अंतरराष्ट्रीय समाज में भारत का बढ़ता हुआ रुतबा

भारत मे यूक्रेन के राजदूत -इगोर पोलिखा (Igor Polikha)

●रूसी राष्ट्रपति-ब्लादिमीर पुतिन

● यूक्रेन के राष्ट्रपति- वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की

● अमेरिकी राष्ट्रपति -जो बाइडेन

यूक्रेन और रूस संकट के बारे में पूरी दुनिया के देश अपने अपने राष्ट्रहितों को देखते हुए इस घटना पर आणि अपनी रोटियां सेक रहे है रहे हैं। रूस का अपना हित है और अमेरिका का अपना हित। यूक्रेन अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए लड़ाई लड़ रहा है और  नाटो के देश अपने स्वार्थ को देखते हुए अपना रुख अपना रहे हैं। हाल ही में रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया है जिसमें उसके अपने राष्ट्रहित हैं  । इसे देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद द्वारा रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया गया और उस निंदा प्रस्ताव में अलग-अलग देशों ने अपने राष्ट्र हितों को ध्यान में रखते हुए मतदान किया है अमेरिका द्वारा रखे गए इस प्रस्ताव पर 11 सदस्यों ने अमेरिका का समर्थन किया है लेकिन रूस ने वीटो  शक्ति का प्रयोग कर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है जिसकी अमेरिका ने घोर निंदा की है ।वही दूसरी ओर ध्यान देने योग्य बात है कि भारत ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया है।

  • रूस और यूक्रेन के तनाव कारण क्या है कारण

यूक्रेन और रूस में हमेशा से ही सीमा विवाद भी रहा है । इसके अतिरिक्त यूक्रेन का नाटो संगठन का सदस्य बनने के मुद्दे से शुरू होता है रूस को यह डर है कि पड़ोसी यूक्रेन का नाटो संगठन का सदस्य बनने पर नाटो का दबाव रूस पर बढ़ेगा जिससे उसकी सुरक्षा को खतरा हो सकता है इसके अतिरिक्त यूक्रेन के अलगाववादियों को रूस के द्वारा समर्थन दिए जाने और हाल ही में यूक्रेन के दो डोनेत्स्क व लुहानस्क राज्यों को स्वतंत्र राज्य की मान्यता दिए जाने पर विवाद में गर्माहट आ गई और विवाद बढ़ता गया और अंतरराष्ट्रीय विरोध के बावजूद भी रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया। हाल ही मेंं इस तनाव का कारण यूक्रेन के नाटो की सदस्यता से जोड़कर देखा जा रहा है।

  • यूक्रेन सोवियत संघ का हिस्सा रहा है

यूक्रेन की लंबी सीमा रूस के साथ जुड़ती है। आपको बता दें कि 1991 में सोवियत संघ का विघटन होने से पूर्व यूक्रेन सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था । यूक्रेन के स्वतंत्र होने के बाद इसकी नजदीकियां पश्चिमी राष्ट्रों से बढ़ने लगी थी संन 2014 में भी रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण करके क्रीमिया को छीन लिया था और वर्तमान में यूक्रेन के नाटो के सदस्य बनने के सवाल पर रोक लगा हुआ है। इस प्रकार यूक्रेन और रूस के बीच तनाव का एक लंबा इतिहास रहा है

  • दुनिया कर रही है भारत से हस्तक्षेप की उम्मीद 


संकट के इस दौर में यूक्रेन के भारत में राजदूत इगोर पोलिखा (Igor Polikha) ने भारत और प्रधानमंत्री मोदी से अपील की है कि वह इस संकट के समय उसकी मदद करें । इस संकट का समाधान करने में भारत अहम भूमिका निभा सकता है। लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर इस मुद्दे पर भारत का क्या रूप हो सकता है।

  • अमेरिका भी  दबाव डाल रहा है भारत पर 


दुनिया के देश इस संकट के दौर में भारत से उम्मीद करते हैं कि वह अपने स्वार्थ छोड़कर, अपने राष्ट्रहित को छोड़कर अपनी भूमिका निभाये । एक तरफ यूक्रेन भारत से मदद की गुहार लगा रहा है वहीं अमेरिका भी भारत पर दबाव डाल रहा है कि वह यूक्रेन पर रूसी सेना के हमले की खुलकर निंदा करें।
अब यह सवाल उत्पन्न होता है कि भारत को भी अपने 140 करोड़ जनसंख्या और राष्ट्रहित को देखते हुए ही इसमें अपना रुख स्पष्ट कर देना चाहिए  और किसी के उकसावे में ही आकर ऐसा कदम नही उठाये जिसके कारण आगे चलकर भारत को अपने राष्ट्रहितों का नुकसान उठाना पड़े।

