राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन का अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन था जो अगस्त 1942 में किया गया था इस कारण इसे “अगस्त क्रांति” भी कहा जाता है। इस मैदान का नाम गवालिया टैंक मैदान था।

  • गांधी जी ने रखा प्रस्ताव

महात्मा गांधी ने 14 अगस्त 1942 को वर्धा में कांग्रेस की कार्य समिति की बैठक में आंदोलन शुरू करने का प्रस्ताव रखा था जिसे वर्धा प्रस्ताव भी कहा जाता है।

धयात्व्य :भारत छोड़ो का नारा यूफूफ अली ने दिया था

प्रस्ताव पेश करने के साथ ही गांधी जी ने कार्य समिति को चुनौती देते हुए कहा कि ” अगर मेरे प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया गया तो मैं देश की बालू से ही कांग्रेस से भी बड़ा आंदोलन खड़ा कर दूंगा।” हालांकि कांग्रेस के कई बड़े नेता इसके खिलाफ थे पर सरदार पटेल के प्रयासों से गांधी जी के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।

ध्यातव्य : साम्यवादी दल,मुस्लिम लीग,हिंदू महासभा, अकाली दल,ने इस आंदोलन की आलोचना की थी।

ध्यातव्य : भीम राव अंबेडकर और तेज बहादुर संप्रू ने इस आंदोलन की आलोचना की।

  • कार्य समिति की बैठक में बनी योजना

कांग्रेस कार्य समिति की एक बैठक 07 व 08 अगस्त 1942 को मौलाना अब्दुल कलाम आजाद की अध्यक्षता में बम्बई में आयोजित हुई जिसमे निर्धारित किया की 09 अगस्त 1942 से यह आंदोलन शुरू किया जाएगा और प्रमुख नेताओबको जिम्मेदारी दी गई ।

ध्यातव्य: गांधी जी ने इस बैठक में आह्वान किया की यह मेरा अंतिम आंदोलन है और “करो या मरो” का नारा दिया।

  • आंदोलन शुरू होने से पहले ही चलाया दमन

कार्य समिति की योजना के अनुसार यह आंदोलन 09 अगस्त 1942 को शुरू होना था लेकिन ब्रिटिश सरकार द्वारा “ऑपरेशन जीरो ओवर” के माध्यम से आंदोलन को शुरू होने से पहले ही दबाने का कार्य किया और गांधी जी के साथ साथ सभी प्रमुख नेताओ को गिरफ्तार कर जेल मे डाल दिया और कांग्रेस को गैर कानूनी संगठन घोषित कर दिया।

ध्यातव्य : जय प्रकाश नारायण,राम मनोहर लोहिया, अरुणा आसफ अली, जैसे नेताओ ने भूमिगत रह कर इस आंदोलन को चलाया था।

  • कांग्रेस रेडियो का प्रसारण

कांग्रेस और संगठन के प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था लेकिन कुछ नेताओं ने भूमिगत रहकर इस आंदोलन को दिशा देने का कार्य किया। राम मनोहर लोहिया ने भूमिगत रहकर बंबई से गुप्त रेडियो का संचालन कर जनता को जागरूक करने का कार्य किया लेकिन कुछ समय बाद इस गुप्त रेडियो को ढूंढ लिया और इसे बंद कर दिया।…इसे कांग्रेस रेडियो के नाम से भी जाना जाता है।

ध्यातव्य : आंदोलन शुरू होने से पूर्व ही पंडित नेहरू ने कहां था कि हम आग से खेलने वाले है हम दुधारी तलवार का प्रयोग करने जा रहे है जिसकी चोट उल्टी हमारे ऊपर भी पड़ सकती है।

  • घटनाक्रम और जगह जगह हिंसक घटनाएं हुई

भारत छोड़ो आंदोलन में नेतृत्व के अभाव में जगह जगह हड़ताल, धरना प्रदर्शन हुए, हिंसा हुई, लोगो ने अपने तरीके से कार्य किया,रेलवे पटरियों को उखाड़ दिया,सरकारी कंपनियों पर हमले किए गए, पुलिस और जनता में हिंसक झड़प हुई । सरकार ने भी इसको दबाने के लिए गोलीबारी की, गिरफ्तारियां की लेकिन यह पहला अवसर था जब गांधी जी ने खुलकर हिंसा की आलोचना नहीं की।

ध्यातव्य: गांधी जी को गिरफ्तार कर पूना के आंगा खां जेल में रखा जहा से जून 1944 को उनको रिहा कर दिया ।

