भारतीय संविधान के भाग 15 में अनुच्छेद 324 से 329 तक निर्वाचन आयोग का प्रावधान किया गया है,चुकि इस आयोग का उल्लेख संविधान में ही कर दिया गया है इसलिए यह एक संवैधनिक आयोग की श्रेणी में आता है।

  • निर्वाचन आयोग की स्थापना 


25 जनवरी 1950 को संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत भारतीय निर्वाचन आयोग स्थापना की गई थी, इसीलिए प्रतिवर्ष 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
ज्ञात हो कि सन 2011 से प्रति वर्ष 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रुप में मनाया जाना शुरू किया था।

  • निर्वाचन आयोग का गठन 


भारतीय चुनाव आयोग का गठन संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत हुआ था । अनुच्छेद 324(2) के अनुसार निर्वाचन आयोग एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य निर्वाचन आयुक्त से मिलकर होगा जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी । 

  • निर्वाचन आयोग की सरंचना तब और अब 


निर्वाचन आयोग की स्थापना के समय यह एक सदस्यीय आयोग था, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन थे। इसके पश्चात दिनेश गोस्वामी समिति 1989 के परामर्श पर इसे बहु सदस्यीय आयोग बनाया गया। सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के पश्चात एक बार फिर से इसे 2 जनवरी 1990 को एक सदस्यीय आयोग बना दी  गया लेकिन वर्तमान में यह बहु सदस्य आयोग हैं क्योंकि 2 अक्टूबर 1993 को इसे फिर से बहुसदस्यीय आयोग बना दिया गया था।

ध्यान देने योग्य बात यह भी हैै कि चुनाव आयोग को बहु सदस्यीय आयोग बनाये जाने का परामर्श सर्वप्रथम “तारकुंडे समिति 1975”  केे द्वारा दिया गया था।


अनुच्छेद 324 – निर्वाचन आयोग के सदस्यों सदस्योंं की संख्या का निर्धारण संविधााान में नही किया गया है, बल्कि निर्वाचन आयोग की सदस्य संख्या का निर्धारण राष्ट्रपति के द्वारा किया जाता है । 
ध्यान देने योग्य बात है कि निर्वाचन आयोग की सदस्य संख्या में बढ़ोतरी करने के लिए संविधान में किसी प्रकार के संशोधन की आवश्यकता नहीं होती बल्कि यह राष्ट्रपति के अधिकार  क्षेत्र के अंतर्गत आता है।

अनुच्छेद 324(2) निर्वाचन आयोग मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य निर्वाचन आयुक्त से मिलकर होगा जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी।

  • मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त की योग्यता


निर्वाचन आयोग/आयुक्त के संबंध में योग्यता का उल्लेख संविधान में नहीं है, बल्कि कहा जा सकता है कि इस संबंध में संविधान कौन है।

  • निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति 


निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति मंत्री परिषद की अनुशंसा पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की तरह इसमें कॉलेजियम प्रणाली का कोई प्रावधान नहीं।

  • निर्वाचन आयुक्तों को शपथ 


मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त को शपथ राष्ट्रपति के द्वारा दिलायी जाती है ।

  • निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल


मुख्य निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक जो भी पहले हो तक होता है। इसके अतिरिक्त अन्य निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 62 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक या इनमें से जो भी पहले हो तक होता है । ध्यान देने योग्य बात है कि सेवानिवृत्ति के पश्चात सरकार में इनकी दूसरी नियुक्ति पर रोक नहीं है।

  • कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व हटाए जाने की प्रक्रिया 


कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व हटाये जाने  की प्रक्रिया के सम्बंध में उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 324 के अंतर्गत है।  मुख्य चुनाव आयुक्त को उसी विधि से हटाया जाएगा जिस विधि से सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को पाया जाता है । कहने का तात्पर्य यहां पर महाभियोग प्रक्रिया से हटाया जाता है तथा अन्य चुनाव आयुक्त को हटाए जाने में महाभियोग की आवश्यकता नहीं होती बल्कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सिफारिश पर ही हटाया जा सकता है। 
ध्यान देने की बात है कि भारतीय निर्वाचन आयोग के मुख्य न्यायाधीश को पद से हटाए जाने की प्रक्रिया के संबंध में संविधान में महाभियोग शब्द का उल्लेख नहीं है।

