कहा जाता हैं प्रकृति में भीअनमोल खजाना छुपा है और उस खजाने का मानव जीवन के अस्तित्व,मानव के दैनिक जीवन,अच्छे स्वास्थ्य में उपयोगिता स्वतः ही साबित होती है । साथ ही हमारी प्रकृति के द्वारा दिए गए ऐसे अनेक अनमोल उपहार है ये उपहार प्रकृति को सौम्य और सुंदर बनाती है, जीवन चक्र को संतुलित करती है। प्राकृतिक खजाने में प्राकृतिक धरोहर रूपी अनेक सजीव और निर्जीव वस्तुये है।
ऐसे अनेक पेड़ पौधे हैं जैसे तुलसी,नीम ,पीपल, और इनके अतिरिक्त अनेक पेड़ पौधे है जो औषधीय,आध्यात्मिक महत्व रखते हैं । ये सब प्रकृति ने हमे उपहार में दिये है। उनमें से गिलोय एक ऐसा उपहार जो मानव के लिए किसी अमृत से कम नहीं है । आइये जानते है इस अमृत रूपी पौधे के बारे में…..
क्या है गिलोय ?
गिलोय रूपी पौधा/बेल प्राकृतिक उपहार को जिसे हम सौ मर्ज की एक दवा कह सकते हैं और इसकी तुलना अमृत से की जाती है । इसलिए इसे संस्कृत में अमृता नाम दिया गया है साथ ही इसे मधुपर्णी,गुणुची और रसायनी के नाम से भी जाना जाता है । इस पौधे के पत्तों का आकार सुपारी के पत्तों के समान दिखाई देता है । आयुर्वेद में इसे महान औषधि माना गया है। धार्मिक मान्यताये है कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहां-जहां छलकीं, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाये तो इसका वानस्पिक नाम( Botanical name) टीनोस्पोरा कॉर्डीफोलिया (Tinospora cordifolia) है तथा इसके कुल का नाम Menispermaceae हैं ।
इसका वानस्पतिक नाम क्या है ?
पौराणिक मान्यताओं में गिलोय का महत्व
जहां तक धार्मिक औऱ पौराणिक मान्यताओं की बात करे तो पौराणिक कथाओं में भी गिलोय की चर्चा की जाती है । मान्यता है कि जब लंका में भगवान राम और रावण की सेना के बीच भीषण युद्ध हुआ था तब उसमें बड़ी संख्या में वानर मारे गये थे तभी भगवान राम ने आकाश से अमृत वर्षा का आह्वान किया । आकाश से अमृत रूपी वर्षा हुई और वानर पुनः जीवित हो गए । इसके साथ ही वर्षा की बूंद जमीन पर जहा जहा गिरी वहां वहां – वहां पर गिलोय के पौधे उगाए थे ।
राष्ट्रीय औषधि के रूप में गिलोय घोषित
आपने अब तक राष्ट्रीय पेड़, राष्ट्रीय पशु, राष्ट्रीय पक्षी, राष्ट्रीय भाषा, राष्ट्रीय फल, राष्ट्रीय फूल, जैसे नाम सुने होंगे लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के द्वारा 2018 में गिलोय को राष्ट्रीय औषधि घोषित करने की पहल की, ताकि इसके गुणों के प्रति आम जनता में जागरूकता पैदा की जा सके। देश दुनिया के लोग इसका महत्व समझ सके। इसको राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में मान्यता मिलना इसके महत्व को स्वतः सिद्ध करता है ।
गिलोय के औषधीय गुण और क्या है फायदे
इसके औषधीय गुणों के कारण आयुर्वेद में भी अनेक लाभ बताए जाते हैं, जो न केवल आपको सेहतमंद रखते हैं, बल्कि हमारी सुंदरता को भी निखारने में उपयोगी हैं। आइए जानते हैं गिलोय के कुछ फायदे… जैसा की वनस्पति विज्ञान के महान विद्वान डॉ हरीश गुप्ता एवं आयुर्वेदाचार्य और वरिष्ठ वैद्य श्री हनुमान प्रसाद शर्मा, वैद्य संजय शर्मा और इसके दूसरे अनेक जानकारों व स्रोतों से जाना और बताया………
