
किसीभी राज्य के शासन और प्रशासन को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से नीति निर्धारण करने, राज्य सरकारों की नीतियों,योजनाओं को आम जनता तक पहुंचाने,उन्हें लागू करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य स्तर, संभाग स्तर, जिला स्तर, उपखण्ड स्तर, तहसील स्तर और ग्राम पंचायत स्तर विभाजित किया है और प्रत्येक स्तर पर लोक सेवकों की आवश्यकता रहती हैं। इन लोक सेवकों के सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी शासन सचिव कहलाते हैं ।
किसी भी राज्य के प्रशासन को सुगमता से चलाने कानून व्यवस्था और प्रशासनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्यों को संभागों में और संभागों को जिलों में और जिलों को उपखण्ड, उपखण्डों को तहसीलो और ग्राम पंचायत में विभाजित किया जाता है।
- Highlights
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- ० उपखण्ड मुख्यालय
- ० किस जिले में कितने उपखण्ड
- ० राज्य सेवा का अधिकारी होता है – SDO/SDM
- ० SDO (Sub divisional Officer)
- ० SDO ( Sub divisional Officer ) के कार्य
- ० SDM ( Sub divisional magistrate)
- ० SDM ( Sub divisional magistrate) के कार्य
- उप जिला कलेक्टर का होता है दर्जा
- कलेक्टर और तहसीलदार के मध्य कड़ी के रूप में कार्य
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- उपखण्ड मुख्यालय
जिले की प्रशासनिक और राजस्व व्यवस्था को मध्य नजर रखते हुए जिलों को इकाइयों में विभाजित किया जाता है । इन ईकाइयों को उपखंड (sub Divisional) कहा जाता है । इन्हें अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम से भी जाना जा सकता है और उपखंड स्तर का सर्वोच्च अधिकारी उपखंड अधिकारी ( Sub divisional Officer) कहलाता है । समानता दो या तीन तहसीलों पर एक उपखंड कार्यालय की व्यवस्था होती है लेकिन यह बातें थ नहीं । उपखंड मुख्यालय के इस सर्वोच्च अधिकारी को जिला कलेक्टर की आंख, कान और उप जिला कलेक्टर या परगना अधिकारी भी कहा जाता है
ध्यातव्य – प्राप्त जानकारी के अनुसार राजस्थान मेंं कुल 244 उपखंड मुख्यालय है। जिलों के आधार पर देखा जाए तो सर्वाधिक उपखंड मुख्यालय जयपुर जिले में 13 है । जबकि सबसे कम उपखंड मुख्यालय जैसलमेर जिले में 3 है।
- किस जिले में कितने उपखण्ड
गंगानगर -9 हनुमानगढ़ 7 ,,बीकानेर 8 ,चूरू 6, झुंझुनू 6, अलवर 12, भरतपुर 10, धौलपुर 5, करौली 6, सवाई माधोपुर 7,दोसा 5, जयपुर 13, सीकर 6, नागौर 10,जोधपुर 7 ,जैसलमेर 3, बाड़मेर 8 ,जालौर 7,सिरोही 5 ,पाली 9, अजमेर 9,टोंक 7, बूंदी 5, भीलवाड़ा 12, राजसमंद 7, डूंगरपुर 5, बांसवाड़ा 10, चित्तौड़ 5 ,कोटा 8 ,बारां 7, झालावाड़ 11, उदयपुर 4 ,प्रतापगढ़ 5,
- राज्य सेवा का अधिकारी होता है – SDO/SDM
उपखंड स्तर के प्रशासनिक और राजस्व मुखिया (SDO) राज्यसेवा का अधिकारी होता है ,जिसकी नियुक्ति राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा के माध्यम से की जाती है या फिर तहसीलदार के पदों से पदोन्नत भी किया जा सकता है। कार्मिक विभाग द्वारा ही उपखंड अधिकारी का स्थानांतरण और उनकी पदोन्नति की जाती है।
उपखंड स्तर पर मुखिया एसडीओ(SDO)
सामान्य दो प्रकार के कार्य होते हैं। प्रशासनिक और कानूनी सम्बधित कार्य तथा राजस्व संबंधी कार्य ।
- SDO (Sub divisional Officer)
