भारत के व्यक्तिगत रूप से 14 वे और पदक्रम के रूप से 16 वें उपराष्ट्रपति के लिए 6 अगस्त 2022 को हुए मतदान में एनडीए(NDA) के उम्मीदवार जगदीप धनखड़(प. बंगाल के राज्यपाल) की जीत हुई है। उन्होंने 528 वोटों के साथ जीत हासिल की । इसके साथ ही विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 182 वोट मिले।

उपराष्ट्रपति चुनाव में कुल 725 वोट डाले गए थे. (ज्ञात हो की उपराष्ट्रपति के चुनाव में मतदाता: संसद के दोनों सदनों के सभी ( निर्वाचित व मनोनीत )सदस्य होते है। इनमें 710 वोट वैध पाए गए जबकि 15 वोट इनवैलिड/खारिज पाए गए । 

ध्यातव्य: ज्ञात हो की पूर्व उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त 2022 को पूरा हो गया था  तथा 11अगस्त 2022 को नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पद ग्रहण किया। 

  • कैसे होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव

भारत के उपराष्ट्रपति का निर्वाचन राष्ट्रपति के चुनाव की तरह ही एकल संक्रमणीय आनुपातिक मतदान प्रणाली से होता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सभी सदस्य चाहे वह निर्वाचित हो चाहे मनोनीत सभी भाग लेते हैं। 

ज्ञात हो कि  1961 से पूर्व उपराष्ट्रपति का निर्वाचन लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक में होता था। 11 वा संविधान संशोधन 1961 के द्वारा उपराष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए  संयुक्त अधिवेशन की आवश्यकता समाप्त कर दी गई है।

ध्यातव्य :उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पूरा हो जाने के 60 दिनों के अंदर चुनाव कराना ज़रूरी होता है। इसके लिए चुनाव आयोग एक निर्वाचन अधिकारी नियुक्त करता है जो मुख्यत: किसी एक सदन (लोकसभा/राज्यसभा)का महासचिव होता है।

ध्यातव्य: उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में मतदान केंद्र केवल दिल्ली में होता है।

ध्यातव्य : उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित प्रावधान भारतीय संविधान के भाग 5 के अंतर्गत अनुच्छेद 66(1) में उल्लेखित है। 

नामांकन पत्र सर्वप्रथम निर्वाचन अधिकारी उम्मीदवारों से नामांकन आमंत्रित करता है। संविधान के अनुच्छेद 63 के तहत निर्धारित योग्यता और शर्तों को पूरी करने वाला व्यक्ति अपना नामांकन जमा करवाता है।

प्रस्तावक और अनुमोदक: उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार के पास 20 प्रस्तावक और कम से कम 20 अनुमोदक होने चाहिए । प्रस्तावक और अनुमोदक राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य ही हो सकते है. 

जमानत राशि: उम्मीदवार को 15000 रुपए भी जमा कराने होते हैं, इसके बाद निर्वाचन अधिकारी नामांकन पत्रों की जांच करता है और योग्य उम्मीदवारों के नाम बैलट में शामिल किए जाते हैं.

मतदान प्रक्रिया: इसमें मतदाता को वोट तो एक ही देना होता है मगर उसे अपनी पसंद के आधार पर प्राथमिकता 1,2,3,4,5, तय करनी होती है। वह बैलट पेपर पर मौजूद उम्मीदवारों में अपनी पहली पसंद को 1, दूसरी पसंद को 2 और इसी तरह से आगे की प्राथमिकता देता है.

वोटों की गिनती की प्रक्रिया :उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटों की गिनती कैसे होती है?  ध्यान देने योग्य बात है की राष्ट्रपति के चुनाव की तरह उपराष्ट्रपति के चुनाव में भी मतों की संख्या नहीं बल्कि मत मूल्य को गिना जाता है । सबसे पहले यह देखा जाता है कि सभी उम्मीदवारों को पहली प्राथमिकता वाले कितने वोट मिले हैं. फिर सभी को मिले पहली प्राथमिकता वाले वोटों को जोड़ा जाता है। 

