डॉ राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति जो संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य कर चुके थे। क्या ? आप जानते हैं कि आखिर डॉ राजेंद्र प्रसाद ही देश के पहले राष्ट्रपति क्यों बने और राष्ट्रपति बनने की प्रतिस्पर्धा में चुनाव से पूर्व ही उम्मीदवार के रूप में ही उनके प्रतिद्वंदी कौन थे? इस बारे में जानते हैं डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के ही राष्ट्रपति बनने की पूरी कहानी जो निश्चित रूप से आपके लिए उपयोगी साबित होगी।

  • आजाद भारत के पहले राष्ट्रपति

आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री कौन होंगे यह तो जग जाहिर था लेकिन देश का पहला राष्ट्रपति कौन होगा ? इसे लेकर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। आखिरकार इस स्पर्धा में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ही राष्ट्रपति क्यों बने और उनकी प्रतिस्पर्धा में कौन थे।

  • नेहरू नहीं चाहते थे कि बने पहले राष्ट्रपति

राष्ट्रपति बनाए जाने के विषय पर सर्वप्रथम पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सी राजगोपालाचारी का ही समर्थन किया। उन्होंने संविधान सभा में कांग्रेस दल के सामने ऐसा प्रस्ताव भी रखा और सरदार पटेल के नाम का भी उन्होंने सहारा लिया।इनके प्रस्ताव का विरोध करने और इनकी बात नहीं मानने पर उन्होंने त्यागपत्र देने की बात भी कहीं।

  • पटेल सी राजगोपालाचारी के थे समर्थक

दूसरी तरफ सरदार वल्लभ भाई पटेल शुरुआत में निष्पक्ष बने रहे वे इस विवाद में नहीं थे लेकिन विवाद बढ़ जाने पर उन्होंने डॉ राजेंद्र प्रसाद का साथ दिया । देश के पहले राष्ट्रपति कौन होंगे इस विषय पर जिस प्रकार से विवाद हुआ उसे यह महसूस होता था कि शायद पंडित जवाहरलाल नेहरू नहीं चाहते थे कि डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति बने… हालांकि जीत सरदार वल्लभभाई पटेल की हुई और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ही देश के पहले राष्ट्रपति बने।

  • राजगोपालाचारी थे पार्टी के प्रबल दावेदार

देश के पहले राष्ट्रपति भले ही डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद हो लेकिन स्वतंत्रता के समय से ही सी .राजगोपालाचारी देश के पहले राष्ट्रपति के रूप में प्रबल दावेदार के रूप में माने जाते थे,और पंडित नेहरू और कई बड़े कांग्रेसी नेता भी उनके समर्थन में थे,साथ ही राजगोपालाचारी देश के गवर्नर जनरल के रूप में भी कार्य कर चुके थे उनको अनुभव भी था तथा लगभग उनका नाम भी देश के पहले राष्ट्रपति के रूप में तय हो चुका था।

सी राजगोपालाचारी के नाम सामने आने के बाद संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद सख्ते में आगे और उन्होंने कहां की किसी भी पद के लिए मेरे और सी राजगोपालाचार्य के बीच किसी प्रकार की प्रतिस्पर्धा नहीं है।

  • पंडित नेहरू ने लिखा राजेंद्र प्रसाद को पत्र

डॉ राजेंद्र प्रसाद के पत्र के जवाब में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 10 सितंबर 1950 को डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को एक पत्र लिखा और कहा कि जल्दी हमें गणतंत्र के राष्ट्रपति के विषय पर जल्द ही फेसला करना होगा। उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल से चर्चा का जिक्र करते हुए कहा कि हम मानते हैं कि राजाजी देश के राष्ट्रपति होंगे। नेहरू ने इच्छा जाहिर की कि उनकी तरफ से (राजेंद्र प्रसाद) ही सी.राजगोपालाचारी का नाम राष्ट्रपति के लिए रखे जाने का प्रस्ताव रखे।

डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने इस पत्र का जवाब पंडित जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल को भी भेजा। सरदार वल्लभभाई बड़े आश्चर्य में थे कि जब नेहरू से उनकी इस विषय पर कोई चर्चा ही नहीं हुई तो अनावश्यक रूप से उनका नाम क्यों घसीटा गया।

ध्यातव्य : पंडित जवाहर लाल नेहरू चाहते थे कि डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की जगह राजगोपालाचारी ही देश के पहले राष्ट्रपति बने।

  • नेहरू ने इनके नाम का रखा प्रस्ताव

6 अक्टूबर 1949 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ब्रिटेन और अमेरिका की यात्रा पर जाने से पहले राष्ट्रपति पद के लिए सी.राजगोपालाचारी के नाम पर सहमति चाहते थे लेकिन सहमति नहीं बनी।

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा कांग्रेस दल के सामने प्रस्ताव रखने का फैसला किया हालांकि सरदार वल्लभभाई पटेल है उसे रोकने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं माने। पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रस्ताव का की कांग्रेसीयों ने विरोध किया।नाराज नेहरू ने यात्रा से वापस लौटकर आने के बाद त्यागपत्र देने की बात कह दी।

  • डॉ प्रसाद को कांग्रेस अध्यक्ष बनने को कहा

जवाहरलाल नेहरू के विदेश यात्रा से लौटते ही राष्ट्रपति निर्वाचन में लग गए और डॉ राजेंद्र प्रसाद को संतुष्ट करने के लिए उनको कांग्रेस का अध्यक्ष या योजना आयोग के सभापति बने जाने का प्रस्ताव रखा।

  • पटेल की हुई जीत

सरदार वल्लभभाई पटेल ने दिसंबर 1949 को पत्र लिखा और अंतिम रूप से सी राजगोपालाचारी के नाम का समर्थन किया और उन्होंने कहा कि आपको नेहरू के विचार पता है । अंतिम रूप से सन 1950 में राजगोपालाचारी की जगह है डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को ही देश का राष्ट्रपति चुना। राष्ट्रपति के पहले चुनाव 1952 में और फिर से दूसरी बार 1957 में उन्हें राष्ट्रपति चुने गए और मई 1962 तक इस पद पर रहे।

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