भारतीय संविधान के द्वारा संसदीय शासन प्रणाली को स्वीकार किया गया है जिसे वेस्टमिंस्टर प्रणाली या मंत्रिमंडल शासन प्रणाली भी कहा जाता है । जिसमे राष्ट्रपति नाममात्र की कार्यपालिका प्रमुख /सवैधानिक प्रमुख और प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद ही वास्तविक कार्यपालिका होती है।

  • संविधान में किसका है उल्लेख  किसका नही
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  • मंत्रिपरिषद और मंत्रिमंडल में क्या है पूरे 12 अन्तर

केंद्र सरकार के मामले में


भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74 में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि राष्ट्रपति को उसके कार्यो में सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्री परिषद होगी जिसका मुखिया प्रधानमंत्री होगा। आपको यह स्पष्ट कर दिया जाए कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74 में मंत्रिपरिषद शब्द का उल्लेख है ना कि मंत्रिमंडल शब्द का उल्लेख ।

  • राज्य सरकार के मामले में 


केंद्र की तरह राज्यों में भी संसदीय शासन व्यवस्था को अपनाया गया है । राज्य सरकारों के मामलों में अनुच्छेद 163 के अनुसार राज्यपाल को उसके कार्यों में सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रीपरिषद होगी।  इस बात का उल्लेख है। यहां पर भी मंत्रिमंडल शब्द का उल्लेख नही है। 

  • 1 मंत्रिपरिषद

केंद्रीय मंत्री परिषद में  प्रधानमंत्री के अतिरिक्त सामान्यतया  तीन प्रकार के मंत्री होते हैं। कैबिनेट स्तर के मंत्री, राज्य मंत्री और उप मंत्री ।लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारतीय संविधान के किसी भी अनुच्छेद में  मंत्रीपरिषद के सदस्यों का इस प्रकार से श्रेणी/दर्जा या वर्गीकृत नहीं किया गया है .बल्कि यह सब औपचारिक रूप से ब्रिटिश शासन प्रणाली के अनुरूप प्रशासनिक व्यवस्थाओं को व्यवस्थित किए जाने के लिए किया जाता है । लेकिन मंत्रीयो के वेतन और भत्तों को निर्धारण करने के लिए बनाए गए अधिनियम The salaries and allowances of ministers act 1952 की धारा 5 के अनुसार सत्कार भत्ता के प्रावधान में स्पष्ट रूप से मंत्रियों को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है । 
राज्य मंत्रीपरिषद में भी मुख्यमंत्री के अतिरिक्त केंद्र की तरह ही तीन श्रेणी के मंत्री (कैबिनेट स्तर के मंत्री, राज्य मंत्री और उप मंत्री)होते है ।

  •  * कैबिनेट मंत्री 


कैबिनेट मंत्री मंत्री परिषद में के सबसे शक्तिशाली पदधारी और अपने विभाग का मुखिया होने के साथ साथ ये वरिष्ठ मंत्री होते है ।अपने विभाग से संबंधित निर्णय लेने में वह स्वतंत्र होते है ।

  • *  राज्यमंत्री


 राज्यमंत्री ,मंत्रीपरिषद का ही एक हिस्सा है जिनको दो उपश्रेणीयो  में  विभाजित किया गया हैं । – पहला कैबिनेट मंत्री के साथ सम्बद्ध कर दिया जाता है जो उनके सहयोगी के रूप में  रहते है । जिनका कार्य  केंद्र में मामले में प्रधानमंत्री और राज्यो के मामले में मुख्यमंत्रीव कैबिनेट मंत्रियों  के कार्यों में उनकी सहायता करना है और दूसरे राज्यमंत्री  स्वतंत्र कार्यभार वाले होते है जिनको किसी विभाग का स्वतंत्र कार्यभार सौंपा जा सकता है और ये उस विभाग से संबंधित मामलों में निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होते हैं ।

  • *  उपमंत्री 


उपमंत्री भी मंत्री परिषद का ही हिस्सा होता है । जिन्हें किसी विभाग का कोई स्वतंत्र कार्यभार प्राप्त नहीं होता है और नहीं यह किसी विभाग से संबंधित निर्णय लेने के अधिकारी होते हैं । इनका मुख्य कार्य  केंद्र के मामले में प्रधानमंत्री व वरिष्ठ मंत्रियों तथा राज्यों के मामले में मुख्यमंत्री व वरिष्ठ मंत्रियों को उनके कार्यों में सहायता प्रदान करना है ।


ध्यातव्य 

  • केंद्रीय मंत्री परिषद में प्रधानमंत्री व राज्यों के मामलों में मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री राज्य मंत्री और उप मंत्री के अलावा संसदीय सचिव का पद भी देखने को मिलता है लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि संसदीय सचिव मंत्रीपरिषद का हिस्सा नहीं होता है क्योंकि इस पद का उल्लेख संविधान में कही पर नही है । इसलिए यह एक गैर संवैधानिक पद होता है । प्रत्येक मंत्री परिषद में संसदीय सचिव की नियुक्ति की जाए यह आवश्यक भी नहीं होता है।
  • केंद्र के मामलों में ऐसा दौर भी रहा है जिसमे संसदीय सचिव की नियुक्ति नहीं की गई है लेकिन राज्य सरकारों में आज भी संसदीय सचिव  के पद पर नियुक्ति की जाती रही है ।
  • 2 मंत्रिमंडल शब्द


