आत्म हत्या:कुछ सपनों के खो जाने से जीवन नहीं मरा करता

जिंदगी ईश्वर का अनमोल उपहार है आत्महत्या समस्याओं का हल नहीजंदगी तो एक जंग है इसे हर इंसान को लड़ना पड़ेगा हार जीत  ही जिंदगी के दो पहलू हैं लेकिन कभी कभी इंसान हार जाने या उसके डर से जिंदगी की दौड़  से अपने आपको  अलग कर लेते है और आत्म हत्या का रास्ता चुन लेते है ।

पिछले दिनों  एक अभिनेता की मोत को गले लगाने की दुख दाई ओर  हैरान कर देने वाली खबर पढ़ी ओर सुनी । बिहार में 21 जनवरी 1986 को जन्मे  एक युवा ने जो युवाओं के लिए एक आदर्श  ओर समाज मे अपनी पर्दे की भूमिका से आत्म हत्या नही करने जैसे विषय पर  सकारात्मक  संदेश देने वाले 34 वर्षीय कलाकार रील लाइफ  मोत से लड़ने ओर हौसला ,जज्बे का संदेश देने वाले कलाकार  सुशांत सिंह राजपूत ने अपनी रियल लाइफ में मुंबई स्थित अपने मकान पर 14 जून 2020 को फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त  कर ली यही खबर समाचार पत्रों ,इलेक्टॉनिक मीडिया की सुर्खिया बनी।  बहुत दुखभरी ओर  मन मस्तिष्क को  झकझोर देने वाली यह खबर सुनकर फिल्मी दुनिया के लोग ,समाज के युवा तथा उनके फॉलोवर , दुखी तथा भाव विभोर हो गये  । उन्होंने किन परिस्थितियों में और क्यों आत्महत्या  की ? क्यो जैसे रास्ते को अपनाया ? यह एक अलग विषय हो सकता है यह जाँच का विषय ही सकता है  लेकिन उनके इस कदम से हर कोई दुखी उदास ओर हतास  है । 


    सुशांत सिंह राजपूत ने कला और पर्दे की जन्दगी में  बतौर बैकअप डांसर  के रूप में अपना करियर शुरू किया था। छोटे पर्दे  पर उनका पहला सीरियल बालाजी टेलीफिल्म्स का ‘किस देश में है मेरा दिल’ था। बहुत ही कम समय में  छोटे पर्दे से लेकर फिल्मी दुनिया के बड़े पर्दे तक अपनी काबिलियत से अपनी जगह बनाने में कामयाब हो गए । वह एक सफल अभिनेता ओर एक अच्छे इंसान  थे । उन्होंने अपने फिल्मी करियर  में लगभग 12 फिल्मों ओर टीवी सीरियल  में काम किया था  फिल्मों में -वेल्कम टू न्यूयॉर्क, केदारनाथ, सोनचिड़िया, छिछोरे, ड्राइव और दिल बेचारा ,काईपो चे, शुद्ध देसी रोमांस, पीके, डिटेक्टिव ब्योमकेशबख्शी, एमएस धोनी: अनटोल्ड स्टोरी, राब्ता, आदि फिल्मों में काम किया था।

   “उस पल ही मौत से मुलाकात होगी जिस पल जिंदगी की आखरी सांस होगी ”  और ये जिंदगी उस ऊपर वाले का दिया हुआ अनमोल उपहार है उसी की इच्छा से जिंदगी मिलती  है ।मोत तो जिंदगी की सच्चाई है एक न एक दिन उससे मुलाकात तो होनी है  लेकिन उस जिंदगी देने वाले कि इच्छा के खिलाफ समय से पहले  ही लोग मोत को गले लगा लेते है  ओर पीछे रोते बिलखते परिवार  छोड़ जाते हैं  साथ ही  कई अनसुलझे सवाल  लोगों और समाज के सामने छोड़ जाते हैं  जिंदगी के सुख और दुख दो पहलू होते हैं जिंदगी में  दुख के  कुछ पल  क्या  आये अपने जीवन के अंत मे उनका हल ढूंढने लगते है । 

  • आत्महत्या  क्या है ? 


