- एक प्रेरणादायक कहानी
एक वह दौर हुआ करता था जब शहर शहर जनता के मनोरंजन के लिए सर्कस चला करते थे। क्या बच्चे क्या बड़े और क्या बूढ़े हर कोई सर्कस और उसमें काम करने वाले जोकर, उसमें तरह-तरह के जानवरो की कलाबाजी के दीवाने हुआ करते थे । लेकिन समय का फेर था इंसान के मानव अधिकारों की तरह जानवरों के भी अधिकारों का दौर चला । सर्कस में जानवरों के कलाबाजी और सर्कस में जानवरों का मनोरंजन बंद हो गया या उन्हें बंद कर दिया गया ।
ऐसा ही एक सर्कस था जो इन्हीं प्रकार की पाबंदी के कारण बंद हो गया उसमें काम करने वाले कर्मचारी बेरोजगार हो गए । सर्कस में काम करने वाले शेरों को जंगल में छोड़ दिया लेकिन दुर्भाग्य की बात थी कि जंगल में छोड़े गए उन शेरों को कुत्ते खा गए, क्योंकि वह शेर जंगल के शेर नहीं वह सर्कस के शेर हुआ करते थे, सर्कस के पिंजरे में पका पकाया भोजन खा- खा के वह शिकार करने की वह कलाबाजी, वह हिम्मत वह, जज्बा खो चुके थे। एक तरफ वो कुते थे जो भूखे मरते चलो भूख से भी तो मरना है चलो आज मिलकर शेर का शिकार करते हैं और शिकार करके खा गए । सर्कस में बेरोजगार हुए कर्मचारियों में जनता का मनोरंजन करने वाला एक जोकर हुआ करता था। वह भी बेरोजगार हो गया । घर में आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा जगह-जगह रोजगार की तलाश में घूमता चुरा लेकिन क्या करें उसका कद उसकी लंबाई छोटी थी उसे कहीं पर किसी प्रकार का कोई रोजगार कोई कार्य नहीं मिल पाया।
थक हार के एक दिन वह एक बड़े शहर में एक जंतुआलय में गया और वहां अपने लिए रोजगार की मांग करने लगा जंतुआलय के कर्मचारियों ने उस जोकर से कहा कि हमारे पास किसी प्रकार के कर्मचारी की सीट खाली नहीं है। आपके लिए कोई कार्य नहीं है। उस जोकर के द्वारा गिदगिडाने पर व बार-बार मांग करने पर अपनी समस्याओं से अवगत कराने पर उस जंतआलय के अधिकारी को दया आ गई और उसने कहा कि जंतुआलय में एक छोटा सा बंदर हुआ करता था जो जनता का मनोरंजन करता था । बहुत पसन्द आती थी
लेकिन पिछले दिनों उसकी मौत हो गई अगर तुम उस बंदर की खाल को पहनकर बंदर बनकर पिंजरे में बंद हो जाओ और जनता का मनोरंजन कर सको तो हम आपको रोजगार पर रख सकते हैं । जोकर बेरोजगार था उसने सहमति प्रदान कर दी और बंदर की खाल पहन कर बंदर बनकर पिंजरे में बंद हो गया।
कुछ ही दिनों बाद वह बंदर बहुत अधिक प्रसिद्ध हो गया जंतुआलय के मालिक की आय दुगनी चौगुनी बढ़ गई । बंदर खूब उछल कूद करके जनता का खूब मनोरंजन करता है । बंदर के पिंजरे के पास ही एक दूसरा पिंजरा था जिसमें एक शेर था । बंदर को बहुत ज्यादा सफलता मिली जंतुआलय के मालिक ने उसे ईनाम से पुरस्कृत किया लेकिन उछल कूद करते करते, वह पास वाले पिंजरे में बंद शेर को चिढ़ाते । आखिर शेर भी करे तो क्या करें क्योंकि वो पिंजरे में बंद था । एक दिन की बात है कि उछल खुद करते करते करते थोड़ी सी सफलता मैं अपना जोश और होश खोकर शेर को चिड़ा था । अचानक उस जोश में होश में पास वाले शेर के पिंजरे में गिर गया ,शेर के पिंजरे में गिरते ही बंदर घबरा गया शेर उसकी ओर आता बंदर की घबराहट और बढ़ जाती है और उस बंदर को एहसास हुआ मौत मेरे सामने है । इतनी नजदीक से उस बंदर ने मौत का एहसास किया । शेर उसकी तरफ बढ़ता गया बढ़ता गया और बंदर की कान में आकर यह कहा कि नालायक जरा सी सफलता क्या मिल गई अपना जोश और होश खो दिया सफलता को तुम न खुद की औकात पहचान सके और मौत के मुंह में आकर गिरे । तू भी अपना रोजगार अच्छी प्रकार से कर और मुझे भी अपना रोजगार करने दे अन्यथा दोनों की नौकरी जाएगी ।
बंदर की खाल में भी एक इंसान था जो अपनी छोटी से सफलता में अपनी औकात भूल गया अपने जोश और जुनून में अपनी असलियत भूल गया और पास के पिंजरे में बंद शेर को चिढ़ाना शुरू कर दिया । जिस शेर को देखकर बंदर की सटी बटी गुल हो गई जब उस शेर ने उस बंदर को समझाया तब एहसास हुआ कि वह शेर भी एक इंसान ही था, जो शेर की खाल ओढ़कर उसी बंदर की तरह अपने दो वक्त की रोटी कमाने के लिए पिंजरे में बंद था।
- प्रेरणादायक संदेह
इस प्रसंग और इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि इंसान को छोटी से सफलता में अपना जोश और होश और अपनी मर्यादा नहीं खोनी चाहिए । सामने वाला भी तुम्हारी तरह ही है। इस प्रकार संकीर्ण सोच से ऊपर उठकर जियो और जीने दो
सोच के आधार पर अपने काम के प्रति कटिबद्ध होकर इमानदारी से अपना रोजगार अपने कार्य अपने व्यवसाय पर ध्यान देना चाहिए । दूसरा क्या कर रहा है क्या नहीं कर रहा है इस सोच से हमें ऊपर उठना होगा। एक दूसरे की आलोचना प्रचार और अलोचना में ना पडकर हमें क्या करना है इस बात पर ध्यान देना होगा । जोश और जुनून हो लेकिन मर्यादा के साथ ही छोटी सी सफलता में हमें हमारी असलियत नहीं भूलनी चाहिए।