कैबिनेट मिशन योजना 1946 के तहत भारत में संविधान सभा का गठन हुआ । जिसकी पहली बैठक संविधान सभा के अस्थाई अध्यक्ष डॉ सच्चिदानंद सिन्हा की अध्यक्षता में 9 दिसंबर 1946 को संसद के केंद्रीय और में आयोजित हुई थी । सविधान सभा की दूसरी बैठक 11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद (स्थाई अध्यक्ष) की अध्यक्षता में तथा उसके पश्चात 13 दिसंबर को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सविधान सभा में उद्देशिका प्रस्ताव प्रस्तुत किया । यही से संविधान निर्माण का कार्य  वास्तविक रूप से शुरू होता है।
  संविधान निर्माण में सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य था उसका एक ड्राफ्ट /प्रारूप तैयार करना और इस समस्या का समाधान करने के लिए संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने विभिन्न समितियों का गठन किया। उन्हीं समितियों के परामर्श पर भारतीय संविधान का प्रारूप तैयार किया गया था और उन समितियों में सबसे महत्वपूर्ण समिति थी प्रारूप समिति ।।

संविधान के प्रारूप से तात्पर्य

सामान्यतया संविधान के प्रारूप से तात्पर्य यहां पर सविधान रूपी कानूनी दस्तावेज का एक प्रारंभिक दस्तावेज से है जिसे हम संविधान का आधार भी कह सकते है । जिसको आधार बना कर संविधान को मूर्तरूप दिया जाता है ।


प्रारूप समिति/मसोदा समिति का स्वरूप


यह संविधान सभा की सबसे महत्वपूर्ण समिति थी। इस समिति को सामान्यतः पांडुलिपि लेखन समिति , मसौदा समिति या ड्राफ्टिंग कमेटी भी कहा जाता है । जिसका गठन डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में किया गया था । डॉक्टर भीमराव अंबेडकर बहुत बड़े विद्वान,कानून के जानकार और समाज के हर पहलू, हर मर्म को समझने वाले थे ।उनके ज्ञान औऱ उनकी प्रतिष्ठा को देखते हुए ही उन्हें निर्विरोध रूप से प्रारूप समिति का सभापति निर्वाचित किया था।  अम्बेडकर तथा 06 अन्य सदस्यों वाली इस समिति का गठन आजादी के 14 दिन बाद 29 अगस्त 1947 को सत्यनारायण सिन्हा के प्रस्ताव पर किया था और इसकी पहली बैठक 30 अगस्त 1947 को हुई थी। साथ ही आपको यह भी बता दे की इस प्रारूप समिति में निर्वाचित एवं नामजद दो प्रकार के सदस्य थे 
निर्वाचित सदस्य1. डॉ भीमराव अंबेडकर (सभापति) 2 अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर,3 एन.गोपालस्वामी आयंगर,4 के .एम .मुंशी , 5.मोहम्मद सादुल्ला ।
नामजद सदस्य                                                      6.एन.माधवराव (बी.एल. मित्तर की जगह नामजद किये ),7. टी .टी. कृष्णमाचारी (डी .पी. खेतान की जगह नामजद किए गए थे । डी.पी खेतान की 1948 में मृत्यु हो गई थी ।
ध्यातव्य 1  आपको यह जानकर आश्चर्य होगा प्रारूप समिति  ने प्रारूप तैयार नही किया था बल्कि इस समिति का कार्य तो  संविधान के प्रारूप पर विचार विमर्श करना था ।

किसने तैयार किया था संविधान का प्रारूप ?


सबसे बड़ा सवाल यह है कि भारतीय संविधान का पहला प्रारूप किसने तैयार किया था । प्रारूप समिति के नाम से ही एक भ्रम सा पैदा हो जाता है कि भारतीय संविधान का पहला प्रारूप इसी प्रारूप समिति ने तैयार किया होगा  लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारतीय संविधान का पहला प्रारूप प्रारूप समिति ने तैयार नहीं किया था बल्कि  संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार बी. एन. राव के द्वारा  सविधान सभा के पहले अस्थाई अध्यक्ष डॉ सच्चिदानंद सिन्हा के सहयोग से तैयार किया गया था। 

किसने नियुक्त किया था संवैधानिक सलाहकार को

आपके मस्तिष्क में यह सवाल उठना भी लाजमी  है कि बी.एन. राव संविधान सभा के सदस्य थे या नहीं तो आपको इसी से अवगत करा दू कि संवैधानिक सलाहकार बी.एन. राव भारतीय सविधान सभा के सदस्य नहीं थे वरन तत्कालीन समय के वायसराय लॉर्ड वेवेल के द्वारा जुलाई 1946 में उन्हें संविधान सभा का संवैधानिक सलाहकार नियुक्त किया था और यह पद पूर्णतया अवैतनिक था।

कैसे तैयार किया था यह पहला प्रारूप ?


भारतीय संविधान का पहला प्रारूप संवेधानिक सलाहकार बी. एन. राव  स्वयं कानून और संविधान के अच्छे जानकार थे। उन्होंने विभिन्न स्रोतों के माध्यम से जिनमें लगभग 60 देशों के संविधान शामिल थे और दूसरे अन्य स्रोतों से प्राप्त विषय वस्तुओ सामग्रियों सबका तुलनात्मक अध्ययन करके उन्हें भारतीय आवश्यकताओं के अनुसार तैयार कर भारतीय संविधान के पहले प्रारूप में शामिल किया था।  आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि बी एन राव के द्वारा यह पहला प्रस्ताव अक्टूबर 1947 में ही तैयार कर लिया था ।

कौन थे बी एन राव ?

