विश्व बालश्रम निषेध दिवस (12 जून).  

न सुख की चिंता ,न दुःखो का गम ऐसा ही होता है बालपन,जी हां ,बालपन, बाल अवस्था ओर बचपन  जीवन की खुशनुमा और स्वर्णिम अवस्था है अब बचपन तो बचपन होता है न लोभ न लालच  न अपने पराए का भेद। यही अवस्था बालक की भविष्य निर्माण की अवस्था होती है। जिसमें उसका शारीरिक, मानसिक, भावात्मक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक विकास की नींव रखी जाती लेकिन जब किसी बालक को  इन सब से दूर करके उसके कंधों पर काम का बोझ डाल दिया जाए  तो बाल्यवस्था उसके लिए स्वर्णिम काल न होकर परेशानियों का सबक बन जाती है जिससे न वर्तमान वरन उसका भविष्य भी अंधकार में हो जाता है ।

माना कि कुछ आर्थिक मजबूरी के कारण परिवारजन, बच्चों को सब कुछ छोड़ कर काम धंधे में लगाने को मजबूर हो जाते  है जिससे बच्चे का शारीरिक ,मानसिक, , भावात्मक, शैक्षणिक विकास रुक जाता है कई बार उन्हें जोखिम भरे कार्यों में लगा दिया जाता है जहां उनकी जान-माल के नुकसान का अंदेशा रहता है या फिर बचपन में ही उनका शोषण होने लगता है इन सब से लगता है कि मानो बालक का बचपन  कही खो गया हो ।

क्या है बालश्रम  ? ओर बालश्रम निषेध दिवस  


जब 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे को   उसके बाल्यकाल से वंचित कर उन्हें मज़बूरी में काम करने के लिए विवश करते हैं ,या शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित कर काम पर लगा कर , शोषण करके, श्रमिकों की तरह उसके साथ व्यवहार किया जाए ,उनके बचपन को श्रमिक रूप में बदल दिया जाये तो यही  बाल श्रम कहलाता है इन बच्चों की शोषण से रक्षा और इस सम्बन्ध  में जागरूक करने समाज में जागरूकता फैलाने के लिए प्रति वर्ष  भारत के साथ साथ पूरे विश्व मे 12 जून को विश्व बालश्रम निषेध दिवस मनाया जाता है।

कब मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाल श्रम निषेध दिवस ?


   वियना मैं स्थित अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के द्वारा ही बाल श्रम निषेध के बारे में सबसे पहले गहनता से विचार विमर्श किया और नीति निर्माण किया गया इसी पहल पर प्रतिवर्ष 12 जून को बाल श्रम निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसकी शुरुआत 2002 से हुई थी इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से श्रम न कराकर उन्हें शिक्षा दिलाने के लिए जागरूक करना है।   प्रति वर्ष 12 जून को मनाए जाने वाले विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की प्रतिवर्ष एक थीम रखी जाती है 2020 में इसकी थीम  2020 में इसकी थीम ”बच्चों को कोविड-19 महामारी” रखा गया है.।

भारत में  बालश्रम निषेध दिवस 


भारत में स्वतंत्रता के समय भी बालश्रम  को रोकने ओर बच्चों के  शोषण से रक्षा तथा बाल अधिकार संरक्षण को लेकर सविधान निर्माता इस विषय पर बड़ी संजीदगी से और बड़ी गंभीरता से विचार किया करते थे इसी का परिणाम है कि भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में बाल श्रम बच्चों के शोषण और उनकी शिक्षा को लेकर विभिन्न अनुच्छेदों में प्रावधान किया गया है । बाल संरक्षण ओर उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता का विकास करने आए  बच्चों की शिक्षा  जैसे विषय पर परामर्श देने के लिए सरकार के द्वारा अनेक समितियों का गठन किया गया ।

गुरूपाद समिति का गठन और परामर्श


  बालक का बचपन कहीं खो न जाएं बाल्यावस्था में उसका शोषण  न हो उसे  जोखिम भरे कार्यों में न लगाया जाए इन्हीं सब बातों को मध्य नजर रखते हुए सन 1979 में सरकार द्वारा  गुरूपाद स्वामी समिति का गठन किया गया। जिसने बालश्रम से जुड़ी सभी समस्याओं के अध्ययन के बाद अपनी रिफारिश प्रस्तुत की गई, जिसमें गरीबी को मजदूरी के मुख्य कारण के रूप में देखा गया और ये सुझाव दिया गया, कि जोखिमभरे क्षेत्रों में बाल मजदूरी पर प्रतिबंध लगाया जाए एवं उन क्षेत्रों के कार्य के स्तर में सुधार किया जाए। गुरूपाद समिति के परामर्श पर ही 1986 में  बाल मजदूरी प्रतिबंध विनियमन अधि‍नियम अस्तित्व में आया, जिसमें विशेष खतरनाक कार्यो  व प्रक्रि‍या के बच्चों के रोजगार एवं अन्य वर्ग के लिए कार्य की शर्तों का निर्धारण किया गया। 