एसडीओ की फुल फॉर्म(full form) सब डिविजनल ऑफीसर (Sub divisional Officer ) होती है । इस पद पर कार्य करने वाला व्यक्ति जब उपखंड स्तर के समस्त प्रकार के राजस्व संबंधी कार्यों का संपादन करता है तब उसे एसडीओ (SDO) कहा जाता है ।
- SDO ( Sub divisional Officer ) के कार्य
इसके अंतर्गत फसल की स्थिति का आंकलन करना और उससे संबंधित समस्त प्रकार की रिपोर्ट तैयार करवाना, उपखंड स्तर क्षेत्र की राजस्व संबंधी रिपोर्ट तैयार करवाना और उसे जिला कलेक्टर को सोंपना, भू राजस्व संग्रहण की प्रक्रिया को दुरुस्त करना और इसमें आने वाली समस्त प्रकार की समस्याओं का समाधान और उनका निस्तारण करना, पटवारी, कानूनगो,गिरदावर और भू-अभिलेख निरीक्षक के कार्यों का निरीक्षण करना और आवश्यकतानुसार उसे निर्देशित करना,इसके अतिरिक्त ग्राम पंचायत और ग्राम पंचायत के अधीन आने वाले समस्त गांवों का भू अभिलेख तैयार करवाना जैसे कार्य राजस्व अधिकारी के रूप में संपादित किए जाते हैं ।
- SDM ( Sub divisional magistrate)
उपखंड स्तर पर सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी SDO जब उपखंड स्तर के प्रशासनिक और न्यायिक कार्यों का संपादन करता है तो वह एसडीएम कहलाता है ।यह सब न्यायिक कार्यो में आते है ।
- SDM ( Sub divisional magistrate) के कार्य
सामान्यत जिला स्तर पर जो कार्य जिला कलेक्टर के द्वारा किए जाते हैं,उसी प्रकार के कार्य उपखंड स्तर पर एसडीम(SDM) के द्वारा किए जाते हैं । जैसे उपखण्ड स्तर के पूरे क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाए रखना, जेल व पुलिस थानों का निरीक्षण करना, शांति व्यवस्था बनाए रखने में पुलिस प्रशासन का सहयोग लेना और उन्हें निर्देशित करना ,फौजदारी प्रकरण की जांच करने, और जरूरत होने पर धारा 144 को लागू करना जैसे कार्य किए जाते हैं ।
सरकारी भूमि पर अतिक्रमण रोकने, अतिक्रमण की शिकायत पाए जाने पर उसकी जांच करवाना और उन्हें प्रशासन और पुलिस की मदद से हटवाना । उचित मूल्य की दुकानों पर नियंत्रण रखना, खाद्य सुरक्षा योजना जैसी सुरक्षा योजनाओं को लागू करना और उचित मूल्य की दुकानों पर ईमानदारी से कार्य निर्माण नहीं करने के दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई का आदेश जारी करना, गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों से संबंधित कार्यक्रमों के संदर्भ में आवश्यक जानकारी प्राप्त करना, राजस्व अभियान के अंतर्गत जन शिकायतों का निपटारा करना , क्षेत्र के समस्त लोक सेवाओं के अधिकारियों पर नियंत्रण रखना और उनका सर्वेक्षण का कार्य करना। समस्त कार्य को यह जाने में प्रशासन की मदद लेना और आवश्यकतानुसार दिशा निर्देश देना।
- उप जिला कलेक्टर का दर्जा
प्रत्येक जिले को उप खण्डों में विभाजित किया जाता है और प्रत्येक उपखण्ड का एक मुखिया /अधिकारी होता हैं जिसे सब डिविजनल ऑफीसर /सब डिविजनल मजिस्ट्रेट कहा जाता है,जिन्हें उप जिला कलेक्टर का दर्जा प्राप्त होता है ।
- कलेक्टर और तहसीलदार के मध्य कड़ी के रूप में कार्य
उपखंड स्तर का सर्वोच्च अधिकारी उपखंड अधिकारी जिले में जिला कलेक्टर और तहसीलदार के मध्य एक कड़ी के रूप में कार्य करता है तथा उपखंड स्तर पर राजस्व और प्रशासनिक और न्यायिक कार्यो को सफलतापूर्वक संचालन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है