जिंदगी एक सफर है सुहाना कल क्या होगा किस ने जाना । जिंदगी क्या है ? यह सवाल हर किसी के जेहन में उठना स्वभाविक है । इस सवाल का जवाब हर कोई अपने अपने अंदाज और अपने अपने मायने में देता है।
- जिन्दगी क्या है ?
अक्सर कहा जाता है इस जिंदगी एक पहेली है,कभी दुश्मन तो कभी सहेली है, या जिंदगी एक जंग है तो कभी जिंदगी को ईश्वर का दिया हुआ वरदान माना जाता हैं,कभी जिंदगी को एक खेल मानते हैं तो कभी जिंदगी को कर्म और कर्म फल का परिणाम मानते हैं। यहां तक कि जिंदगी को जीवन का कर्तव्य माना जाता हैं । जिंदगी के इन अर्थों और इन मायनो को अस्वीकार नहीं किया जा सकता । जिंदगी को आज तक कोई समझ नहीं पाया है कि जिंदगी किसे कहते हैं । सांस लेना ही जिंदगी नहीं है । जिंदगी के भांति भांति के अर्थ निकाले जाते हो जिंदगी के अलग अलग पर्याय माने जाते हो पर यह तो एक सफर है।
- जिन्दगी एक सफ़र है
सच्चाई यह है कि जिंदगी एक सफर है । आप उस सफर में कभी अपने तो कभी पराय , कभी परिचित तो कभी अजनबी मिलते हैं ,कभी दुख कभी सुख भोगते हैं लेकिन इस सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता कि जिंदगी एक सफर है और जिंदगी के इस सफर को सुहाना बनाने के लिए जिंदगी के मकसद को पूरा करने के लिए जिंदगी के कर्तव्य को पूरा करने के लिए हर व्यक्ति को कर्म करना होता है और जिंदगी रूपी सफर में कर्म सबसे महत्वपूर्ण चीज है क्योंकि हमारे कर्म ही हमारी जिंदगी के सफर की मंजिल तय करता है ।
- जिंदगी में यह तीन काम हर किसी को करने ही होते हैं
जिंदगी रुपी सफर में हर व्यक्ति को कर्म करने होते हैं। कुछ कर्म वह अपने मन से करता है तो कुछ कर्म किसी मजबूरी में करता है । कर्म रूपी इस सफर में व्यक्ति चाहे या ना चाहे उसे तीन काम करने ही होते हैं और उनसे वह कभी मुंह नहीं मोड़ सकता उनकी उपेक्षा नही कर सकता । स्वीकार करो या ना करो लेकिन जिंदगी की सच्चाई यही है । हर व्यक्ति अपने जिंदगी में यह तीन कार्य जरूर करता है।
- यह काम नही करोगें तो जिंदगी मुश्किल हो जाती है
जिंदगी के अति महत्वपूर्ण काम व्यक्ति जीवन में नहीं करता है क्या नहीं करना चाहता है तो उसकी जिंदगी दूभर बन जाती है मुश्किल हो जाती है। वह खुशहाल जिंदगी नहीं जी पाता है,पारिवारिक और सामाजिक स्तर पर उपेक्षा का शिकार होना पड़ता है। वह अपने जीवन का उद्देश्य पूरा नही कर पाता है और नहीं अपने कर्तव्य का निर्वाह कर पाता है। अगर व्यक्ति जानबूझकर इनकी उपेक्षा करता है तो उसकी जिंदगी एक नरक बन जाती है ।
- पहला काम हाथां जोड़ी (हाथ जोड़ना)
व्यक्ति अपने जीवन में तीन कार्य/ तीन काम जरूर करता है और उसमें से एक काम होता है हाथां जोडी करना । जिसका तात्पर्य होता है मान मनुहार करना, किसी को रूठने से मानने के लिए हाथ जोड़ना, किसी रूठे हुए अपने, पराए को मनाने के लिये हाथ जोड़ना, उसकी मान मनुहार करना। किसी बात की सहमति लेने के लिए, किसी कार्य विशेष को करने या नहीं करने के लिए हाथ जोड़ना मान मनुहार करना उससे अपील करना । अपने गुनाहों के लिए हाथ जोड़कर किसी से माफी मांगना या माफी मांगने वाले को हाथ जोड़कर वापस माफ कर देना जैन धर्म में तो क्षमावणीत्यौहार पर वर्ष भर की गलतियों के लिए हाथ जोड़कर माफी मांगी जाती है।
- दूसरा काम भागा दौड़ी (भाग दौड़ करना)
जिंदगी एक सफर है और इस सफर में भागदौड़ स्वभाविक है । यहां भागदौड़ से तात्पर्य है कि व्यक्ति अपने और अपने परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, अपने सामाजिक दायित्व का निर्वाह करने के लिए, अपनी आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, रोजगार करने के लिए ,हर दिन भागदौड़ करनी होती है । अगर जिंदगी में कोई व्यक्ति भागदौड़ यानी कि कर्म नहीं करता है तो उसे जिंदगी में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है या परिवार और समाज के लोग उसे निकम्मा,कामचोर, आलसी जैसे नाम से पुकारने लगते हैं । वह अपनी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाता है जिनके परिणामस्वरूप उसे अभाव में जिंदगी जीने को मजबूर होना पड़ता है। गीता में भी कर्म करने पर बल दिया गया है और यहां भागा दौड़ी का मुख्य अर्थ जिंदगी के इन्हीं कर्मों से लगाया जाता है क्योंकि जिंदगी कर्म प्रधान होती है।
- तीसरा काम मांथा फोड़ी (संघर्ष करना)
जिंदगी का एक महत्वपूर्ण कार्य यह है कि हर व्यक्ति को अपने जीवन में माथा फोड़ी करनी पड़ती है।माथा फोड़ी का तात्पर्य यहां किसी लड़ाई झगड़े से नहीं है या किसी का सर फोड़ दे से नहीं ,बल्कि माथा फोड़ी का तात्पर्य है कि जिंदगी के सफर में आने वाली समस्याओं से उसे जूझना होता है, उसे लड़ना होता है ,अपने हक की लड़ाई लड़नी पड़ती हैं, कभी सामाजिक स्तर पर, कभी व्यक्तिगत स्तर पर तो कभी कानूनी स्तर पर । जिंदगी के हर मोड़ पर किसी न किसी प्रकार का संघर्ष करना होता है, यही तो जिंदगी है । कहा भी जाता है कि इस संघर्ष ही जिंदगी है।
- सफ़र हो जायेगा सुहाना
जिंदगी के सफर में अगर व्यक्ति इन तीनों कार्यों से मुंह नहीं मोड़ कर ,सहजता से इन्हें पूरा करता है तो उसका सफर निश्चित रूप से सुहाना होगा ,आवश्यकता है तो इस सफर में इन तीनों कार्यों में अपनो, परिवारजन,अपने मित्रों का साथ मिले तो यह सफर आसान हो जाता है और जिंदगी का सफर सुहाना हो जाता है क्योंकि सफर में किसी का साथ होना संबल प्रदान करता है, आत्मविश्वास प्रदान करता है,हौसला प्रदान करता है जो मंजिलें आसान कर देता है।
Very nice