
संसदीय शासन व्यवस्था व संसदीय कार्यप्रणाली व उसकी नियमावली में कई प्रकार के प्रस्ताव जैसे विश्वास प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव, निंदा प्रस्ताव, काम रोको प्रस्ताव, कटौती प्रस्ताव आदि इन मे से सरकार के जीवन कोर कार्यकाल को निर्धारित करने में सबसे महत्वपूर्ण प्रस्ताव है विश्वास प्रस्ताव । लोकसभा के विश्वास मत होने तक ही कार्यपालिका /मंत्रीपरिषद अपने पद पर बनी रहती है। विश्वास मत हासिल करने के लिए 272 के जादुई आंकड़े का बहुमत प्राप्त करना होता है।
- विश्वास प्रस्ताव क्या है ?
अविश्वास प्रस्ताव और अविश्वास प्रस्ताव को समझने के लिए यह जान लेना आवश्यक है की दोनों की परिभाषा एकदम रूप से एक दूसरे के विपरीत होती है लेकिन विश्वास प्रस्ताव और अविश्वास प्रस्ताव दोनों का उद्देश्य एक ही होता है । विश्वासमत प्राप्त करनेेे के लिए सत्ताधारी दल को सदन मतदान के दौरान बहुमत प्राप्त्त करना होताा हैं बहुमत का यह जादुई आंकड़ा 272 है ।
- लोकसभा प्रक्रिया नियामवली में विश्वास प्रस्ताव
संसदीय कार्य प्रणाली में लोकसभा की प्रक्रिया नियमों के नियम 198 के तरह विश्वास प्रस्ताव के संबंध में लोकसभा कार्य संचालन प्रक्रिया मेमो में कोई विशेष नियमों का उल्लेख नहीं है, इसलिए लोकसभा कार्य संचालन नियम 184 के अंतर्गत ही निर्दिष्ट किए गए प्रस्ताव जो लोकहित के मामलों पर चर्चा करवाने के लिए हैं उचित श्रेणी के अंतर्गत इन्हें शामिल किया गया है ऐसे प्रस्ताव पर निर्णय नियम 193 के अधीन लोकसभा के समक्ष सभी आवश्यक प्रश्न रखकर किए जाते हैं
- सत्ता पक्ष द्वारा लाया जाता है विश्वास प्रस्ताव
ध्यान देने योग्य बात है कि विश्वास प्रस्ताव सत्ता पक्ष द्वारा लाया जाता है और अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष द्वारा ही लाया जाता है । संसदीय शासन प्रणाली में कार्यपालिका का जीवन लोकसभा के विश्वास मत पर ही निर्भर करता है सरकार के बने रहने के लिये लोकसभा में बहुमत जरूरी है ।कई बार सरकार को सदन में बहुमत साबित करना पड़ता है इसके लिए सरकार विश्वास प्रस्ताव ला सकती है या फिर विश्वास मत प्राप्त नहीं होने के अंदेशा में सरकार पहले से ही त्यागपत्र दे देती है ।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि विश्वास प्रस्ताव भी अविश्वास प्रस्ताव की तरह ही केवल लोकसभा में ही लाया जा सकता है
- अब तक कितनी बार लाया गया विश्वास प्रस्ताव
सन 1952 में प्रथम लोकसभा के गठन के से लेकर 17 वी लोकसभा तक कुल 12 बार सरकार द्वारा विश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है ।
6 वीं लोकसभा (23/3/1977- 22/8/1979)के दौरान मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्रीत्व कार्यकाल में एक बार विश्वास प्रस्ताव लाया गया।
9 वी लोकसभा (2 दिसंबर 1989 से 13 मार्च 1993) में तीन बार विश्वास प्रस्ताव लाया गया। 1990 में वीपी सिंह सरकार को विश्वास मत साबित नहीं होने के कारण त्यागपत्र देना पड़ा।
10 वीं लोकसभा ( 20/6/ 1991 से 10/5/1996) एक बार विश्वास प्रस्ताव लाया गया।
11 वीं लोकसभा (15 /5/1996 से 4/12/1997) में 4 बार विश्वास प्रस्ताव लाया गया। 1997 में एच डी देवगौड़ा को भी विश्वास मत हासिल नहीं होने के कारण पद छोड़ना पड़ा।
12 वीं लोकसभा (19/3/1998 से 26/4/ 1999) में 2 बार विश्वास प्रस्ताव लाया गया। 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान विश्वास मत प्राप्त नहीं होने से सरकार को त्यागपत्र देना पड़ा था।
14 वीं लोकसभा (17/5/ 2004 से 8/5/2009)में एक बार विश्वास प्रस्ताव लाया गया था।
- ध्यातव्य
भारतीय संसदीय इतिहास में अब तक कुल 12 बार विश्वास प्रस्ताव लाया गया जिनमें से तीन बार 1990 में वी.पी सिंह, 1997 एच डी देवगौड़ा और 1998 अटल बिहारी वाजपेयी सरकार को त्यागपत्र देना पड़ा था।