संविधान में उल्लेख नही, न इस पद की शपथ ली जाती है बस ऐसा ही है उप मुख्यमंत्री का पद । सही पढा आपने, भारतीय संविधान के तहत राज्य सरकारो में उपमुख्यमंत्री पद का कहीं कोई प्रावधान नहीं है । यह पद गैर संवैधानिक पद हैं ।

  • उप मुख्यमंत्री की नियुक्ति संवैधानिक बाध्यता नहीं

विधानसभा चुनाव के बाद जब सरकार का गठन होता है तो हर बार इस पद को भरने की कोई संवैधानिक बाध्यता भी नहीं होती फिर भी समय समय पर इस पद का अस्तित्व रहा है । जब सत्ताधारी पार्टी में प्रभावशाली व्यक्तित्व और राजनीतिक महत्वकांक्षा रखने वाले व्यक्ति एक से अधिक हो या किसी भी प्रकार के राजनीतिक गठबंधन के परिणामस्वरूप मंत्री परिषद के गठन के दौरान इस प्रकार की परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती है कि उप मुख्यमंत्री की नियुक्ति करनी पड़ती है।

  • बिहार के बाद हुआ यहां पद का सृजन

उप मुख्यमंत्री की नियुक्ति पूर्णतया तत्कालीन राजनीति, राजनीतिक समीकरण और परिस्थितियों पर निर्भर करता है। देश के किसी भी राज्य में उपमुख्यमंत्री का पद सर्वप्रथम बिहार में सृजित हुआ था । उसके पश्चात दूसरे कई राज्यों में समय-समय पर उपमुख्यमंत्री पद सृजित होता रहा है ।

राजस्थान भी उन परिस्थितियों से अछूता नहीं रहा ।राजस्थान के पहले आम चुनाव से ही उप मुख्यमंत्री पद का सृजन हो गया था जिसका अस्तित्व आज भी है ।

  • राजस्थान में कब और कौन रहे उप मुख्यमंत्री

निसंदेह भारतीय संविधान में उपमुख्यमंत्री पद का उल्लेख नहीं है फिर भी राजस्थान में आम चुनाव (1952) के बाद पहली बार निर्वाचित सरकार बनने (मार्च 1952)  से लेकर 15 वी विधानसभा चुनाव के बाद गठित सरकार तक कुल 05 व्यक्ति अलग-अलग मुख्यमंत्रीयों के कार्यकाल में रहे उप मुख्यमंत्री ।


टीकाराम पालीवाल

देश की स्वतंत्रता के पश्चात जब राजस्थान में विधानसभा के प्रथम आम चुनाव 1952 हुये और सरकार का गठन हुआ जिसमे शुरू में टीकाराम पालीवाल और बाद में जयनारायण व्यास मुख्यमंत्री बने । व्यास के ही कार्यकाल में टीकाराम पालीवाल को राजस्थान का पहला उप मुख्यमंत्री बनाया गया । इनका कार्यकाल 01 नवम्बर 1952 से लेकर 13 नवम्बर 1954  कुल 2 वर्ष 10 माह 12 दिन तक रहा ।

  • ध्यातव्य – उप मुख्यमंत्री टीकाराम पालीवाल महुवा से विधायक थे।
  • * टीकाराम पालीवाल राजस्थान की पहली सरकार में राजस्व मंत्री थे जो आगे चलकर राजस्थान की पहली निर्वाचित सरकार के मुख्यमंत्री बने क्योंकि जय नारायण व्यास चुनाव हार गये थे।  । उप चुनाव में व्यास  किशनगढ़ से विधायक बने और मुख्यमंत्री बने। जयनारायण व्यास के मुख्यमंत्री बनाये जाने पर श्री टीकाराम को उप मुख्यमंत्री बनाया गया था ।


2 शंकर लाल भाभड़ा

10 वी विधानसभा के चुनाव के बाद जब श्री भैरूसिंह शेखावत के नेतृत्व के सरकार बनी तब भाजपा नेता हरिशंकर भाभड़ा को  प्रदेश का उप मुख्यमंत्री बनाया गया । इस पद पर इनका कार्यकाल 4 दिसम्बर 1993 से 30 नवम्बर 1998 कुल 4 वर्ष 11 माह 26 दिन का रहा । उप मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश में यह अब तक का सबसे लम्बा कार्यकाल रहा ।

  • ध्यातव्य – श्री हरिशंकर भाभड़ा राजस्थान विधानसभा में चुरू जिले के रतनगढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक थे।

3 बनवारी लाल बैरवा

11वीं विधान सभा चुनाव के बाद जब अशोक गहलोत प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तब इनके ही कार्यकाल में बनवारी लाल बैरवा को जो राजस्थान का तीसरा उप मुख्यमंत्री बनाया गया था । उप मुख्यमंत्री के रूप में इनका कार्यकाल 19 मई 2002 से 4 दिसंबर 2003 कुल 1 वर्ष 6 माह 15 दिन तक रहा। 

