
विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक संविधान माने जाने वाले भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों का उल्लेख तो कर दिया गया था लेकिन मूल कर्तव्य का मूल संविधान के किसी भी अनुच्छेद में उल्लेख नहीं था । इंदिरा गांधी के शासनकाल के दौरान” सरदार स्वर्ण सिंह समिति 1973″ के परामर्श पर संविधान में 42वां संविधान संशोधन 1976 किया गया और इसी संविधान संशोधन के द्वारा संविधान के भाग 4 में संशोधन कर के भाग 4 (क) और अनुच्छेद 51 में संशोधन कर अनुच्छेद 51(क) जोड़कर 10 मूल कर्तव्यों का प्रावधान किया गया।
- सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सलाह पर जोड़े गये
सरदार स्वर्ण सिंह समिति के परामर्श पर ही संविधान में मूल कर्तव्य जोड़े गए थे, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस सरदार स्वर्ण सिंह समिति ने संविधान में 8 मूल कर्तव्य जोड़े जाने का परामर्श दिया था न कि 10 मूल कर्तव्य।
- सरदार स्वर्ण सिंह समिति का संगठन और सदस्य
इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री काल में तत्कालीन सरकार में कांग्रेस अध्यक्ष देवकांत बरुआ द्वारा सरदार स्वर्ण सिंह समिति का गठन किया गया था जिसमें कुल 12 सदस्य थे । अध्यक्ष– सरदार स्वर्ण सिंह सदस्य , सदस्य सचिव ए. आर. अंतुले, सदस्य -रजनी पटेल, एच. आर. गोखले,वी.ए.सैयद, वी.एन.गाडगिल,सी.एम. स्टीफन, डी.पी. सिंह, डी.सी.गोस्वामी, वी.वी. साठे, और बी.एन.मुखर्जी।
- संविधान में उल्लेेेखित मूल कर्तव्य
(1) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों संस्थाओं राष्ट्रध्वज को राष्ट्रगान का आदर करें ।
(2) स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में सदा रखें और उनका पालन करें ।
(3) भारत की प्रभुता एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाए रखें।
(4) देश की रक्षा करें और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें।
(5) भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातत्व की भावना का निर्माण करें तथा ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हो।
(6) हमारे सामासिक- सांस्कृतिक गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करें ।
(7) प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करें उसका संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दया भाव रखें ।
(8) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानववाद ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें।
(9) सार्वजनिक संपत्ति को की रक्षा करें और हिंसा से दूर रहे ।
(10) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों में उत्कर्ष की ओर आगे बढ़ने का प्रयास करें।
नोट– 1976 में 42 वें संविधान संशोधन के द्वारा जोड़े थे इन 10 मूल कर्तव्य के बाद 86 वां संविधान संशोधन 2002 के द्वारा 11 मूल कर्तव्य जोड़ा गया।
(11) 6 से 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों के अभिभावकों,संरक्षक का यह कर्तव्य है कि उन्हें शिक्षा के अवसर उपलब्ध करवाएं।
नोट– ध्याान देने योग्य बात यह है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेेेद 51 के उल्लेखित सभी 11 मूल कर्तव्य केवल और केवल भारतीय नागरिकों के लिए हैं विदेशियों के लिए नहीं ।
- मूल कर्तव्य का प्रेरणा स्रोत कौनसा देश है ?
जैसा कि आप इस बात से अवगत हो गए होंगे कि मूल संविधान में एक भी मूल कर्तव्य का उल्लेख नहीं था लेकिन बाद में एक संविधान संशोधन के द्वारा इन्हें शामिल किए गये तो अब सवाल यह उत्पन्न होता है कि आखिर मूल कर्तव्य की प्रेरणा स्रोत क्या है ? किस देश के संविधान से प्रभावित होकर इन्हें संविधान में शामिल किया गया ? ज्ञात हो कि जिस समय 42वां संविधान संशोधन 1976 संशोधन हुआ , उस समय रूस सोवियत संघ का एक हिस्सा था इसलिए सोवियत संघ को ही सही उत्तर माना जाएगा, लेकिन जब कभी सोवियत संघ विकल्प में ना हो और रूस हो तो उसको ही सही विकल्प माना जाएगा।
- मूल कर्तव्य से जुड़ी हुई प्रमुख समितियां
संविधान में उल्लेखित मूल कर्तव्य को और अधिक प्रभावी बनाए जाने के लिए समय-समय पर विभिन्न समितियों और कमेटियों का गठन किया गया है जैसे- सरदार स्वर्ण सिंह समिति ,जे.एस. वर्मा समिति 1998, संविधान समीक्षा आयोग 2002, इसरानी समिति।
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