सरदार स्वर्ण सिंह समिति सन 1976 के बारे में कौन परिचित नहीं है। राजनीति विज्ञान विषय का विद्यार्थी हो या कोई इसमे रुचि रखने वाला या फिर कोई नेता या प्रशासक हर कोई उनसे परिचित है।
भारतीय संविधान में अब तक का सबसे बड़ा संविधान संशोधन(42 वा संविधान संशोधन 1976 ) इसी समिति के परामर्श के आधार पर किया गया था और यहां तक की संविधान की प्रस्तावना में भी अब तक केवल एक बार संशोधन इसी समिति की सिफारिशों के आधार पर किया गया था। ज्ञात हो कि 42 वें संविधान संशोधन 1976 को “मिनी संविधान” भी कहा जाता है।
- कांग्रेस ने किया था इस समिति का गठन
तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में रक्षा मंत्री सरदार स्वर्ण सिंह की अध्यक्षता मे इस समिति का गठन किया गया था । ज्ञात हो कि इस समिति का गठन मई 1976 को कांग्रेस पार्टी के तत्कालीन कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष देवकांत बरुआ द्वारा 26 फरवरी 1976 को की गई घोषणा के तहत की गई थी।
- स्वर्ण सिंह समिति में सदस्य संख्या कितनी थी?
सरदार स्वर्ण सिंह की अध्यक्षता वाली इस समिति में 01 सभापति और 11 सदस्यों सहित कुल 12 सदस्य थे । जिनके नाम निम्न प्रकार से है-
◆ सभापति :- सरदार स्वर्ण सिंह
◆ सदस्य:- समिति के अन्य सदस्य और उनके नाम
1.ए. आर.अंतुले (सदस्य सचिव)
2.एस. एस रे,
3.रजनी पटेल
4. एचआर गोखले
5. V A. सैयद मोहम्मद
6.वी एन गाडगिल
7. सी एम स्टीफन
8. डी.पी सिंह
9. D. C. गोस्वामी
10.वी. वी. साठे
11.बी.एन मुखर्जी
- इस समिति के परामर्श पर किये गए विभिन्न संशोधन
सन 1976 में 42वां संविधान संशोधन ही सरदार स्वर्ण सिंह समिति के परामर्श के आधार पर किया गया था।इनमे से कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान इस प्रकार से है जैसे-
● संविधान के भाग 4 में संशोधन करके 4 (क)जोड़ा गया तथा 10 मूल कर्तव्य शामिल किए गए थे । हालांकि सरदार स्वर्ण सिंह समिति ने 8 मूल कर्तव्य शामिल किए जाने का परामर्श दिया था।
● लोकसभा और राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष से बढ़ाकर 6 वर्ष किया गया ।
● भारतीय संविधान की प्रस्तावना में पहली बार और अब तक केवल एक बार संशोधन करके 3 नए शब्द (समाजवादी, पंथनिरपेक्ष और अखंडता) जोडे गए।
● समवर्ती सूची में 5 नए विषय( वन,वन्य जीव तथा पशु पक्षी, न्यायालय का प्रशासन,जनसंख्या नियंत्रण तथा परिवार नियोजन, शिक्षा,माप व बाँट,) जोड़े गए।
कौन थे सरदार स्वर्ण सिंह/जीवन परिचयमहान स्वतंत्रता सेनानी व राजनेता रहे सरदार स्वर्ण सिंह का जन्म पंजाब के जालंधर जिले के एक छोटे से गांव में 19 अगस्त 1907 को हुआ था।
- सरदार स्वर्ण सिंह का शैक्षणिक जीवन
इन्होंने कपूरथला के रणधीर कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के साथ कि इसके बाद राजकीय महाविद्यालय लाहौर में एमएससी (M. SC) की पढ़ाई की। ज्ञात हो कि जिन्होंने भौतिक विज्ञान में एमएससी की थी। इसके अतिरिक्त उन्होंने कानून की पढ़ाई(LL.B) भी की।
पढ़ाई करने के पश्चात इन्होंने कुछ समय के लिए खालसा कॉलेज जायलपुर में भौतिक विज्ञान के लेक्चरर के रूप में भी कार्य किया ।
- सरदार स्वर्ण सिंह का राजनीतिक जीवन
सरदार स्वर्ण सिंह सन 1946 में राजनीति में शामिल हुए और पंजाब विधानसभा के सदस्य बने। इसके अतिरिक्त लोकसभा सदस्य, राज्यसभा सदस्य व मंत्री रहे । विदेशी राजदूत ,व विदेशो में भारतीय शिष्टमंडलो का नेतृत्व भी उन्होंने किया।
●1952 से 1957 तक राज्यसभा। दूसरी लोकसभा से लेकर पांचवी लोकसभा तक पंजाब के जालंधर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से लगातार चार बार लोकसभा सदस्य रहे। ● देश के पहले आम चुनाव के बाद जब पंडित जवाहरलाल नेहरु केे नेतृत्व में पहली निर्वाचित सरकार गठित हुई उस समय सरदार स्वर्ण सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। 1952 से लेकर 1975 तक लगातार तीन प्रधानमंत्रियों के अधीन केंद्रीय मंत्री के रूप में भी रहे ।
ध्यातव्य-जैसे-1952 से 1957 तक निर्माण आवास और आपूर्ति मंत्री,1957 से 1962 तक इस्पात खान और इंधन मंत्री,1962 में रेल मंत्री,1963-1964 खाद्य और कृषि मंत्री रहे ।
● लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्रीत्व नेतृत्व काल में इन्हें 1964-1966 तक विदेश मंत्री के रूप में भी कार्य वहन किया , 1966 से 1970 तक श्रीमती इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में रक्षा मंत्री के रूप में रहे और 1970 में इनको फिर विदेश मंत्री बना दिया गया ।
● सरदार स्वर्ण सिंह ने कई बार संयुक्त राष्ट्र संघ में भेजे गए भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व किया और गुटनिरपेक्ष सम्मेलन में भी हिस्सा लिया था ।
● श्रीमती इंदिरा गांधी के नेतृत्व में पाकिस्तान, इंडोनेशिया, नाइजीरिया सहित कई देशों का दौरा किया ,इस कारण इनको रोलिंग एंबेसडर भी कहा जाता है,जिसका अर्थ होता है -“घुमंतू राजदूत”।
● राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर इन्होंने कई बार अपना पक्ष रखा। इस योगदान को देखते हुए सन् 1992 में उन्हें पदम विभूषण पुरस्कार से नवाजा गया ।
राजनीति से सन्यास लेने के बाद भी इन्होंने कई संगठनों के साथ जुड़कर समाज और राष्ट्र सेवा में अपना योगदान दिया, जैसे सन 1976 से 1981 तक “थिंक टैंक इंडियन काउंसलिंग ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स ” के अध्यक्ष भी रहे।
राजनीति हो,व्यक्तिगत जीवन या फिर विदेशी संबंधों पर अपनी सटीक टिप्पणी हर जगह इन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनाया। बहुमुखी प्रतिभा के धनी सरदार स्वर्ण सिंह का 30 अक्टूबर 1994 इनका देहांत हो गया ।
thanks
thanks its good