भारतीय संविधान के अनुसार केंद्र में संसदीय शासन प्रणाली की तरह प्रान्तों/राज्यों में भी संसदीय शासन प्रणाली का ही प्रावधान किया गया है । जिसमें वास्तविक कार्यपालिका और नाम मात्र की कार्यपालिका का भेद होता है।
संविधान के अनुसार प्रान्तों में अनुच्छेद 163 के तहत राज्यपाल को उसके कार्यों में सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्री परिषद होगी जिसका मुखिया मुख्यमंत्री होगा और राज्यपाल उसी मंत्री परिषद की सलाह के अनुसार ही कार्य करेगा ।
केंद्रीय मंत्री परिषद की तरह ही राज्यों/प्रान्तों में भी मुख्यमंत्री के अतिरिक्त (1) कैबिनेट मंत्री (2) राज्यमंत्री (१.स्वतंत्र प्रभार ,२.सहायक) (3) उप मंत्री होते है।
- उप मुख्यमंत्री
इन सब के अतिरिक्त समय-समय पर भारतीय राज्य व्यवस्था में उपमुख्य मंत्री पद का भी अस्तित्व रहा है और उसकी नियुक्ति होती रही है। सच्चाई का दूसरा पहलू यह भी है कि उप मुख्यमंत्री के पद का प्रावधान संविधान के बाकी प्रावधानों से थोड़ा अलग है और थोड़ा हटकर है । आइए जानते हैं राज्यों में उप मुख्यमंत्री पद के बारे में उन अनछुए पहलुओं को जिनको आप जानना चाहते हैं ।
- संविधान में उप मुख्यमंत्री पद का उल्लेख
प्रांतीय मंत्री परिषद में मुख्यमंत्री , कैबिनेट मंत्री,राज्य मंत्री और उपमंत्री पद का प्रावधन संविधान में हैं लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारतीय संविधान के अनुसार केन्द्र में उप प्रधानमंत्री पद की तरह राज्य सरकारो में उप मुख्यमंत्री पद का कहीं कोई उल्लेख नहीं है ।अतः इस पद को हम गैर संवैधानिक पद भी कह सकते हैं । हर चुनाव के बाद जब सरकार का गठन होता है तो हर बार इस पद को भरने की कोई संवैधानिक अनिवार्यता भी नहीं होती फिर भी समय- समय पर इस पद का अस्तित्व रहा है । इस पद पर नियुक्ति होती रही है । यह कैबिनेट का एक वरिष्ठतम मंत्री होता है जिसे उप मुख्यमंत्री पद का दर्जा प्रदान किया जाता रहा । मुख्यमंत्री के बाद इसे ही सबसे वरिष्ठ माना जाता है।
- उप मुख्यमंत्री की नियुक्ति
मंत्री परिषद के सदस्यों में मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों के बारे में प्रावधान है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 के अनुसार मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल के द्वारा की जाएगी तथा उनके परामर्श पर ही अन्य मंत्रीयों की नियुक्ति राज्यपाल के द्वारा ही की जाएगी । आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि संविधान के किसी भी अनुच्छेद में उप मुख्यमंत्री की नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं किया गया है ।
सामान्यतया मुख्यमंत्री के द्वारा ही कैबिनेट स्तर के मंत्री को उप मुख्यमंत्री पद का दर्जा दिया जाता है । यह एक वरिष्ठतम मंत्री होता है । जब किसी पार्टी में प्रभावशाली व्यक्तित्व और राजनीतिक महत्वकांक्षा रखने वाले व्यक्ति एक से अधिक होते हैं या किसी भी प्रकार के राजनीतिक गठबंधन के परिणामस्वरूप मंत्री परिषद के गठन के दौरान इस प्रकार की परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती है कि मुख्यमंत्री के द्वारा ऐसे व्यक्ति को उप मुख्यमंत्री पद का दर्जा देना पड़ सकता है। उप मुख्यमंत्री की नियुक्ति पूर्णतया तत्कालीन राजनीति, राजनीतिक समीकरण और परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
- उप मुख्यमंत्री किसके प्रति उत्तरदायी होता है ?
