स्वतंत्र भारत के प्रांतों में संवैधानिक प्रधान के रूप में राज्यपाल का पद एक महत्वपूर्ण पद है। जहां तक स्वतंत्र भारत की महिला राज्यपाल की बात की जाए तो आपको बता दे की स्वतंत्र भारत की पहली राज्यपाल उत्तर प्रदेश राज्य में बनी थी और वह पहली महिला राज्यपाल सरोजिनी नायडू थी। जिनको भारत कोकिला के नाम से भी पुकरा जाता है।
क्या आपको जानकारी है की भारत की दूसरी महिला राज्यपाल कौन थी और प्रथम राज्यपाल से उनका क्या संबध है और वह किस राज्य की राज्यपाल थी तो इन सब सवालों की पूरी जानकारी आपको इस आलेख के माध्यम से जरूर मिलेगी और यह आपके लिए उपयोगी साबित होगा।
- भारत की दूसरी महिला राज्यपाल कौन थी ?
स्वतंत्र भारत की पहली महिला राज्यपाल श्रीमती सरोजनी नायडू की पुत्री पद्मजा नायडू भारत की दूसरी और पश्चिम बंगाल की पहली महिला राज्यपाल थी जो 56 वर्ष की आयु में पश्चिम बंगाल की पहली महिला राज्यपाल बनी थी। इस पद पर इनका कार्यकाल 3 नवम्बर 1956 से 1967 तक रहा। ज्ञात हो कि लगभग 10 वर्षों से भी अधिक समय तक वह पश्चिम बंगाल की राज्यपाल रही जिन्होंने अपने कर्तव्य को पूरी निष्ठा के साथ निभाया।
ध्यातव्य: तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने पद्मजा नायडू की पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में नियुक्ति किया था।
ध्यातव्य: पद्मजा नायडू को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में कोलकाता उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति फणी भूषण चक्रवर्ती ने शपथ दिलाई थी।
ध्यातव्य: पद्मजा नायडू मात्र 21 वर्ष की आयु में ही कांग्रेस से जुड़ गई थी और आगे चलकर यह हैदराबाद कांग्रेस संस्थापक सदस्य भी बनी।
ध्यातव्य :पद्मजा नायडू स्वतंत्र भारत में संसद सदस्य भी रही।
- पद्मजा नायडू का जीवन परिचय
भारत की दूसरी महिला राज्यपाल पद्मजा नायडू का जन्म 17 नवंबर 1900 को हैदराबाद में हुआ था। इनका परिवार मूलतः एक बंगाली परिवार था तथा इनके पिता का नाम एम गोविंद राजुलु नायडू तथा इनकी माता का नाम सरोजनी नायडू था जो एक भारत की पहली महिला राज्यपाल और एक जानी मानी कवयत्री,लेखिका थी।
- पद्मजा नायडू का वैवाहिक जीवन
पद्मजा नायडू के वैवाहिक जीवन के बारे में जहां तक जानकारी प्राप्त होती है, उन्होंने आजीवन विवाह नहीं किया । जानकारी के अनुसार शुरुआत में पंडित जवाहरलाल नेहरू से विवाह की चर्चा की जरूर चली थी लेकिन किन्ही कारणों से यह विवाह न हो सका।
- पद्मजा नायडू एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में
पद्मजा नायडू अपनी माता सरोजनी नायडू की तरह एक सच्ची स्वतंत्रता सेनानी भी थी।जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और वह भारतीय महिलाओं के लिए एक आदर्श के रूप में एक गिनी जाती है। उन्होंने छोड़ो आंदोलन 1942 में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और अपनी माता सरोजनी नायडू के साथ जेल भी गई ।
उन्होंने विदेशी सामान का बहिष्कार और खादी के इस्तेमाल पर अधिक बल दिया और इसके लिए आम जनता को जागरूक भी किया। ध्यातव्य :पद्मजा नायडू संसद भी रही।
ध्यातव्य: पंडित जवाहरलाल नेहरू से इनका अच्छा तालमेल भी था इनके आग्रह पर ही ये पश्चिम बंगाल की पहली महिला और भारत की दूसरी महिला राज्यपाल बनी थी।
- भारत सरकार ने नवाजा इस सम्मान से।
पद्मजा नायडू के योगदान को देखते हुए भारत सरकार के द्वारा उनको सन 1962 में पदम विभूषण सम्मान से नवाजा गया।
- रेडक्रॉस सोसायटी की रही अध्यक्ष ।
मानवता की सेवा के भाव इनके रोम रोम में बसे थे जो कि उनको विरासत में प्राप्त हुए थे। इसी भावना से यह रेड क्रॉस सोसाइटी से जुड़ी और न केवल सदस्य बल्कि सन 1971 से 1972 तक की रेड क्रॉस सोसायटी की अध्यक्ष भी रही।
मृत्यु: पद्मजा नायडू करीब 75 वर्ष की आयु में 2 मई 1975 में दिल्ली में निधन हो गया। उनका अंतिम समय दिल्ली में ही गुजरा था।
- यहां है इनके नाम से जंतुआलय
पदमा नायडू के नाम से दार्जिलिंग में एक जंतुआलय भी है जिसका नाम “पद्ममा नायडू हिमालयन जुलोजिकल पार्क” है।

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भारत की पहली महिला राज्यपाल कौन और किस राज्य में थी ? इनका जीवन परिचय। – डॉ ज्ञानचन्द जाँगिड़ – https://go.shr.lc/3Vnu1JH
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