एक विधायक का मत मूल्य: सन 1971 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार प्रत्येक राज्य की विधानसभा के एक विधायक का मत का मूल्य निकाला जाता है इसके लिए उस राज्य की कुल जनसंख्या से विभाजित किया जाता है इसके पश्चात उसे 1000 का भाग दिया जाता है प्राप्त संख्या एक विधायक का मत का मूल्य होता है। ज्ञात हो कि भारत में 1971 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश के विधायक का मूल्य सर्वाधिक 208 है जबकि न्यूनतम मूल्य 07 सिक्किम के विधायक का है।

एक सांसद का मत मूल्य:  विधायक की तरह ही एक सांसद का मत मूल्य भी निकाला जाता है । जिसके लिए सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों के मत मूल्यों का कुल योग में संसद के कुल निर्वाचित सदस्यों  की संख्या से विभाजित किया जाता है । प्राप्त संख्या एक सांसद का मत का मूल्य होता है। 

1971 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार यह वर्तमान में 708 है । ज्ञात हो कि वह सांसद लोकसभा का सदस्य हो या राज्यसभा का दोनों के सदस्य का मत का मूल्य एक समान है वह 708 है।

निश्चित मत कोटा संख्या : कुल संख्या को 2 से भाग किया जाता है और भागफल में एक जोड़ दिया जाता है. अब जो संख्या मिलती है उसे वह कोटा माना जाता है जो किसी उम्मीदवार को काउंटिंग में बने रहने के लिए ज़रूरी है.

पहली गिनती में ही कोई  उम्मीदवार जीत के लिए ज़रूरी कोटे के बराब या इससे ज़्यादा मत प्राप्त कर लेता है तो उसे विजयी घोषित कर दिया जाता है। 

दूसरे चरण की गणना:अगर पहली गणना में किसी भी उम्मीदवार को निश्चित मत कोटा संख्या प्राप्त नहीं होती है  तो प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाती है। सबसे पहले उस उम्मीदवार को चुनाव की दौड़ से बाहर किया जाता है जिसे पहली गिनती में सबसे कम वोट मिले हों।

लेकिन उसे पहली प्राथमिकता देने वाले वोटों में यह देखा जाता है कि दूसरी प्राथमिकता किसे दी गई है. फिर दूसरी प्राथमिकता वाले ये वोट अन्य उम्मीदवारों के ख़ाते में ट्रांसफर कर दिए जाते हैं।  इन वोटों के मिल जाने से अगर किसी उम्मीदवार के मत कोटे वाली संख्या के बराबर या ज़्यादा हो जाएं तो उस उम्मीदवार को विजयी घोषित कर दिया जाता है.

इस कंडीशन में अगर दूसरे राउंड  में किसी भी उम्मीदवार को निश्चित मत कोटा संख्या प्राप्त नहीं हो तो यह प्रक्रिया तब तक जारी रखी जाती है जब तक किसी एक उम्मीदवार को निश्चित मत संख्या प्राप्त नही हो जाती । 

परिणाम की घोषणा: वोटों की गिनती हो जाने के बाद निर्वाचन अधिकारी परिणाम की घोषणा करता है। इसके बाद वह चुनाव आयोग और केंद्र सरकार के विधि और न्याय मंत्रालय के पास भेजा जाता है। इसके बाद केंद्र सरकार अपने आधिकारिक गजट में उस व्यक्ति का नाम प्रकाशित किया जाता है.।

  • जगदीप धनखड़ का राजस्थान से है गहरा संबंध

धनखड़ साहब के नाम से परिचित श्री जगदीप धनखड़ का जन्म राजस्थान में झुंझुनू ज़िले के एक छोटे से गांव किठाना गांव में 18 मई, 1951 में हुआ था। इनकी प्रारंभभिक पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल में हुई। 

इसके बाद उन्होंने चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में प्रवेश लिया और इन्होंने अपनी उच्च शिक्षा जयपुर के महाराजा कॉलेज से पूरी की । इन्होंने बीएससी (ऑनर्स) की डिग्री पूरी की साथ ही राजस्थान विश्वविद्यालय से ही क़ानून में स्नातक (LL.B) की पढ़ाई की।