  आत्महत्या लैटिन भाषा के शब्द suicidium, sui caedere से,  लिया गया है जिसका अर्थ होता है “स्वयं को मारना” जानबूझ कर अपनी मृत्यु का कारण बनना है , आत्महत्या  “अपना जीवन स्वयं समाप्त” करने की क्रिया है। आज की इस भाग दौड़ की जिंदगी में यह  समाज का एक मार्मिक पहलु बन चुका है ।आये दिन ऐसी ही खबरे सुनने पढ़ने को मिलती है ।

  • क्या वजह होती है आत्महत्या की 

आत्महत्या अक्सर निराशा के चलते की जाती है, जिसके लिए अवसाद, द्विध्रुवीय विकार,  शराब की लत या मादक दवाओं का सेवन  बीमारियों से परेशान , जिंदगी से हतोत्सयित हो जाने , रोजगार की समस्या , आर्थिक समस्या, मानसिक विकारों पारिवारिक क्लेश , आदि को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है ।  

समाजशास्त्रियों के अध्ययनों से पता चलता है कि सामान्यतया आत्महत्या करने वाले लोग अवसाद एवं तनाव से ग्रसित होते हैं। ऐसे व्यक्ति मित्र व अपने परिवार से दूरी बनाने लगते हैं। परिणामस्वरूप उनमें बिखराव  ओर तनाव अलगाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। डिप्रेसिन ओर तनाव में  सुसाइड का एक मुख्य कारण होता है डिप्रेशन  के भी अनेक कारण हो सकते हैं. जैसे  पारिवारिक झगड़े, विवाहेत्तर संबंध ,आर्थिक स्थिति, मानसिक स्थिति, अकादमिक परेशानियां, कामधंधे का  दबाव, आपसी संबधो की उलझनें है, बेरोजगारी ऐसे कारणों का सही समय और  सही तरीके से समाधान न होने पर व्यक्ति आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाता है.।

 
आंकड़ो में आत्महत्या चिकित्सा विज्ञान की पत्रिका द लांसेट के मुताबिक युवाओं में आत्महत्या की दर भारत में सबसे अधिक है। इनमें अधिकतर छात्र हैं जो अध्ययन में अपेक्षित अंक नही मिलने पर या कम अंक मिलने का अंदेशा ओर भय,  किसी ओर कारणों से ये रास्ता अपना लेते है । एन.सी.आर.बी के मुताबिक भारत में आत्महत्या की दर दिनों दिन बढ़ रही है। जहाँ ये वर्ष 2016 में 9,478 तो वर्ष 2017 में 9,905 और 2018 में 10,159 छात्रों ने आत्महत्या की। भारत में आत्महत्या के मामले में विवाहित महिलाओं का प्रतिशत बहुत ज्यादा है जो कि वैश्विक औसत से 2.1 गुना अधिक है  ।

  • कब मनाया जाता है विश्व आत्महत्या निवारक दिवस 


दिनों दिन बढ़ती  आत्महत्याओ  की घटनाओं पर नियंत्रण लगाने ओर लोगो में  जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय एसोसिएशन फॉर आत्महत्या रोकथाम (इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रवेंशन-आईएएसपी) द्वारा प्रति वर्ष 10 सितंबर को  विश्व आत्महत्या निवारक दिवस मनाया जाता है ।

  • आत्महत्या समस्या का समाधान नही


आत्महत्या  करने के पीछे कोई वजह होती है। किसी समस्या के हल न होने की वजह से कोई आत्महत्या कर लेता है तो सोचने ओर समझने वाली बात है कि क्या आत्महत्या कर लेने या  मर जाने से उसका हल निकलेगा । अगर हल हो भी जाए तो क्या वह उस क्षण के सुख को भोगने के लिए वह मौजूद रहेंगा ? आत्महत्या  कर लेने में किसी समस्या का हल नहीं है, वरन होसलो के साथ उन परिस्थितियों से मुकाबला करने में है, चुनौतियों का सामना करने और प्रतिबद्धता के साथ हिम्मत दिखाने में है।

  • कैसे रोका जा सकता हैं  ? आत्मा हत्याओं को  जाने उपाय


 ओजस्वी वाणी के धनी जैन संत फूलक सागर जी महाराज की ये पंक्तियां तनाव भरे इस वातावरण में  पूर्णतया सार्थक है  । निश्चित रूप स्व ये पंक्तिया व्यक्ति में सकारात्मक विचारो का स्रोत साबित होती है विशेषकर उन लोगो के लिए जो हतास हो जाते है,थोड़ी से असफलता से आत्महत्या जैसा कदम उठाने की सोचने लगते है।

“कुछ सपनों के खो जाने से  जीवन नहीं मरा करताचंद खिलौनों के टूट जाने से बचपन नहीं मरा करता लाखों बार गगरिया टूटी  सिकंन आई न पनघट पर लाखों बार कश्तियां डूबी चहल-पहल वही है तट पर “इनको अपनाओ कभी नही आयेगा आत्म हत्या का विचार

(1). एकांत ओर अकेलापन इसे बढ़ावा देता है  याद रहे जब भी आत्महत्या,  सुसाइड का ख्याल मन मस्तिष्क में आये  तो किसी अपने और भरोसेमंद व्यक्ति के साथ बैठकर अपने मन की सभी बातें बोल दें।  ऐसा करने से आत्महत्या की चाह कम हो जाती है।

