
निस्संदेह है भारतीय संविधान सभा ने 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में भारतीय संविधान का निर्माण किया था।जिसमें 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचियां और 22 भाग थे। संविधान सभा के गठन के बाद 13 दिसंबर 1946 को तीसरी बैठक हुई (पहली बैठक 09 दिसंबर व 11 दिसंबर 1946 को दूसरी) । इस तीसरी बैठक में पंडित जवाहरलाल नेहरु के द्वारा उद्देशिका प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। अब सबसे बड़ा सवाल यह था कि आखिर हमारा संविधान कैसा होगा कैसा,उसका रूप होगा, कैसा उसका ड्राफ्ट होगा इन सभी के समाधान के लिए संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए एक प्रक्रिया को अपनाया गया। आइए जानते हैं संविधान के प्रारूप की सटीक,तथ्यात्मक और संवैधानिक प्रक्रिया की पूरी कहानी।
- प्रारूप का क्या अर्थ है ?
सामान्य अर्थों में प्रारूप से मतलब किसी की बनावट, किसी का रुप, किसी का बाह्य दिखावटी रूप, एक पुस्तक या किसी समाचार पत्र या किसी प्रकाशन का प्रकाशन से पहले का बाह्य रूप, उसका आकार इसके अतिरिक्त किसी मीटिंग, किसी सभा, किसी संगठन का प्रारूप उसका बाह्य रूप से दिखाई देने वाला स्वरूप से लिया जाता है । जहां तक किसी पुस्तक या संविधान के प्रारूप का सवाल है तो संविधान निर्माण से पूर्व की अवस्था या उसे प्रकाशित करने की पूर्व अवस्था जिसमें उस को व्यवस्थित रूप से करने के लिए उसका एक स्वरूप, उसकी ड्राफ्टिंग, उसकी पांडुलिपि तैयार की जाती है उसका यही रूप प्रारूप कहलाता है।
- प्रारूप समिति क्या है ?
अब सवाल उठता है कि वर्तमान संविधान का प्रारूप तैयार किसने किया था ? तो आइए जानते हैं संविधान निर्माण से संबंधित प्रमुख समिति प्रारूप समिति के बारे में.. पी. सत्यनारायण राव के परामर्श पर संविधान सभा ने 29 अगस्त 1947 को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता वाली 7 सदस्य प्रारूप समिति का गठन किया था, जिसकी पहली बैठक 30 अगस्त 1947 को हुई।
1. इस नाम से भी जाना जाती है प्रारूप समिति- ध्यान देने योग्य बात है कि प्रारूप समिति को ही ड्राफ्टिंग कमेटी,मसौदा कमेटी, पांडूलेखन समिति के नाम से भी जाना जाता है।
2.अध्यक्ष और सदस्य -ध्यान देने योग्य बात प्रारूप समिति का संगठनअध्यक्ष– डॉ.भीमराव अंबेडकर,सदस्य– बी.एल मित्तर, गोपाल स्वामी आयंगर, के. एम. मुंशी, कृष्णस्वामी अय्यर,सैयद मोहम्मद सादुल्लाह, डी.पी. खेतान।
3. इन्होंने दिया समिति से त्यागपत्र-ध्यान देने योग्य बात है कि- कुछ समय बाद ही बी.एल. मित्तर ने संविधान सभा से ही त्यागपत्र दे दिया उनके त्यागपत्र देते ही प्रारूप समिति सेेेे सदस्यता भी स्वतः समाप्त हो गई। उनका पद रिक्त होते ही उनके स्थान पर एम. माधवराव को और पी. खेतान की मृत्यु होने पर टी कृष्णमाचारी को प्रारूप समिति का सदस्य बनाया गया था।
- संविधान के प्रारूप निर्माण की पूरी कहानी