  • महाभियोग का आधार 


मुख्य निर्वाचन आयुक्त को हटाए जाने के लिए साबित कदाचार और  अक्षमता के आधार पर लोकसभा या राज्यसभा किसी भी सदन में प्रस्ताव लाया जा सकता है।
लोकसभा में प्रस्ताव लाया जाता है तो 100 सदस्यों की तथा अगर राज्यसभा में लाया जाता है तो 50 सदस्यों की सहमति आवश्यक होती है। दोनों सदनों में कुल सदस्य संख्या का बहुमत या  उपस्थित तथा मतदान करने वालों का दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पास हो जाता है तो मुख्य चुनाव आयुक्त  पद रिक्त माना जाता है ।
अनुच्छेद 324 (5)  मुख्य निर्वाचन आयुक्त को उसके पद से उसी तरह से हटाया जाएगा जिस तरह सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है ।

  • मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त का वेतन


निर्वाचन आयुक्त चाहे वह मुख्य चुनाव आयुक्त हो या अन्य चुनाव आयुक्त उनके वेतन में किसी प्रकार का अंतर और भिन्नता नहीं है बल्कि इन्हें सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान वेतन प्राप्त होता है जो की संचित निधि से देय होता है।

  • निर्वाचन आयोग के कार्य और शक्तियां(अनुच्छेद 324) 


● लोकसभा, राज्यसभा, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति तथा राज्य विधान मंडल के सदस्यों का निर्वाचन करवाना ।

● निर्वाचन नामावली तैयार एवं संशोधन करना ।

● राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करना ।

● राजनीतिक दलों को चुनाव चिन्ह का आवंटन करना। 

● निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करना 

● सांसद व विधायक की अयोग्यता का निर्धारण करने में राष्ट्रपति को सलाह देना। 
● चुनाव में राजनीतिक दलों के लिए चुनाव आचार संहिता तैयार करना ।

● चुनाव में उम्मीदवारों द्वारा चुनाव खर्च का निर्धारण करना ।

● चुनाव में गलत निर्वाचन साधनों का प्रयोग करने वाले व्यक्तियों को निर्वाचन के लिए अयोग्य घोषित करना।

  • महत्वपूर्ण अनुच्छेद 


अनुच्छेद 324 संसद राज्य विधानमंडल राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए चुनाव आयोग का प्रावधान किया गया है।( निर्वाचन आयोग के कार्य और शक्तियां)

अनुच्छेद 324 (2)  निर्वाचन आयोग मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य निर्वाचन आयुक्त कितने राष्ट्रपति निश्चित करें से मिलकर बनेगा ।

अनुच्छेद 324 (5)  मुख्य निर्वाचन आयुक्त को उसके पद से उसी तरह से हटाया जाएगा जिस तरह सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है ।

अनुच्छेद 325 धर्म, मूलवंश, जाति या लिंग के आधार पर किसी व्यक्ति का नाम निर्वाचन नामावली में सम्मिलित किए जाने के लिए अपात्र नहीं किया जाएगा। 

अनुच्छेद 326 लोकसभा,राज्य विधानसभा के निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे । मूल संविधान में वयस्क मताधिकार की न्यूनतम आयु 21 वर्ष थी बाद में इसे 61 वे संविधान संशोधन 1989 के द्वारा घटाकर 18 वर्ष कर दी गई । वर्तमान में यहीीी प्रावधान है ।

अनुच्छेद 327  संसद समय-समय पर निर्वाचन नामावली तैयार कराना निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन अन्य सभी आवश्यक विषय है उनका उपबंध कर सकता है ।

अनुच्छेद 328 किसी राज्यों के विधान मंडलों के लिए निर्वाचन के संबंध में उपबंध करने की शक्ति।

अनुच्छेद 329 निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालय का हस्तक्षेप वर्जित किया गया है। 

अनुच्छेद 329 (क)  प्रधानमंत्री तथा लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव के संबंध में विशेष प्रावधान किए गए हैं। (निरस्त किया )

  • महत्वपूर्ण तथ्य 


● भारत मे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन(EVM)  का पहला प्रयोग सन 1982 में केरल में किया गया था ।
● किसी भी राज्य में एक साथ इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का प्रयोग गोवा (1999) में  किया गया था।
● पूरे भारत मे एक साथ इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का पहली बार प्रयोग 2004 में किया गया था।

  • ध्यातव्य

चुनाव आयोग के इतिहास में अब तक भारत की एकमात्र महिला मुख्य निर्वाचन आयुक्त वी.एस रामादेवी थी, जिनका कार्यकाल 26 नवंबर 1990 से 11 दिसंबर 1990 तक रहा ज्ञात हो कि यह पहले कर्नाटक के राज्यपाल भी रही थी।

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