संविधान में मूलतः मंत्रिपरिषद शब्द का उल्लेख है उसके किसी भी अनुच्छेद में मंत्रिमंडल शब्द का उल्लेख नहीं था लेकिन 44 वें संविधान संशोधन 1978 के द्वारा संविधान के अनुच्छेद 352 में मंत्रिमण्डल शब्द जोड़ दिया गया है  । अतः कहा जा सकता है कि यही एकमात्र ऐसा अनुच्छेद है जिसमें केवल मंत्रिमंडल/कैबिनेट शब्द का उल्लेख किया गया है ।

  • 3 मंत्रिपरिषद और मंत्रिमंडल में अंतर


सामान्यतया मंत्रिपरिषद और मंत्रिमंडल को एक ही समझ लिया जाता है। लेकिन इनकी सवैधानिक स्थिति, शक्तियों, इसके आकार, को लेकर मंत्रिपरिषद और मंत्रिमंडल दोनों में भिन्नता देखने को मिलती है। 

  • केंद्रीय कैबिनेट या मंत्रिमंडल में केवल और केवल प्रधानमंत्री और कैबिनेट स्तर के मंत्रियों को जबकि राज्यो में मुख्यमंत्री व केबिनेट मंत्रियों को ही गिना जाता है ,दोनों ही सरकारो में राज्य मंत्री और उप मंत्रियों को केबिनेट में नहीं गिना जाता है।  मंत्रीपरिषद में सभी प्रकार के मंत्री शामिल होते हैं।
  • मंत्रीमंडल ,मंत्री परिषद का ही एक अहम और छोटा हिस्सा होता है जोकि सरकारी और प्रशासनिक ,राजनीतिक निर्णय लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • जब मंत्रिमंडल या कैबिनेट की बैठक आयोजित होती है उसमें सामान्यतः राज्य मंत्री और उप मंत्री को शामिल नहीं किया जाता है लेकिन उन्हें बुलाए जाने पर ही मीटिंग में शामिल होने का अधिकार हो सकता है ।
  • मंत्रीपरिषद शब्द का उल्लेख संविधान निर्माण के समय से ही था जबकि मंत्रिमंडल शब्द को 44 वें संविधान संशोधन 1978 के द्वारा जोड़ा गया था ।

ध्यातव्य – तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के कार्यकाल में यह संविधान संशोधन किया गया था ।

  • संविधान में मंत्रीपरिषद की जिन जिन शक्तियों का उल्लेख है उन शक्तियों का वास्तविक प्रयोगकर्ता प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल के सदस्य ही होते है जो कि मंत्रिमंडल /कैबिनेट का ही हिस्सा होते हैं।
  • मंत्रीमंडल एक सामूहिक निकाय है ।इसकी सप्ताह में एक बार बैठक आयोजित होती है । जबकि मंत्रीपरिषद सरकारी कार्यों के लिए एक साथ बैठक आयोजित नहीं करती है इसका कोई सामूहिक कार्य नहीं होता है। 
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75(3) के अनुसार  मंत्रीपरिषद लोकसभा के प्रति ही सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है । उत्तरदायित्व के सिद्धांत में मंत्री परिषद शब्द का उल्लेख है ना कि मंत्रिमंडल का ।
  • सामान्यतया  केंद्र में मंत्रीपरिषद को प्रधानमंत्री के आलावा अन्य मंत्रियों और राज्यों के हमले में मुख्यमंत्री के अलावा अन्य मंत्रियों को तीन भागों/श्रेणी में वर्गीकृत किया जाता है (संविधान में नही) जबकि मंत्रिमंडल का इस प्रकार से कोई वर्गीकरण नहीं किया गया ।
  • मंत्रिमंडल के सभी सदस्य आवश्यक रूप से मंत्री परिषद के सदस्य होते ही है लेकिन मंत्रीपरिषद का सदस्य मंत्रिमंडल का सदस्य  नहीं होता है ।
  • मंत्रीपरिषद ,मंत्रिमंडल से एक बड़ा निकाय होता है जिसमें  सभी प्रकार के मंत्री शामिल होते हैं जबकि मंत्रिमंडल एक लघु निकाय है। जिसमें केवल कैबिनेट स्तर के मंत्री ही शामिल होते हैं ।
  • अधिकार और शक्तियों के अंतर होने के साथ-साथ इनके वेतन और भत्तों में भी अंतर होता है। 
  • मंत्रिपरिषद शक्तियों का वास्तविक प्रयोगकर्ता होता है लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि व्यवहार में देखा जाए तो उन शक्तियों का प्रयोग केन्द्र में प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल और राज्यो में मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के सदस्यों द्वारा ही किया जाता है ।

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