बी.एन. राव जो किसी परिचय की मोहताज नहीं है बल्कि भारतीय संविधान निर्माण में उनका बहुत अहम योगदान था जिससे भुलाया नहीं जा सकता । इनका पूरा नाम बेनेगल नरसिंह राव था जिनका जन्म फरवरी 1887 में मंगलौर (कर्नाटक) में पिता बेनेगल राघवेंद्र राव के घर हुआ था ।प्रतिभा के धनी बी. एन. राव मूलतः एक प्रशासनिक और न्यायिक अधिकारी थे जिन्होंने न केवल भारतीय संविधान  निर्माण में बल्कि बर्मा के संविधान के निर्माण में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी । बी.एन. राव  की प्रतिभा से विश्व समुदाय भी लाभान्वित हुआ सन 1951 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष भी रहे हैं । इसके अतिरिक्त अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में 1952 से लेकर 1953 तक न्यायाधीश के रूप में भी रहे । इनके योगदान से भारत को अंतरराष्ट्रीय समाज मे एक नई पहचान भी मिली। अपनी 66 वर्ष की आयु में 23 नवंबर 1953 को उनकी मृत्यु हो गई । संविधान सभा का सदस्य नहीं होने के बावजूद भी बी. एन. राव ने भारतीय संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका थी।  देश के संविधान का पहला प्रारूप तैयार किया और स्वतंत्र भारत को एक नई सौगात और पहचान दी  । अब इसे  दुर्भाग्य कहे या इंसान की भुला देने की फितरत कि उनकी यह पहचान आज के दौर में कहीं किताबों में सिमट कर रह गई है।

क्या था इस पहले प्रारूप में ?


संवैधानिक सलाहकार बी.एन. राव के द्वारा कठिन परिश्रम से संविधान का जो पहला प्रारूप तैयार किया था उस प्रारूप में 240 अनुच्छेद तथा 13 अनुसूचियां शामिल थी।
 बी.एन. राव के द्वारा कठोर परिश्रम से तैयार किए गए संविधान के पहले प्रारूप को प्रारूप समिति को सौंप दिया गया और उस प्रारूप समिति में गहन विचार विमर्श किया गया विचार विमर्श के दौरान अनेक सिफारिस , सुझाव आपत्तियां, प्राप्त हुई। उन सिफारिशों पर, उन सुझावों पर तथा टिप्पणियों पर  गहनता से विचार किया गया ।अंतिम रूप से प्रारूप समिति ने संविधान का प्रारूप तैयार कर 21 फरवरी 1948 को संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद को सुपुर्द कर दिया ।

प्रारूप की जांच करने हेतु गठित की समिति

संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने एक बार फिर प्रारूप समिति को यह परामर्श दिया कि विचार विमर्श के दौरान जो विचार, टिप्पणियां ,आलोचना एवं सुझाव प्राप्त हुए हैं उन सब पर फिर से विचार किया जाए , जिसके लिए उन्होंने एक विशेष प्रकार की जांच समिति का गठन भी किया ।

कौन थे इस जाँच समिति के सभापति 

प्रारूप समिति द्वारा सोंपे गये निश्चित प्रारूप की जांच हेतु संविधान सभा के अध्यक्ष ने जो एक जांच समिति गठित की थी उसके अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू को बनाया गया था । इस जाँच समिति की बैठक 10 और 11 अप्रैल 1948 को हुई । जिनमे समिति ने निष्पक्ष तरीके से बड़ी गहनता से जांच और विचार करके इसे 3 नवंबर 1949 को अपने रिपोर्ट सविधान सभा अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद को सौंप दी।

प्रारंभिक प्रारूप ने लिया संविधान का रूप


 इस प्रकार सविधान का जो प्रारूप तैयार हुआ उस पर विचार विमर्श के लिए अनेक बैठके आयोजित हुई ।आवश्यकताओं के अनुसार जो संशोधन किए जाने थे वे संशोधन किए गए और अंतिम रूप से 14 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने प्रारूप समिति की रिपोर्ट पर विचार -विमर्श किया ।इसके पश्चात प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने संविधान सभा से आग्रह किया कि इस संविधान को स्वीकार किया जाए तब 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा के द्वारा भारतीय संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्म अर्पित किया गया । 26 नवंबर 1950 को हमारा संविधान बनकर तैयार हुआ उसी दिन से स्वीकार कर लिया गया इसी उपलक्ष्य में 26 नवंबर को प्रतिवर्ष  विधि दिवस/ सविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है । 

एक नई पहल की शुरुआत की जरूरत


भारतीय संविधान का पहला प्रारूप/ पहला मसौदा तैयार होना भारतीय संविधानिक इतिहास में एक ऐतिहासिक दिन है तथा संविधान का पहला प्रारूप तैयार करने वाले विद्वान बी.एन. राव के योगदान को यादगार बनाने के लिये और उनके सम्मान में उनके जन्म दिन या जिस दिन संविधान का पहला प्रारूप तैयार हुआ था उस दिन को ‘संवैधानिक प्रारूप दिवस’ मनाये जाने की शुरुआत की जानी चाहिये ।

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