  • ध्यातव्य – सन 1998 में अशोक गहलोत सरकार में बनवारी लाल बैरवा को  समाज कल्याण, आयोजना व यातायात मंत्री बनाया गया था ।  इसके बाद 2002 में उन्हें उप मुख्यमंत्री का दायित्व सौंपा गया था । ये निवाई से विधायक चुने गये थे ।

4 कमला बेनिवाल

     संविधान में उल्लेख नही, न इस पद की शपथ ली जाती है बस ऐसा ही है उप मुख्यमंत्री का पद । सही पढा आपने, भारतीय संविधान के तहत राज्य सरकारो में उपमुख्यमंत्री पद का कहीं कोई प्रावधान नहीं है । यह पद गैर संवैधानिक पद हैं ।

11 वीं विधान सभा के चुनाव के बाद बनवारी लाल बैरवा के उप मुख्यमंत्री बनाये जाने के कुछ दिनों बाद ही कमला बेनीवाल को सरकार में दूसरा उप मुख्यमंत्री बनाया गया ।  ज्ञात हो कि कमला बेनीवाल प्रदेश की पहली महिला मंत्री भी थी । इनका कार्यकाल 2 जनवरी 2003 से 4 दिसंबर 2003 कुल 10 माह 28 दिन के लिये ही रहा जो कि अब तक के उप मुख्यमंत्रीयो में सबसे कम था ।

  • ध्यातव्य- कमला बैनीवाल 1998 के चुनाव में बैराठ (जयपुर) से विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुई थी ।* 1954 में मात्र 27 वर्ष की आयु में राजस्थान विधानसभा सदस्य चुनी गई थी । यह राजस्थान की पहली महिला मंत्री भी बनीं। इसके अतिरिक्त ये मिजोरम, त्रिपुरा और गुजरात की राज्यपाल भी रही ।

5 सचिन पायलट

अशोक गहलोत के नेतृत्व में जब 15 वी विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बनी तब मुख्यमंत्री की शपथ के साथ ही सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री बनाया गया था। इस पद पर इनका कार्यकाल 17 दिसम्बर 2018 से 14 जुलाई 2020 कुल 1 वर्ष 6 माह  27 दिन का रहा।ज्ञात हो कि राजनीतिक उठा पटक के बीच सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री पद से हटा  दिया गया था। 

  • ध्यातव्य– सचिन पायलट राजस्थान के मुख्यमंत्रियों में सबसे युवा उप मुख्यमंत्री है जो 40 वर्ष की उम्र में ही प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बन गये थे ।
    * सचिन पायलट 15 वीं विधानसभा के लिए टोंक से सदस्य निर्वाचित हुये थे ।
  • किसका रहा सबसे अधिक,सबसे कम कार्यकाल

राजस्थान में अब तक के उप मुख्यमंत्रियों में सबसे लंबा कार्यकाल दसवीं विधानसभा में मिले बहुमत के बाद भेरूसिंह शेखावत मुख्यमंत्री बने । इनके कार्यकाल में ही हरिशंकर भाभड़ा को उप मुख्यमंत्री बनाया। इस पद पर इनका कार्यकाल 4 वर्ष 11 माह 26 दिन तक रहा।

अब तक के उप मुख्यमंत्रियों में सबसे कम कार्यकाल अशोक गहलोत सरकार में उपमुख्यमंत्री रही कमला बेनीवाल का रहा। जिन्होंने इस पद पर 10 माह 28 दिन तक कार्य किया था ज्ञात हो कि कमला बेनीवाल राजस्थान की अब तक कि एकमात्र उप मुख्यमंत्री रही है।

  • ध्यातव्य –  वो सब जो आप जानना चाहते है
  • टीकाराम पालीवाल प्रदेश के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री थे जो  3 मार्च 1952 से 1 नवंबर 1952 तक कुल 8 माह के लिए इस पद पर रहे ।
  • टीकाराम पालीवाल जय नारायण व्यास सरकार में उप मुख्यमंत्री के पद पर रहे । ये  एकमात्र ऐसे उप मुख्यमंत्री है जो उप मुख्यमंत्री से पूर्व प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके थे ।
  • 11 वीं विधानसभा के पश्चात अशोक गहलोत सरकार में दो उप मख्यमंत्री रहे । यह पहला अवसर था जब राजस्थान की किसी सरकार में एक साथ दो उप मुख्यमंत्री रहे हो।
  • राजस्थान के अब तक के पांच उप मुख्यमंत्रियों में से तीन उपमुख्यमंत्री ऐसे हैं जिन्होंने अशोक गहलोत के मुख्यमंत्रीत्व काल में उप मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया।
  • हरिशंकर भाभड़ा एकमात्र ऐसे उप मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने गैर कांग्रेसी सरकार में उप मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया हो ।
  • राजस्थान का टोंक ऐसा जिला है जहां की टोंक और निवाई विधानसभा सदस्य दो बार प्रदेश के उप मुख्यमंत्री रहे। अब तक के 5 उप मुख्यमंत्रियों में से टोंक जिले से 02, चुरू जिले से 01, दोसा जिले से 01, तथा 01  जयपुर जिले से थे । 

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