संविधान के प्रारूप को पांडू लेखन, ड्राफ्ट, मसोदा आदि नाम से जाने जाते हैं । प्रारूप किसने निर्मित किया यह सवाल उत्पन्न होते ही मन और मस्तिष्क में प्रारूप समिति का नाम ही आ जाता है लेकिन आपको बता दें की प्रारूप निर्माण करने व संविधान निर्माण करने में प्रारूप समिति का बहुत बड़ा योगदान रहा है लेकिन संविधान का पहला प्रारूप प्रारूप समिति ने तैयार नहीं किया ,तो आखिर किसने तैयार किया संविधान का प्रारूप ? और क्या योगदान रहा प्रारूप समिति का। आइए जानते हैं संविधान के प्रारूप निर्माण की पूरी कहानी।
- इन्होंने तैयार किया था संविधान का पहला प्रारूप
संविधान सभा के गठन के पश्चात संविधान कैसा हो, क्या कुछ इसमें शामिल किया जाये,क्या प्रावधान किया जाए आदि विषय पर संविधान सभा के सदस्य, केंद्रीय विधान सभा के सदस्यों और प्रांतीय विधानसभा के सदस्यों से परामर्श मांगे गए । इनके द्वारा दिए गए सुझाव और सलाह पर विचार विमर्श करने के लिए संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार श्री बी.एन.राव (ICS अधिकारी) को यह जिम्मेदारी सौंपी गई कि वे संविधान का एक प्रारूप तैयार करें । बी.एन.राव ने अपनी पूरी जिम्मेदारी से अक्टूबर 1947 तक संविधान का पहला प्रारूप तैयार कर लिया।
ध्यातव्य – संविधानिक सलाहकार बी.एन.राव के द्वारा तैयार किए गए संविधान के इस पहले प्रारूप में 240 अनुच्छेद और 13 अनुसूचियां थी।
- प्रारूप समिति ने तैयार किया दूसरा प्रारूप तैयार
बी. एन. राव के द्वारा तैयार किए गए इस प्रारूप को प्रारूप समिति को सौंप दिया गया । डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता वाली इस प्रारूप समिति ने गहनता से विचार-विमर्श किया और दूसरा प्रारूप तैयार करके 21 फरवरी 1948 को इसे संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद को सौंप दिया गया।इस प्रारूप का पुनःमुद्रित संस्करण दूसरी बार 26 अक्टूबर 1948 को संविधान सभा के अध्यक्ष सौंपा गया था और इसके बाद सविधान सभा का सातवां अधिवेशन के दौरान 4 नवंबर 1948 को डॉ आंबेडकर ने इसे संविधान सभा के पटल पर प्रस्तुत किया ।
ध्यातव्य – प्रारूप समिति के द्वारा संविधान सभा के पटल पर रखे गए इस दूसरे प्रारूप को संविधान सभा ने स्वीकार कर लिया। अब इस प्रारूप में कुल 315 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थी ।
- नेहरू समिति का रहा योगदान
डॉक्टर बी.एन.राव के द्वारा प्रस्तुत संविधान के प्रारूप के आधार पर प्रारूप समिति के द्वारा संविधान का जो दूसरा प्रारूप संविधान सभा में प्रस्तुत किया था,उस संबंध में संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद ने इन सुझावों और इस प्रारूप पर विचार करने के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरु की अध्यक्षता में एक विशेष समिति का गठन किया। इन्हीं की रिपोर्ट के पश्चात संविधान सभा ने संविधान के प्रारूप को स्वीकार कर लिया जो कि एक मूल दस्तावेज के रूप में जाना जाता है।
- प्रारूप पर तीन वाचन
सविधान सभा के द्वारा इस प्रारूप पर तीन वाचन किये गए जिनमे से …पहला वाचन 4 नवंबर 1948 से 9 नवंबर 1948 दूसरा वाचन 15 नवंबर 1948 से 17 अक्टूबर 1949तीसरा वाचन 17 नवंबर 1949 से 26 नवंबर 1949 तक चला ।
बहुत बढ़िया पहल ह् आपकी जो आप इस तरह कि जानकारी समय समय पर उपलब्ध करवाते हो उसके लिए धन्यवाद आप दवारा उपलब्ध करवाई गईं जानकारी से सभी को लाभार्थी होते ह् पुन धन्यवाद