  • मार्गरेट अल्वा का संक्षिप्त जीवन परिचय

मार्गरेट अल्वा का जन्म 1942 में मैंगलोर में हुआ था। मद्रास प्रेसिडेंसी की अलग-अलग जगहों पर पली-बढ़ीं. क्योंकि उनके पिता भारतीय प्रशानिक सेवा में थे इसलिए इनका ट्रांसफर अलग अलग जगह हो जाने से इनको भी अपने परिवार के साथ अलग अलग शहर में रहने का मोका मिला। 

इनकी शादी अल्वा परिवार में हुई थी इनके ससुराल पक्ष का राजनीति से गहरा संबंध रहा है। ज्ञात हो कि इनके सास-ससुर दोनों ही राजनीति में सक्रिय थे और सांसद भी रहे थे। इन्होंने अपने परिवार में ही राजनीति के गुर सीखे थे।

मार्गरेट अल्वा मात्र 42 वर्ष की उम्र में ही मंत्री बन गई थीं, जो उन दिनों एक बड़ी उपलब्धि थी। इसके अतिरिक्त मार्गरेट अल्वा गुजरात, गोवा, राजस्थान और उत्तराखंड की राज्यपाल भी रह चुकी हैं। 
मार्गरेट अल्वा चार बार राज्यसभा से सांसद भी रही हैं।

लोकसभा के लिए वह पहली बार 1999 में कर्नाटक की कनारा सीट से निर्वाचित हुई थी। 

  • किस राज्य से रहे कितने उपराष्ट्रपति/राज्यानुसार

भारत के पहले उपराष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन से लेकर 16वें निर्वाचित उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ तक के उपराष्ट्रपतियो का नाम व अवलोकन  निम्न प्रकार से है।

1.तमिलनाडु से रहे दो उपराष्ट्रपति

डॉ राधाकृष्णन व आर वेंकटरमन दो ऐसे उपराष्ट्रपति हैं जिनका संबंध तमिलनाडु से रहा । ज्ञात हो की डॉ राधाकृष्णन लगातार दो कार्यकाल के लिए देश के उपराष्ट्रपति रहे। इस प्रकार तीन कार्यकाल में उपराष्ट्रपति तमिलनाडु से रहे।

2.तेलंगाना से रहे यह उपराष्ट्रपति

हैदराबाद से जो पहले आंध्र प्रदेश में था और अभी तेलंगाना में है वहा से डॉ जाकिर हुसैन उपराष्ट्रपति रहे। ज्ञात हो कि डॉक्टर जाकिर हुसैन देश के पहले मुस्लिम उपराष्ट्रपति थे।

3.उड़ीसा से रहे एक मात्र उपराष्ट्रपति

देश के चौथे उप राष्ट्रपति वी.वी गिरी का संबंध ओडिशा राज्य से है । ज्ञात हो कि उड़ीसा से उपराष्ट्रपति बनने वाली ये एकमात्र व्यक्ति है। इन्होंने अपना कार्यकाल पूर्ण होने से पहले ही उपराष्ट्रपति पद से त्यागपत्र दे दिया था।

4.उत्तर प्रदेश से कौन रहा उपराष्ट्रपति

गोपाल स्वरूप पाठक और एम हिदायतुल्लाह दो ऐसे उपराष्ट्रपति हैं जिनका संबंध उत्तरप्रदेश राज्य से रहा है। ज्ञात हो कि एम हिदायतुल्ला सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी रहे।

5.मध्य प्रदेश से संबंध रखने वाले उपराष्ट्रपति

देश के उपराष्ट्रपति के 9 वें चुनाव में निर्वाचित होने वाले व्यक्ति शंकर दयाल शर्मा मध्य प्रदेश से संबंध रखते हैं।ज्ञात हो कि अब तक के उपराष्ट्रपतियों में एकमात्र शंकर दयाल शर्मा ही ऐसे उप राष्ट्रपति हैं जिनका संबंध मध्य प्रदेश से।

6.केरल से संबंध रखने वाले उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति के दसवें निर्वाचन जो 1992 में हुए थे में विजय रहने वाले व्यक्ति के. आर.नारायणन थे जो कि केरल राज्य से संबंध रखते हैं।