भारत मे विभिन्न  नियम और अधिनियम 


      बाल श्रम  ओर उनके शोषण, से  बच्चों की रक्षा के लिये , सरकार के द्वारा अनेक प्रयास किये गये जैसे:- बालश्रमनिषेध और विनियमन अधिनियम 1986 , किशोर न्याय देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2000 ,बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 आदि  अधिनियम लाये गये ।,

भारतीय में  संवैधानिक प्रावधान


भारतीय संविधान के भाग 3 ओर भाग 4 में  मौलिक अधिकारों और राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांत में इस बाबत उल्लेख किया गया है  इस विषय पर केंद्र और राज्य दोनों सरकारी कानून का निर्माण कर सकती है ।


अनुच्छेद 24 – 6 से 14 वर्ष के  बच्चे को किसी फैक्टरी या खदान में काम करने  या किसी जोखिम भरे कार्यो में महि लगाया जाएगा .।


अनुच्छेद 39 (e) राज्य अपनी नीतियां इस तरह निर्धारित करेंगे कि श्रमिकों, पुरुषों और महिलाओं का स्वास्थ्य तथा उनकी क्षमता सुरक्षित रह सके और बच्चों की कम उम्र का शोषण न हो तथा वे अपनी उम्र व शक्ति के प्रतिकूल काम में आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रवेश करें । 


अनुच्छेद 39 (f) बच्चों को स्वस्थ तरीके से स्वतंत्र व सम्मानजनक स्थिति में विकास के अवसर तथा सुविधाएं दी जायेंगी और बचपन व जवानी को नैतिक व भौतिक दुरुपयोग से बचाया जायेगा ।


अनुच्छेद 45 -संविधान लागू होने के 10 साल के अंदर राज्य 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रयास किया जायेगा ।  संविधान के 86 वा संविधान संशोधन 2002 के द्वारा इसे अनुच्छेद 21 क में शामिल कर मौलिक अधिकार की श्रेणी में जोड़ दिया गया है ।

आज भी सुधार व जागरूकता की जरूरत


       सरकार और विभिन्न गैर सरकारी संगठनों अन. जी.ओ के  प्रयासों के बाद भी बालश्रम को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सका है।  आखिर क्या वजह है कि अपेक्षित सुधार नही हो रहे है  अब वक्त है नीतियों में उन बदलावों का जो बाल श्रम के उचित और आवश्यक मापदंड तय कर सके या फिर इसके स्वरूप को पूरी तरह से बदल कर सकारात्मक बदलाव किया जाए ।


 बाल श्रम की एक बड़ी वजह गरीबी और जागरूकता की कमी है इस बाबत प्रयास किया जा सकता है कि सरकार अपनी नीति में बदलाव कर 10 से 15 वर्ष के बच्चों को जो जरूरतमंद हो 


(1) जिनके माता-पिता केवल दैनिक मजदूरी पर ही निर्भर होकर अपना जीवन यापन करते हैं जिनके पास आय के कोई  दूसरा साधन और संसाधन नहीं है  बच्चों को प्रतिमाह एक निश्चित सहयोग राशि उपलब्ध करा राहत दी जा सकती है फिर भी अभिभावक जबरदस्ती बाल श्रम कराते है तो उन्हें पाबंद किया जाये ।


(2)   आज हमारे समाज के प्रमुख अंग ओर कार्यकर्ता आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को भी इस बात की जिम्मेदारी दी जाये की उनके वार्ड ,गांव में कोई बालश्रम नही हो पाये  अगर ऐसा होता हैबतो उसकी जानकारी संबधित अधिकारियों को दी जाये ।
(3) गांव हो या कस्बा  हमारे जन प्रतिनिधि भी इस कार्ये में अहम भूमिका निभा सकते है उनकी जिम्मेदारी  सुनिश्चित की जाये  कि अगर उनके वार्ड ,उनके गांव, उनके कस्बेके बालश्रम करता बालक पाया जाता है तो उसे रोकना उनकी नैतिक जिम्मेदारी होगी ।


(4) कानून निर्माण कर देने मात्र से ही समस्याओं का समाधान नहीं होता है बल्कि उसे बड़ी गंभीरता से  लागू करने की आवश्यकता के साथ-साथ है आमजन में जागरूकता की भी आवश्यकता होती है इसीलिए प्रतिवर्ष 12 जून को मनाए जाने वाले विश्व बाल श्रम निषेध दिवस को स्कूल स्तर तक मनाए जाने की आवश्यकता है । 

(5) इसके अलावा अगर कोई भी औद्योगिक घराना कोई भी फैक्ट्री  मालिक कोई भी होटल मालिक या कोई भी व्यक्ति इन बच्चों को  मजबूरन बाल श्रम करने को मजबूर करें उनका शोषण करें या उनके अभिभावकों पर बच्चों से काम करवाने का दबाव डालें ऐसी स्थिति में चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर शिकायत भी की जा सकती है।

2 thoughts on “बालश्रम निषेध और भारतीय संविधान”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page