ध्यातव्य : भारत छोड़ो आंदोलन की घटना की जांच करने के लिए मध्य प्रांत के जज टी. विकेंडन की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी ने 29 नवंबर 1943 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।

  • आंदोलन शुरू करने के प्रमुख कारण

भारत छोड़ो आंदोलन गांधी जी का अंतिम आंदोलन था जिसके पीछे कई प्रमुख कारण जिम्मेदार थे।

1. तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो द्वारा (17 अक्टूबर 1939 को) भारतीयों को सता हस्थानांतरण करने की मांग को ठुकरा दिया था जिस कारण भारतीय नेताओ में असंतोष था।

2. भारतीयों की प्रमुख समस्याओं के समाधान के लिए मार्च 1942 की स्टेफर्ड क्रिप्स की अध्यक्षता में आए क्रिप्स मिशन से नेता संतुष्ट नहीं थे। अतः क्रिप्स मिशन की असफलता इसके लिए एक प्रमुख कारण था।

3. बर्मा/म्यांमार में अंग्रेजी शासन द्वारा भारतीयों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा था इसकी प्रतिक्रियास्वरूप भारत में रोष व्याप्त था भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ था।

4 दूसरे महायुद्ध के कारण भारत की आर्थिक स्थिति बड़ी दयनीय हो चुकी थी इस कारण भारतीय लोगो और कांग्रेसी नेताओं का सोचना था की अब अंग्रेजो का भारत छोड़ना ही भारत के लिए हितकारी होगा।

5.दूसरे महायुद्ध के दौरान सिंगापुर,मलाया, बर्मा ने बाद भारत पर जापान के आक्रमण का खतरा बड़ गया था। इस कारण इसके लिए ब्रिटेन ही जिम्मेदार था, उसकी भारत के साथ कोई लड़ाई नहीं थी लड़ाई थी बल्कि ब्रिटेन से थी । इस कारण भारतियोबका सोचना था कि अगर अंग्रेज भारत छोड़कर चले जाए तो यह हमारे हितकर होगा।

ध्यातव्य : “अंग्रेजो भारत को जापान के लिए नहीं ,भारत को भारतीयों के लिए छोड़ जाओ।” – गांधी जी

6. भारतीय जनमानस में अंग्रेजो और ब्रिटिश सरकार के प्रति असंतोष बढ़ रहा था गांधी जी ने इसे अंतिम प्रयास के रूप में शुरू किया था।

  • आंदोलन की सफलता या असफलता ?

गांधी जी का भारत छोड़ो आंदोलन उस उद्देश्य को प्राप्त नहीं कर सका जिस उद्देश्य को लेकर इसे शुरू किया था लेकिन इस आंदोलन ने स्वतंत्रता की राह को आसान जरूर कर दिया था। इस आंदोलन से अंग्रेजो को इस बात का अहसास हो गया था कि अब अधिक दिनों तक भारत में शासन नहीं किया जा सकता।

  • आंदोलन की असफलता के कारण

० भारत छोड़ो आंदोलन उस रूप में सफल नहीं हुआ जिसे लेकर यह शुरु किया था लेकिन इसके दूरगामी परिणाम जरूर मिले। आखिर यह आंदोलन क्यों असफल रहा जानते उन प्रमुख कारणों को…

० आंदोलन के शुरू होने से पहले इसके सभी बड़े नेताओं को अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था इसलिए इस आंदोलन का नेतृत्व करने वाला कोई बड़ा नेता नही था । आंदोलन की असफलता का यह सबसे प्रमुख करना था।

० आंदोलन को शुरू होने से पहले ही “ऑपरेशन जीरो आवर” चलाकर इसका दमन करने का प्रयास किया गया । यह भी इसकी असफलता का एक कारण है।

० प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार करने और इसके दमन के कारण न तो कोई योजना थी न ही योजनाकार और न ही कोई संगठन था जो की इस आंदोलन की असफलता का कारण बना।

० भारत छोड़ो आंदोलन से तत्कालीन देशी रियासतों ने दूरी बनाई रखकर इसमें भाग नहीं लेना भी इसकी असफलता का एक कारण है ।

ध्यातव्य : भारत छोड़ो आंदोलन की तुलना रूस की अक्टूबर क्रांति (1917) और फ्रांस की ब्रिस्टल क्रांति (1789) से की जाती है।

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