गिलोय का सबसे पहला गुण यह है कि यह एक एंटीबायोटिक पौधा है जो एक ऐसी बेल के रूप में है, यह व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर उसे बीमारियों से दूर रखती है। साथ ही यह शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं। यह खून को साफ करती है, बैक्टीरिया से लड़ती है। लिवर और किडनी की अच्छी देखभाल भी गिलोय के बहुत सारे कामों में से एक है। ये दोनों ही अंग खून को साफ करने का काम करते हैं। इसके अतिरिक्त यह बुखार/ज्वर मे,उपयोगी, मधुमेह को सन्तुलित करने,पाचन शक्ति को ठीक करने ,मानसिक तनाव और स्ट्रेस को कम करने, आंखों की जलन को ठीक करने ,अस्थमा की बीमारी, गठिया रोग,अनीमिया को दूर करने में उपयोगी होता है । आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कोरोना महामारी के दौर में भी भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के द्वारा जो गाइडलाइन जारी की गई उसने काढा कारगर साबित बताया जिसमें गिलोय को भी एक एनर्जी बूस्टर के रूप में उपयोगी माना था। आयुर्वेद के विद्वान एवं कृष्ण गोपाल कालेडा आयुर्वेद औषधालय के वरिष्ठ वैद्य श्री हनुमान प्रसाद शर्मा ने बताया कि “यह वात -कफ और पित्त (त्रिदोस निवारक), त्वचा रोग,हर प्रकार के रोग निवारक के लिए एक रामबाण औषधि है साथ ही यह आयुवर्धक, रक्त शोधक औषधी है जिसका कोई मुकाबला नही है ।” इसके अतिरिक्त होम्योपैथीक औषधि के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है ।
कैसे किया जा सकता है गिलोय का प्रयोग
अब आपने गिलोय के फायदे जान लिए हैं, तो यह भी जानिए कि गिलोय को इस्तेमाल कैसे-कैसे होता है…इसे आप गिलोय जूस के रूप में ,काढ़ा बना कर,पाउडर बना कर,गिलोय वटी के रूप में आदि तरह से इसका प्रयोग किया सकता है । आज बाजार में यह हर रूप में उपलंध है । इसके अतिरिक्त इसका जूस, पावडर,काढ़ा बना कर आप अपने घर पर भी बना कर उपयोग में ला सकते। इसकी कितनी मात्रा में लिया जाये इस सब के बारे में आप अपने चिकित्सक या वेद से जरूर सलाह ले सकते है।
साइड इफेक्ट्स का रखें विशेष ध्यान
निसंदेह गिलोय एक रामबाण औषधि है लेकिन मानव शरीर पर इसका अलग-अलग प्रभाव हो सकता है कुछ व्यक्तियों पर इसके साइड इफेक्ट हो सकते हैं इसीलिए इसका उपयोग अपने चिकित्सक या अपने वेद से परामर्श करने के बाद ही करें। चूंकि यह खून में शर्करा की मात्रा कम करती है। इसलिए इस बात पर नजर रखें कि ब्लड शुगर जरूरत से ज्यादा कम न हो जाए। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गिलोय के सेवन से बचना चाहिए । पांच साल से छोटे बच्चों को गिलोय का प्रयोग ना करने दें । इसलिए आपको सलाह दी जाती हैं की इसका उपयोग करने से पूर्व आप अपने चिकित्सक या वेद से परामर्श अवश्य करें।
एक निवेदन और सलाह
अपने घर में, बड़े गमले या आंगन में ,घर के बगीचे, किचन गार्डन में जंहा भी उचित स्थान हो गिलोय की बेल अवश्य लगायें । यह बहु उपयोगी वनस्पति ही नही बल्कि आयुर्वेद का अमृत और मानव जीवन के लिए ईश्वरीय वरदान और प्राकृतिक धरोहर है ।