7.पंजाब राज्य से यह उपराष्ट्रपति रहे

कृष्णकांत एकमात्र ऐसे उपराष्ट्रपति हैं जो पंजाब से थे।ज्ञात हो कि उपराष्ट्रपति पद पर रहते हुए मृत्यु होने वाले एकमात्र उपराष्ट्रपति कृष्णकांत की थे

8.राजस्थान से रहे दो व्यक्ति उपराष्ट्रपति

धोरा की धरती राजस्थान से दो व्यक्ति ऐसे हैं जिन्होंने अब तक उपराष्ट्रपति पद को सुशोभित किया है।सर्वप्रथम 2002 में खाचरियावास (सीकर) राजस्थान के मूल निवासी श्री भैरों सिंह शेखावत ने और सन 2022 में झुंझुनू निवासी जगदीप धनखड़ देश के उपराष्ट्रपति रहे।

9.पश्चिम बंगाल से यह रहे देश के उपराष्ट्रपति 

देश के तीसरे मुस्लिम उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी जो दो बार देश के उपराष्ट्रपति रहे। इनका कार्यकाल 2007 से 2012 और 2012 से 2017 तक रहा । इनका संबंध मूलतः बंगाल से था।

10.उपराष्ट्रपति जो आंध्र प्रदेश से रहे 

वेंकैया नायडू जिनका उप राष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल सन 2017 से 2022 तक रहा। आंध्र प्रदेश से संबंध रखते हैं।

  • वह उपराष्ट्रपति जिनका सबसे न्यूनतम कार्यकाल रहा

देश के चौथे उप राष्ट्रपति वी.वी गिरी ऐसे उपराष्ट्रपति है जिनका सबसे न्यूनतम कार्यकाल (13/5/1967 से 3/5/1969 ) रहा । ज्ञात हो कि इन्होंने अपना कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही त्यागपत्र दे दिया था।

  • भारत में अभी तक रहे उपराष्ट्रपति 

देश के प्रथम उप राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन से लेकर वर्तमान उपराष्ट्रपति  जगदीप धनखड़  तक कुल 14 उपराष्ट्रपति रहे हैं। अब तक के भारत के उपराष्ट्रपति और उनका कार्यकाल इस प्रकार है:।
1.डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन (13 मई, 1952 से 12 मई1962) प्रथम दो कार्यकाल में उपराष्ट्रपति रहे।
2.डॉ जाकिर हुसैन (13 मई  1962 से 12मई 1967)देश के पहले मुस्लिम उपराष्ट्रपति।

3 वी.वी. गिरि (13 मई, 1967 से 3 मई, 1969) कार्यकाल के समय पूर्व राष्ट्रपति त्यागपत्र दे दिया था।

4 गोपाल स्वरूप पाठक (31 अगस्त, 1969 से 30 अगस्त, 1974) पहले ऐसे उपराष्ट्रपति है जो राष्ट्रपति नहीं बन सके।

5 .बी डी ज़त्ति (31 अगस्त, 1974 से30  अगस्त , 1979) यह सबसे ज्यादा समय तक कार्यवाहक राष्ट्रपति रहे।

6.एम हिदायतुल्ला (31 अगस्त, 1979 से 30अगस्त 1984)
7 .आर वेंकटरमन (31 अगस्त 1984 से जुलाई 24, 1987)
8.डॉ शंकर दयाल शर्मा ( 3सितम्बर, 1987 से 24जुलाई, 1992)
9.के.आर. नारायणन (21 अगस्त  1992 से 24जुलाई  1997)
10.श्री कृष्णकांत (21अगस्त  1997 से 27जुलाई 2002)
11.भैरों सिंह शेखावत (19 अगस्त  2002 से 21जुलाई 21, 2007)
12.मो. हामिद अंसारी (11अगस्त, 2007 से 10अगस्त 2017)
13. वेंकैया नायडू( 11 अगस्त2017 से 10अगस्त 2022) इनका पद क्रम 15 वा था।
14. जगदीप धनखड़( 11 अगस्त 2022 से…….) 16 वे उपराष्ट्रपति।

ध्यातव्य=उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ व्यक्तिगत रूप से 14 वे उप राष्ट्रपति और पदक्रमानुसार 16 वे उपराष्ट्रपति है।

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