकार की जानकारी से परिचित होंगे। निश्चित रूप से यह आलेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा।

  • डॉ राजेंद्र प्रसाद एक राष्ट्रपति के रूप में

डॉ राजेंद्र प्रसाद जिन्हें हम बिहारी बाबू और राजेंद्र बाबू के नाम से भी जानते हैं क्योंकि इनका संबंध बिहार राज्य से है। इनका जन्म जन्म 3 दिसम्बर 1884 को बिहार के तत्कालीन सारण जिले (अब सीवान) के जीरादेई नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम महादेव और माता का नाम माता कमलेश्वरी देवी था।

डॉक्टर की मिली उपाधि: एल एल बी के बाद इन्होंने एलएलएम की परीक्षा पास की और बाद में लॉ के क्षेत्र में ही उन्होंने डॉक्ट्रेट की उपाधि भी हासिल की। इस कारण इनके नाम के साथ डॉक्टर लगा है।

संविधान सभा के अध्यक्ष: जुलाई- अगस्त 1946 में संविधान सभा के निर्वाचन और पहली बैठक के बाद डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई अध्यक्ष बनाया गया। इनसे पहले संविधान सभा के अस्थाई अध्यक्ष डॉ सचिदानन्द सिन्हा का बनाया गया था।

ध्यान देने योग्य बात है कि संविधान सभा की पहली बैठक की अध्यक्षता डॉ राजेंद्र प्रसाद ने नहीं बल्कि डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा ने की थी। डॉ राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष 11 दिसंबर 1946 को निर्विरोध निर्वाचित हुए थे।

मनोनीत और निर्वाचित राष्ट्रपति: डॉ राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष के साथ-साथ स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति भी है। सन 1952 में इनका निर्वाचन पहली बार राष्ट्रपति के रूप में हुआ लेकिन अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में इन्होंने 26 जनवरी 1950 से ही कार्य करना शुरू कर दिया था और 12 मई 1962 तक राष्ट्रपति रहे। मनोनीत राष्ट्रपति के रूप में इन्हें शपथ संघीय न्यायालय के अंतिम मुख्य न्यायाधीश हीरालाल जे कानिया द्वारा दिलवाई गई।

  • देश के पहले राष्ट्रपति का चुनाव :

भारतीय चुनाव आयोग द्वारा 12 अप्रैल को पहले राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा की गई और 02 मई को वोटिंग हुई तथा 06 मई 1952 को नतीजे आ गए और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद देश के पहले निर्वाचित राष्ट्रपति बने।

ध्यातव्य: इस चुनाव में डॉ राजेंद्र प्रसाद को कुल मिलाकर 507,400 वोट(मत मूल्य,) मिले तो केटी शाह को 92,827 वोट मिले।

पहली बार इन्होंने दिलाई शपथ: पहले राष्ट्रपति के रूप में इनको शपथ सर्वोच्च न्यायालय के दूसरे मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मादाकोलाथूर पतंजलि शास्त्री द्वारा दिलाई गई थी।

  • राष्ट्रपति के दूसरे चुनाव :

दूसरी बार सन 1957 में राष्ट्रपति निर्वाचित हुए 06 मई 1957 को राष्ट्रपति पद के लिए वोटिंंग हुई और 10 को काउंटिंग के बाद परिणाम जारी हुए जिसमे डॉ राजेंद्र प्रसाद को विजय घोषित किया गया और 12 मई 1962 तक इस पद पर रहे । डॉ राजेंद्र प्रसाद को इस चुनाव में 4,59,698 वोट (मत मूल्य)मिले और उनके निकटतम प्रतिद्वंदी चौधरी हरिराम को 2672 वोट (मत मूल्य) मिले।

दूसरी बार शपथ इन्होंने दिलाए: डॉ राजेंद्र प्रसाद को राष्ट्रपति पद की दूसरी बार शपथ सर्वोच्च न्यायालय के पास में मुख्य न्यायाधीश श्री सुधि रंजन दास के द्वारा दिलाई गई थी।

ध्यातव्य: इस प्रकार कहा जा सकता है कि यह लगातार दो बार निर्वाचित और एक बार मनोनीत राष्ट्रपति के रूप में रहे (1950 से 1962) जिनका कार्यकाल लगभग 123 महीने था।

ध्यातव्य: इनके निर्वाचन के दौरान ही देश की पहली महिला उम्मीदवार श्रीमती कृष्णा कुमार चटर्जी बनी थी।

ध्यातव्य: दो बार राष्ट्रपति पद पर रहने वाले पहले और एकमात्र व्यक्ति जो अब तक के राष्ट्रपतियों में सर्वाधिक समय तक राष्ट्रपति पद पर बने रहे।

• संविधान के अनुच्छेद 87 के तहत सबसे ज्यादा अभिभाषण देने वाले राष्ट्रपति भी डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ही है।

  • किसने दिलाई इनको पद की शपथ:

डॉ राजेंद्र प्रसाद जब देश के पहले मनोनीत राष्ट्रपति बने तब उनको शपथ  संघीय न्यायालय के अंतिम मुख्य न्यायाधीश हीरालाल जे कानियां के द्वारा दिलाई गई थी….तत्पश्चात जब 1952 में पहली बार राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए तब इनको सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जो कि सर्वोच्च न्यायालय के पहले न्यायाधीश भी थे हीरालाल जे कानियां के द्वारा दिलाई गई थी।

  • चुनाव में प्रतिद्वंदी कौन थे ?

पहले राष्ट्रपति के निर्वाचन(1952) में इनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी के टी शाह और दूसरे राष्ट्रपति निर्वाचन के समय इनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी चौधरी हरिराम थे।

• एक ही प्रधानमंत्री पंडित नेहरू को सबसे ज्यादा (तीन बार) शपथ दिलाने वाले एकमात्र राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद है।

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