
भारत में ब्रिटेन के तरह संसदीय शासन प्रणाली को अपनाया गया है। भारत में इस संसदीय कार्यवाही को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है। :-
1 मध्यांतर से पहले की कार्यवाही।
2 मध्यांतर के बाद की कार्यवाही।
मध्यांतर से पूर्व की कार्यवाही में प्रश्नकाल और शून्यकाल की कार्यवाही होती है और मध्यांतर के बाद सदन में चर्चा और प्रस्ताव का समय होता है।
संसदीय शासन प्रणाली में कार्यपालिका, व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी होती है जिसके अंतर्गत कार्यपालिका को नियंत्रित करने की प्रक्रिया में अनेक साधनों में से प्रश्नकाल और शून्यकाल एक महत्वपूर्ण साधन /प्रक्रिया होती है ।
- प्रश्नकाल क्या होता है ?
संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) की कार्यवाही का पहला एक घंटा प्रश्नकाल के लिए निश्चित होता है। इस प्रश्नकाल में संसद सदस्य कार्यपालिका (मंत्रियों) से प्रश्न पूछते हैं और मंत्री उनका जवाब देते हैं। सामान्यतया संसद की कार्यवाही में प्रश्नकाल का समय 11:00 से 12:00 तक होता था लेकिन अब इन सदनों के प्रश्न काल के समय मे बदलाव हुआ है।प्रश्नकाल का उद्देश्य लोक हित से जुड़े हुए मुद्दों पर सरकार से जवाब लेना होता है, जानकारी प्राप्त करना है।
- अब प्रश्नकाल का समय बदल गया ।
शुरुआत में लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में प्रश्नकाल का समय एक साथ दोपहर 11:00 बजे से लेकर 12:00 बजे तक हुआ करता था लेकिन एक ही समय में दोनों सदनों में मंत्रियों का उपस्थित होकर सवालों का जवाब देना संभव नहीं था, इसीलिए राज्यसभा प्रक्रिया व संचालन नियम 38 में नवंबर 2014 में संशोधन किया गया और अब राज्यसभा में प्रश्नकाल का समय दोपहर 12:00 बजे से लेकर 1:00 बजे तक होता है जबकि राज्यसभा में पूर्व की भांति प्रश्नकाल का समय 11:00 बजे से लेकर 12:00 बजे तक होता है।
- ब्रिटिश संसदीय प्रणाली से है प्रेरित यह परंपरा
भारतीय संसदीय प्रणाली ब्रिटिश संसदीय प्रणाली से प्रभावित है और ब्रिटिश संसदीय प्रणाली में दोनों सदनों की कार्यवाही में प्रश्नकाल की एक परंपरा है इसी परंपरा को स्वतंत्र भारत की संसदीय शासन प्रणाली की कार्यवाही की एक परंपरा के रूप में स्वीकार कर लिया गया है।
प्रश्नकाल में पूछे गए प्रश्नों की सूचना 15 दिन पूर्व संबंधित सदन के अध्यक्ष/सभापति को देनी होती है।
प्रश्नकाल में सामान्यतः प्रश्न तीन प्रकार के होते हैं। तारांकित प्रश्न अतारांकित प्रश्न और अल्प सूचना वाले प्रश्न ।
- (1) तारांकित प्रश्न
यह वह प्रश्न होते हैं जिनमे प्रश्नों के साथ तारांकित * चिन्ह लगा हुआ होता है। इसका तात्पर्य है कि संसद सदस्य के द्वारा मौखिक रूप से पूछे जाने वाले प्रश्नों का उत्तर मंत्री के द्वारा मौखिक रूप से ही दिया जाता है तथा इनके बाद पूरक प्रश्न भी पूछे जा सकते है ।
- लोक सभा मे तारांकित प्रश्नों की अधिकतम संख्या
ज्ञात हो कि लोकसभा सदन की कार्यवाही में 01 दिन में अधिकतम 20 तारांकित सवाल ही पूछे जा सकते हैं और एक सदस्य के द्वारा अधिकतम 05 प्रश्न पूछे जा सकते हैं ।
- राज्य सभा मे तारांकित प्रश्नों को अधिकतम संख्या
राज्यसभा में तारांकित प्रश्नों की 01 दिन में अधिकतम संख्या 15 हो सकती है।
- (2) अतारांकित प्रश्न क्या होते है?