(2) आप यदि अपने परिवार के साथ बैठकर या दोस्तो के साथ  अपनी बात  साझा नहीं कर पा रहे हैं तो किसी मनोवैज्ञानिक या कंसल्टेंट की मदद लें सकते है ।  ऐसा करने से दिल का बोझ हल्का होता है ।

(3) आप ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ करती है आप खुद अपना महत्व समझे अपने आपको को अहमियत दें। 

(4) नकारात्मक विचार व्यक्त करने वाले लोगो से दूर रहे साथ ही जिंदगी में आत्म विश्वास पैदा करने वाले वीडियो देखें सकारात्मक सोच पैदा करने वाले गाने सुने ।

(5) जब ऐसा विचार मन में आये तो किसी अपनो के साथ वक्त बिताने के लिये  अपने कमरे से बाहर निकल जाए जो भी आपका पसंदीदा खेल है उसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाये।

(6) जिंदगी सुख दुख का ही नाम है माना आज दुःख हो तो कल सुख के दिन जरूर आएंगे जिंदगी में कितने भी उतार-चढ़ाव क्यों ना आएं आत्महत्या करने का ख्याल कभी मन में मत आने दीजिए।

(7) किसी समस्या को आप हल नही कर पा यह है तो परेशान न हो होसलो के साथ उसका सामना करे आज नही तो कल आप उसका हल जरूर निकल लेंगे ।

(8) समय अच्छे अच्छे घाव को भर देता है अगर आप किसी समस्या से दुखी है तो हतास होने की जरूरत नहीं आप उनका हल समय पर छोड़ दीजिए ।

(9) अगर आप आध्यात्मिक विचारधारा के व्यक्ति है तो अपने को  धार्मिक ग्रन्थ के अध्ययन में व्यस्त रखें ।

(10) ऐसा करने से पहले अपने परिवार और परिवारजनों के बारे में एक बार जरूर सोच ले कि उनके ऐसा करने से परिवारजनों का क्या हाल होगा ।

(11) यदि कोई व्यक्ति आपको तनाव में दिखे या  आपके समक्ष खुदकुशी की बात कर रहा है या इशारों में ही बताने की कोशिश कर रहा है तो उनकी बात को तवज्जो दें,उसको विश्वास में लेकर उसका हौसला बढाये उसे ऐसा वैसा बकोइ कदम नही उठाने के लिए समझाये।

(12) कोई  भी व्यक्ति अगर आपसे अपनी समस्या साझा कर रहा है तो उसे ध्यानपूर्वक सुनें  उसे तवज्जो दे और उन्हें एहसास करवाएं कि आप उन्हें हर समस्या से बाहर निकाल सकते हैं।

(13) हर व्यक्ति के जीवन में कुछ अच्छे पल,  यादगार पल होते है जब  समस्याओं के समाधान में  हौसलों के साथ  सामना ओर  समाधान किया हो ऐसे पलो को  याद दिलाकर उसका हौसला बढ़ाया जा सकता है । 

(14) ऐसे लोगों के सामने उनकी सफलताओं को बता कर उनका हौसला बढाये, लोगों को उनका उदाहरण देकर समझाएं कि वो कितने मजबूत ओर हौसले वाले हैं।इन सब से उसमे सकारातमक विचारधारा का विकास पैदा होता है ।

(15) कभी कभी हम लोग ऐसा कुछ समझ ही नही पाते या ऐसा मौका ही नही मिलता या आवेश में आकर लोग  ऐसा कदम उठा लेते है तसल्ली से उनके  गुस्से ओर आवेश को शांत करने में मदद करे है उसे समझाये की उनका पलभर का गुस्सा उसके ओर उसके परिवार के लिए घातक हो सकता है ।

(16) ऐसे व्यक्ति को किसी काउंसलर या मनोवैज्ञानिक से मिलवाये। कई बार आत्महत्या की कोशिश एक मानसिक बीमारी बन जाती है जिसमें मनोचिकित्सक की मदद से ही इसका समाधान निकाला जा  सकता है। आपका ये कदम किसी की जिंदगी बचा सकता है ।

(17) आत्महत्या के लगभग 70 से 80% मामलों में पूर्व संकेत मिल जाते है आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के व्यवहार, उसके विचार उसकी बातें से  अहसास हो जाता है कि सब कुछ ठीक नही । बस  हमारी थोड़ी सी सावधानी ओर जागरूकता  से ऐसी घटना से रोका जा सकता है उसे बचाया जा सकता है । 


जीवन है तो सब कुछ है जिंदगी को खुशनुमा तरीके से जीये सुख दुःख तो आते है चले जाते है।

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