राजनीति विज्ञान बहुत ही प्राचीन विषय है और आज के दौर में राजनीति विज्ञान विषय बहुत ही महत्वपूर्ण विषय माना जाता है जहां तक शिक्षा के क्षेत्र का सवाल है तो हर प्रकार की प्रतियोगिता परीक्षा चाहे वह किसी भी स्तर/लेवल की हो उसमें राजनीति विज्ञान से संबंधित सवाल पूछे जाते रहे हैं।
शुरुआत में इसे एक स्वतंत्र विषय के रूप में नहीं स्वीकारा जाता था बल्कि इसके अंतर्गत नीतिशास्त्र, दर्शनशास्त्र, इतिहास एवं विधिशास्त्र आदि की अवधारणाऐ शामिल थी। इन सब के अंतर्गत ही इसका इसका अध्ययन किया जाता रहा था।
राजनीति विज्ञान का प्रयोग राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय दोनों ही प्रकार की राजनीति को जानने और समझने और एक अध्ययन विषय के लिये किया जाता रहा है। इस विषय के अंर्तगत राज्य,सरकार, सरकारी संस्थाओं, चुनाव प्रणाली व राजनीतिक व्यवहार ,विचारधाराओं और उस हर विषयवस्तु का अध्ययन किया जाता है जिसका संबंध राज्य से हो और इन जैसी अवधारणाओं का अध्ययन किया जाता है।
वैश्विक स्तर की बात की जाए तो इस विषय का जनक महान यूनानी दार्शनिक प्लेटो का शिष्य अरस्तू माना जाता है लेकिन क्या आप जानते है कि भारत में राजनीति विज्ञान के जनक कौन है? (Bhartiy Political Science Ke Janak)
- भारत में राजनीति विज्ञान के जनक कौन है? (Bhartiya Political Science Ke Janak)
भारत में राजनीति विज्ञान के जनक कौटिल्य/चाणक्य था । एतिहासिक नाटक मुद्राराक्षस के अनुसार इनका वास्तविक नाम विष्णुगुप्त था। इनका जन्म ईसा पूर्व 375 में तक्षशिला में हुआ था तथा इनकी मृत्यु ईसा पूर्व 283 में हुई थी, लेकिन उनकी मौत कैसे हुई थी, यह आज भी एक रहस्य ही बनी हुई है। इस महान विचारक/राजनीतिज्ञ का जन्म तक्षशिला माना जाता लेकिन जैन ग्रंथो के अनुसार इनका जन्म अवनवेई में माना जाता है । ध्यातव्य: कौटिल्य को भारत का मैकियावेली भी कहा जाता है।

इन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन किया और तत्पश्चात इन्होंने इसी विश्वविद्यालय में इन्होंने अध्यापन कार्य भी किया था। इनके शिष्यत्व में रहकर ही चंद्रगुप्त मौर्य एक महान सम्राट और विजेता बना था। इनकी अनेक महान रचनाएं है जिनमे “अर्थशास्त्र” सबसे महत्वपूर्ण रचना है जो गद्य और पद्य में और राजनीति और प्रशासन विषय पर 15 अभिकरण में विभाजित रचित पुस्तक है।