मंत्री परिषद के सदस्य सामान्यतः सामूहिक रूप से विधान सभा के प्रति और व्यक्तिगत रूप से राज्यपाल के प्रति उत्तरदायी होते हैं लेकिन उप मुख्यमंत्री जो कि एक कैबिनेट मंत्री ही है । वह एक कैबिनेट मंत्री के रूप में तो वह व्यक्तिगत रूप से राज्यपाल के प्रति ही उत्तरदायी होता है लेकिन उप मुख्यमंत्री के रूप में वह व्यक्तिगत रूप से मुख्यमंत्री के प्रति ही उत्तरदायी होता है।
- उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ?
मंत्री परिषद के सदस्यों के द्वारा ली जाने वाली शपथ का प्रावधान संविधान में उल्लेखित है । मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों को राज्यपाल के द्वारा पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई जाती है लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ का कोई प्रावधान संविधान में नहीं है। क्योंकि जब इस पद का उल्लेख संविधान में है ही नहीं तो शपथ का उल्लेख स्वाभाविक रूप से संविधान में होगा ही नहीं । सामान्यतया उप मुख्यमंत्री के पद पर नियुक्त होने वाला व्यक्ति उप मुख्यमंत्री पद की नहीं बल्कि एक कैबिनेट मंत्री पद की शपथ लेता है ।
- उप मुख्यमंत्री का कार्यकाल
उप मुख्यमंत्री जो की मंत्रिमंडल का एक वरिष्ठतम सदस्य होता है । एक मंत्री के रूप में उसका कार्यकाल सामान्यतया मंत्री परिषद के अस्तित्व तक रहता है या उससे पहले भी उसे हटाया जा सकता है या उससे त्याग पत्र मांग जा सकता है लेकिन जहां तक उप मुख्यमंत्री पद की बात है तो उसका उप मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल मुख्यमंत्री की इच्छा और राजनीतिक समीकरणों पर निर्भर करता है । मुख्यमंत्री के साथ किसी प्रकार का मतभेद, विवाद होने , राजनीतिक समीकरण बदलने, गठबंधन टूटने पर उसे पद छोड़ना पड़ता है।
- उप मुख्यमंत्री का वेतन
किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री, और मंत्री परिषद के अन्य सदस्यों का वेतन उस राज्य की विधान सभा अपने बहुमत से निश्चित करती है जो कि अलग- अलग राज्यों में अलग अलग हो सकता है । इसके वेतन का उल्लेख संविधान की दूसरी अनुसूची में है लेकिन उप मुख्यमंत्री के वेतन का उल्लेख संविधान में नही है ।
ज्ञात हों की मुख्यमंत्री, मंत्री, को जो वेतन-भत्ते मिलते हैं, उस पर उन्हें इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता है। इस पर लगने वाले इनकम टैक्स का भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है।
- देश के किसी राज्य का पहला उप मुख्यमंत्री कौन बना
भारत के किसी भी राज्य में पहले उप मुख्यमंत्री बनने की बात करे तो आपको जानकर आश्चर्य होगा कि न केवल स्वतंत्रता के बाद बल्कि स्वतंत्रता से पूर्व भी इस पद का अस्तित्व रहा था।
बिहार ऐसा पहला राज्य है जहां अंग्रेजो ने स्वतंत्रता के पहले ही 1937 सेे 1939 तक उपमुख्यमंत्री बनाया गया था । उसके बाद निर्वाचित सरकारो में भी स्वतंत्रता के साथ ही उप मुख्यमंत्री बने।
ये थे पहले उप मुख्यमंत्री
आधुनिक बिहार के जनक, बिहार विभूति डॉ.अनुग्रह नारायण सिंह सिन्हा ही वह पहले व्यक्ति है जो सबसे पहले किसी राज्य में उप मुख्यमंत्री बने। 1935 के अधिनियम के तहत गठित सरकार में 1937 से 1939 तक उप मुख्यमंत्री रहे उसके बाद 1946 से लेकर 1957 तक ( मृत्यु 5 जुलाई 1957 तक) लगातार लगभग 11 वर्ष उप मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद राजस्थान और पंजाब में इस पद का सृजन हुआ ।
- ध्यातव्य – डॉ.अनुग्रह नारायण सिंह एक स्वतंत्रताा सैनानी थे । इन्होंने महात्मा गांधी और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के साथ मिलकर चंपारन सत्याग्रह में भाग लिया था । येे अपने प्रारंभिक जीवन में एक शिक्षक और एक अधिवक्ता भी रहे थे । इस महान विभूति को ही आधुनिक बिहार का जनक कहां जाता है ।
- आंध्रप्रदेश ऐसा राज्य है जहां एक साथ 5 उप मुख्यमंत्री रहे।