  • भारत से हस्तक्षेप की मांग दर्शाता है भारत के कद को 


दुनिया के देश जब भारत की तरफ देख रहे हैं तो यह तो स्पष्ट हो जाता है कि भारत दुनिया में अपनी पैठ जमा चुका है। भारत एक महाशक्ति बन चुका है, अब भारत के लिये अपने राष्ट्रहितो को देखते हुए सटीक निर्णय लिए जाने का समय है । किसी के दबाव में आकर अपने राष्ट्र हितों को नुकसान नहीं पहुंचाया जाए । यूक्रेन की जनता के साथ भारत के आवाम और भारत सरकार की सहानुभूति है क्योंकि इस लड़ाई में उनका कोई गुनाह नहीं है फिर भी भारत का अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने राष्ट्र हितों को देखते हुए एक स्पष्ट रुख होना चाहिए एक भूमिका होनी चाहिए।

  • रूस रहा है हमेशा ही भारत का घनिष्ठ मित्र 


रूस भारत का परंपरागत मित्र रहा है और उसने  संकट के समय हमेशा भारत का साथ दिया है, 1971 में भारत पाकिस्तान के युद्ध के दौरान रूस ने भारत को काफी मदद की थी।  वहीं दूसरी ओर यूक्रेन का रुख भारत के प्रति हमेशा ही विरोध का रुख रहा है । इसलिए किसी भी प्रकार का कदम उठाए जाने से पहले यह जान लेना आवश्यक है कि आखिर यूक्रेन और भारत के संबंध कैसे रहे है। क्या संकट के समय यूक्रेन ने भारत का साथ दिया। आइए जानते हैं इसी बारे में कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं और भारत के प्रति यूक्रेन का क्या रुख रहा है।

  • आतंक के मुद्दे पर यूक्रेन ने दिया पाकिस्तान का साथ 


आपको बता दें कि आतंकवाद जैसी घटनाओं में यूक्रेन ने कभी भारत का साथ नहीं दिया बल्कि पाकिस्तान के साथ ही हमेशा खड़ा रहा । उसे हथियार उपलब्ध कराता रहा। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यूक्रेन ने हमेशा भारत का विरोध किया और पाकिस्तान का समर्थन। अब यह बात भारत के नीति निर्माताओं और देश की आवाम के कैसे गले उतरेगी की भारत विरोधी कदम उठाने वाले और पाकिस्तान का समर्थन करने वाले यूक्रेन की मदद करने के लिए राष्ट्रहित का बलिदान भारत क्यों दें यह एक सोचने विषय। 

  • पाकिस्तान को हथियार सप्लाई करता है यूक्रेन 


यूक्रेन और पाकिस्तान के बड़े मधुर संबंध रहे है पाकिस्तान के पास आज जो सैकड़ों की संख्या में (करीब 400) टैंक उपलब्ध है वह सब यूक्रेन के द्वारा ही सप्लाई किए गए हैं । आपको बता दें कि पिछले 30 वर्षों में पाकिस्तान को हथियार सप्लाई करने वाले में सबसे प्रमुख नाम यूक्रेन का आता है।
वर्तमान समय में भी यूक्रेन पाकिस्तान को फाइटर जेट्स तकनीकी और स्पेस प्रोग्राम में पूरी मदद कर रहा है। यूक्रेन हमेशा से ही पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है और आज भी उसका वहीं रुक है ।

  • यूक्रेन ने संयुक्त राष्ट्र संघ में उठाये भारत विरोधी कदम 

भारत के द्वारा जब 1998 में पोखरण में परमाणु परीक्षण किया गया था, उस दौरान संयुक्त राष्ट्र संघ  सुरक्षा परिषद द्वारा भारत के खिलाफ प्रतिबंध लगाने के लिए प्रस्ताव लाया गया था, प्रस्ताव लाने वाले 25 सदस्यों में यूक्रेन भी सबसे प्रमुख सदस्य था।  इस प्रस्ताव में यूक्रेन में जोर शोर से मांग उठाई थी कि भारत के परमाणु कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए ।इसके अलावा भारत पर कठोर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की मांग यूक्रेन ने संयुक्त राष्ट्र संघ के मन से उठाई थी। क्या भारत सरकार को यह भूल जाना चाहिए कि भारत के प्रति यूक्रेन का रुख हमेशा विरोधी का रहा है। कभी वह मदद के लिए आगे नहीं आया क्या यह भूल कर उसे यूक्रेन की मदद करनी चाहिए।


अब सवाल यह उठता है कि हमेशा पाकिस्तान को साथ देने वाले, पाकिस्तान को हथियार सप्लाई करने वाले, भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की मांग जोर-शोर से उठाने वाले और पाकिस्तान को जेट टेक्नोलॉजी देने व अंतरिक्ष कार्यक्रम में पूर्ण सहयोग करने वाले यूक्रेन को इस संकट के दौर में मदद करनी चाहिए। 
जरा सोचिए अगर भारत इस संकट के समय यूक्रेन का सहयोग करता है तो क्या वह पाकिस्तान का सहयोग करना बंद कर देगा ? क्या वह पाकिस्तान को हथियार सप्लाई करना बंद कर देगा ? इस सवाल का जवाब आपको शायद नहीं नही ही मिलेगा । क्योंकि युक्रेन कभी नहीं चाहेगा कि पाकिस्तान यूक्रेन से हथियार खरीदना बंद कर दें जो कि उसका सबसे बड़ा बाजार है।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page