हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री श्रीमान अशोक जी गहलोत ने आरटीआई कार्यकर्ताओं एवं व्हिसलब्लोअर्स की सुरक्षा को मध्य नजर रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर किया आग्रह किया है कि आरटीआई कार्यकर्ताओं एवं व्हिसलब्लोअर्स की सुरक्षा को मध्य नजर रखते हुए बनाये गये सूचना प्रदाता संरक्षण अधिनियम, 2011 के तहत नियम शीघ्र अधिसूचित किया जाये, ताकि राज्य सरकारों द्वारा उसके अनुरूप प्रावधान कर भ्रष्टाचार एवं अव्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे आरटीआई कार्यकर्ताओं और व्हिसलब्लोअर्स की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005
राजस्थान के श्री गहलोत ने अपने पत्र में लिखा कि पारदर्शिता बढ़ाने एवं भ्रष्टाचार कम करने के लिए अनूठी पहल करते हुए भारत सरकार ने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 लागू किया था। राजस्थान देश के उन शुरूआती में से है जिसने सूचना का अधिकार अपने नागरिकों को पहले से ही दे रखा था। आरटीआई कानून के माध्यम से देश भर में भ्रष्टाचार एवं अव्यवस्था के खिलाफ काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं को सशक्त बनाया गया है। देश भर में इस कानून की मदद से आरटीआई कार्यकर्ता एवं व्हिसलब्लोअर्स तमाम खतरे उठाते हुए व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी एवं जवाबदेह बनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। पिछले कुछ समय से इनकी आवाज दबाने के लिए हिंसा का सहारा लिया जा रहा है।
ध्यातव्य :- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 जम्मू कश्मीर राज्य को छोड़कर संपूर्ण भारत में 12 अक्टूबर 2005 को लागू किया गया था।
सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 में संशोधन किए जाने के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम संशोधन अधिनियम 2019 लाया गया जिसके तहत केंद्रीय सूचना आयोग के संबंध कई प्रकार के बदलाव किए गए हैं
- सूचना प्रदाता संरक्षण अधिनियम, 2011
इस अधिनियम का उद्देश्य लोक हित प्रकटन करने वाले व्यक्ति को संभव पीड़ा एवं शोषण से सुरक्षा प्रदान करना है और केंद्र सरकार को सुनिश्चित करना है की कोई भी व्यक्ति या लोक सेवक, जिसने खुलासा किया है।
ज्ञात हो कि सूचना प्रदाता संरक्षण अधिनियम, 2011 लोकसभा द्वारा 28 दिसम्बर, 2011 को पारित किया गया। जबकि राज्यसभा ने 21 फरवरी, 2014 को इसे पारित किया गया था। दोनों सदनों में बहुमत से पारित होने के पश्चात 9 मई, 2014 को राष्ट्रपति महोदय द्वारा इस बिल पर सहमति दे दी गई थी।
- यह थे प्रमुख प्रवधान
० अधिनियम व्हिसल ब्लोअर, यानी ऐसे व्यक्ति जो भ्रष्टाचार, शक्ति के दुरुपयोग, या किसी लोक सेवक द्वारा आपराधिक अपराध से संबंधित सार्वजनिक हित का खुलासा करते हैं, की रक्षा करना चाहता है।
० कोई भी लोक सेवक या गैर-सरकारी संगठन सहित कोई अन्य व्यक्ति केंद्रीय या राज्य सतर्कता आयोग को इस तरह का खुलासा कर सकता है।
- नियम बनाकर अधिसूचित किये जाने की जरूरत
सूचना प्रदाता संरक्षण अधिनियम, 2011 की धारा 25 में केन्द्र सरकार को नियम बनाने की शक्तियां दी गई हैं, लेकिन करीब 7 वर्ष से अधिक समय गुजर जाने के बावजूद केन्द्र सरकार द्वारा अभी तक इस पर नियम बनाकर अधिसूचित नहीं किए गए हैं। ऎसे में, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाकर लड़ाई लड़ने वाले आरटीआई कार्यकर्ताओं और व्हिसलब्लोअर्स की आवाज दबाई जाने व उन्हें रोकने की कोशिश की जाती रही है । आये दिन उन पर हो रहे अत्याचारों को रोकने का मैकेनिज्म विकसित नहीं किया जा सका है।
- सूचनादाता को संरक्षण मिलेगा और दोषीयो पर कार्यवाही को बल
श्री गहलोत ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि केन्द्र सरकार द्वारा देश भर के आरटीआई कार्यकर्ताओं, व्हिसलब्लोअर्स, सामाजिक कार्यकताओं और सिविल सोसाइटी के संरक्षण के लिए जल्द से जल्द उक्त अधिनियम के प्रावधानों के तहत नियम बनाए जाएं ताकि व्हिसलब्लोअर्स को संरक्षण मिल सके और दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई हो सके।