आम नागरिक हो या कोई संस्था, संगठन या फिर कोई ट्रस्ट , हर किसी का आय और व्यय का हिसाब होता है। समस्त माध्यमो से प्राप्त होने वाली आय, उस आय में से किसमें कितना खर्च करना है, खर्च के बाद बचत क्या रखी जा रही है । वर्तमान और भविष्य मे किन-किन मदो में खर्च होगा,किनकी संभावना है,किन क्षेत्रों में इन्वेस्ट किया जाएगा आदि.. आदि।
परिवार हो संस्था हो या फिर संगठन अपनी बचत में से कुछ हिस्सा अपने परिवार,संस्था, संघटन की आवश्यकताओं के लिए तो, कुछ आपातकालीन परिस्थितियों का सामना करने के लिए सुरक्षित रखते हैं। उसी प्रकार सरकार की बात की जाए तो सरकार भी विभिन्न माध्यमों से प्राप्त होने वाली आय , विभिन्न मदों में खर्च करने, आय में से धन निकालने, आपातकालीन परिस्थितियों का सामना करने और किसी अन्य प्रयोजन हेतु अलग-अलग फंड/ निधि का निर्धारण करती और धन की व्यवस्था करती हैं।
- निधि का शाब्दिक अर्थ
सरकार की विभिन्न निधियों पर चर्च करने से पहले हमें निधि क्या है ? इसे जान लेना चाहिये । आपको बता दें कि निधि का मतलब खजाना, धन होता है। यह ख़ज़ाना शब्द अरबी भाषा का शब्द हैं ,जिसका अर्थ, सोना, चाँदी के आभूषण और रुपए इत्यादि संचित करके रखने की जगह से हैं । इसके अतिरिक्त कोष व संचित धनराशि, राजस्व, कर जमा करने का स्थान खजाना या निधि कहलाता है।
- विभिन्न सरकारी निधियां
सरकार की समस्त प्रकार की आय, उसमें से खर्च करना अलग-अलग मद के लिए अलग-अलग निधि का निर्धारण करने के लिए निधि को अलग अलग भागों प्रकारों में विभाजित किया गया है । भारतीय संविधान द्वारा ही केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार की उस निधि को तीन भागों में विभाजित किया गया है ।
1.संचित निधि – अनुच्छेद 266(1)
2.आकस्मिक निधि – अनुच्छेद 267
3. लोक निधि -अनुच्छेद 266(2)
- संचित निधि – अनुच्छेद 266(1)
भारतीय सविधान के अनुच्छेद 266(1) में संचित निधि का उल्लेख है। यह ऐसी निधि है जिसके अंतर्गत सरकार को प्राप्त होने वाले सभी प्रकार के कर/राजस्व,जमा किये जाते है इसके अतिरिक्त भारत सरकार के सभी विधिक, प्राधिकृत भुगतान इसी निधि से किये जाते है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह भारत की सबसे बडी निधि है । यह निधि संसद के अधीन आती है , जिसकी अनुमति के बिना कोई भी धन विनियोजित,निकासी व जमा या भारित नहीं किया जा सकता है।
भारत के राष्ट्रपति ,उपराष्ट्रपति ,राज्यपाल, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, नियंत्रक महालेखा परीक्षक , संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्य, निर्वाचन आयोग के सदस्य जैसे सभी संवैधानिक पदों का वेतन संचित निधि से दिया (भारित) जाता है।विनियोग विधेयक और बजट जैसे खर्चे के लिए धन इसी संचित निधि से निकाला जाता है।
- संचित निधि से व्यय पर संसद में चर्चा व मतदान
संचित निधि से दो प्रकार से धन निकाला जाता है ।भारित व्यय और धन निकासी । भारित व्यय जैसे संवैधानिक पदाधिकारियों के वेतन पर संसद में चर्चा होती है पर मतदान नहीं होता है । जबकि संचित निधि से धन निकालने (बजट, विनियोग विधेयक) जाने के लिए विधेयक पर चर्चा भी होती है और लोक सभा मे मतदान भी होता है । राज्य सभा मे केवल चर्चा होती है।
- आकस्मिक निधि-अनुच्छेद 267
जैसा कि नाम से स्पष्ट है यह आकस्मिक या आपातकाल में उपयोग आने वाले धन/ संपति रखे जाने का खजाना/ निधि है । संविधान में इस कोष का निर्माण इसलिए किया गया है, ताकि संसद की स्वीकृति में वक़्त गवाए बिना जरूरत पड़ने पर आकस्मिक खर्चों के लिए संसद की स्वीकृति के बिना भी तुरंत राशि निकाली जा सके।
इस निधि का गठन सन् 1950 में “आकस्मिक निधि अधिनियम 1950 “के तहत किया गया था। यह एक संवैधानिक निधि है क्योंकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 267 में इसका उल्लेख किया गया है ।
- इस निधि पर राष्ट्रपति का होता है नियंत्रण
इस निधि पर कार्यपालिका प्रमुख राष्ट्रपति का ही नियंत्रण होता है और वित्त सचिव इसका संचालन करता है। आपातकालीन परिस्थितियों में जब बिना समय व्यतीत किये तुरंत ही राहत की जरूरत होती है तब इस नीधि में से आवश्यकतानुसार बिना संसद की पूर्व अनुमति के भी वह धन निकाला जा सकता है,या धन खर्च करने का आदेश दे सकता है ,ताकि आपातकालीन परिस्थितियों मे तुरंत राहत दी जा सके ।
* राष्ट्रपति इस नीधि में से तुरंत धन निकाल सकता है इस आशा और विश्वास के साथ के संसद की स्वीकृति बाद में ले ली जाएगी ।
* ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस नीधि का गठन संसद के द्वारा ही किया जाता है और वही यह निश्चित करती है कि इस निधि में कितने रुपये रखे जाएंगे ।
- लोक निधि -अनुच्छेद 226 (2)
लोक निधि का उल्लेख भी भारतीय संविधान के अनुच्छेद 266 (2) मे है इस लिये इसे संवैधानिक निधि कहा जा सकता है । ध्यान देने योग्य बात है कि अनुच्छेद 266 में संघ की तरह राज्यों की लोक निधि का भी प्रावधान है । यह एक ऐसी निधि है जिसका संग्रहण सरकार के द्वारा संग्रहित करो के अतिरिक्त किया जाता हो उदाहरण के लिये कर्मचारी भविष्य निधि से जमा किया गया धन, लोक निधि कहलाती है ।
- लोक निधि पर नियंत्रण
आकस्मिक निधि की तरह लोक निधि पर भी कार्यपालिका का ही नियंत्रण होता है लेकिन कार्यपालिका अपनी मनमर्जी से धन खर्च नही कर सकती क्योंकि लोक निधि में से हैं खर्च किए गए धन की जांच नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा की जा सकती है।