इस प्रकार के प्रश्न लिखित होते है और उनका उत्तर भी लिखित में ही दिया जाता है ।कहने का तात्पर्य इसमें हर प्रकार की रिपोर्ट लिखित में आवश्यक होती हैं। इसके अतिरिक्त अतारांकित प्रश्न के बाद पूरक प्रश्न नहीं पूछे जा सकते ।
- राज्यसभा अतारांकित प्रश्नों की अधिकतम संख्या
लोकसभा में इस प्रकार के प्रश्नों की एक दिन में अधिकतम संख्या 230 हो सकती है इससे अधिक नहीं और राज्यसभा में 01 दिन में अताराकित प्रश्नों की अधिकतम संख्या 160 तक हो सकती है।
- (3) अल्प सूचना वाले प्रश्न
किसी लोक महत्व के विषय पर पूर्व सूचना देकर इस प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं ।जिन्हें कम से कम 10 दिन पूर्व नोटिस दिया जाकर पूछा जा सकता है । यह प्रश्न माननीय सदस्यों द्वारा मौखिक रूप से पूछे जाते हैं और इन प्रश्नों का जवाब भी मंत्री द्वारा मौखिक रूप से ही दिया जाता है । इनका जवाब लिखित रूप से नही दिया जाता है। इस प्रकार के प्रश्नों के बारे में निर्णय लोकसभा अध्यक्ष/राज्यसभा सभापति करता है।
- शून्य काल क्या है ?
संसद की कार्यवाही और प्रक्रिया के अंतर्गत प्रश्नकाल की तरह ही प्रक्रिया के नियमों में शून्य काल का उल्लेख नहीं है। पहले यह दोनों सदनों में दोपहर के 12:00 बजे शुरू होता था इसीलिए इसे शून्यकाल कहा जाने लगा । लेकिन नियमो में शून्य काल का कोई उल्लेख नहीं है यह मात्र एक परंपरा मात्र है। इस तरह का यह अनौपचारिक साधन है। शून्यकाल में संसद सदस्य बिना पूर्व सूचना के किसी भी मामले को सदन में उठा सकते हैं।
सुनने काल में उठाए गए प्रश्नों पर कार्यवाही तुरंत ही जाते हैं क्योंकि यह सरकार को जवाबदेही बनाता है।
सामान्यतया शून्य काल प्रश्नकाल के तुरंत बाद शुरू होता है जो दोपहर 12:00 बजे से 1:00 बजे तक का होता है और इससे संसद के नियमित कार्य के कार्यक्रम के साथ किया जाता है। संसदीय कार्यवाही में सबसे अधिक विवाद और शोर-शराबा शून्य काल में ही देखा जाता है।
- राज्यसभा में शून्यकाल का बदला समय
नवंबर 2014 से शून्य काल का समय परिवर्तित कर दिया गया है ।लोकसभा में प्रश्नकाल के तुरंत बाद शून्य काल का समय होता है जो सामान्यत है 12:00 बजे से 1:00 बजे तक होता है यह पूर्व की भांति ही यथावत है,
जबकि राज्यसभा में शून्यकाल का समय नवंबर 2014 से परिवर्तित कर दिया गया है । अब राज्यसभा में शून्यकाल का समय प्रश्न काल के बादनहीं होकर अब 11:00 बजे से लेकर 12:00 बजे तक होता है और इसके बाद प्रश्न काल का समय होता है।
- शून्य काल भारत की देन
संसदीय प्रक्रिया और कार्यवाही में यह शून्य काल जैसा नवाचार भारत की एक महत्वपूर्ण देन है तथा यह सर्वप्रथम 1962 से शुरू हुआ था तब से वर्तमान तक यह संसदीय प्रक्रिया के हिस्से के रूप में यतावत जारी है ।