
सामान्यतया प्रजातंत्र का अर्थ लोगों के शासन से लगाया जाता है जिसमें अब्राहिम लिंकन की परिभाषा सबसे अधिक प्रसिद्ध है -“जनता का, जनता के लिए, जनता के द्वारा जो शासन होता है वह लोकतंत्र होता है।”
आज विशाल जनसंख्या और विशाल क्षेत्र में वाले प्रजातंत्र में प्रत्यक्ष जनता द्वारा शासन चलाये जाना संभव नहीं है, इस कारण अप्रत्यक्ष लोकतंत्र को अपनाया जाना समीचित हो गया है जिसे प्रतिनिध्यात्मक शासन भी कहा जाता है।जिसमे जनता अपने प्रतिनिधियों का चुनाव/निर्वाचन करती है।
- निर्वाचन :-
लोकतांत्रिक देशों में जनता द्वारा एक निश्चित समय अवधि के लिए अपने प्रतिनिधि चुनने की प्रक्रिया को निर्वाचन कहा जाता है।
- मताधिकार :-
नागरिकों द्वारा अपने प्रतिनिधि चुनने का अधिकार मताधिकार कहलाता है ज्ञात हो कि मताधिकार एक राजनीतिक अधिकार है।
- वयस्क मताधिकार :-
देश के प्रत्येक वयस्क महिला और पुरुष को बिना किसी भेदभाव के मत देने का अधिकार सार्वभौमिक/ वयस्क मताधिकार कहलाता है। इस प्रणाली में एक निर्धारित आयु पार करने के उपरांत देश के सभी पात्र नागरिकों को मतदान/वोट देने का अधिकार प्राप्त हो जाता है ।
- भारतीय संविधान में वयस्क मताधिकार की आयु
भारतीय संविधान में वयस्क मताधिकार की न्यूनतम आयु सीमा 21 वर्ष थी जिसे 61 वें संविधान संशोधन 1969 के द्वारा घटाकर 18 वर्ष कर दी गई आज भारत में यह आयु 18 वर्ष है।
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951
लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव आयोजित करवाने के लिए एक स्वतंत्र व निष्पक्ष संस्था की आवश्यकता होती है। भारत में संसदीय शासन प्रणाली है और इस शासन प्रणाली के सुचारू संचालन के लिए नियमित व स्वतंत्र तथा निष्पक्ष निर्वाचन आवश्यक है। इस संबंध में निर्वाचन,संसद के द्वारा बनाए गए कानून व संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार ही संचालित होते हैं । इस संबंध में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 एक महत्वपूर्ण अधिनियम है।
- भारत निर्वाचन आयोग :-
भारतीय संविधान के भाग 15 में अनुच्छेद 324 से लेकर 329 तक चुनाव आयोग का प्रावधान किया गया है (लोकसभा, राज्यसभा ,राज्य विधानसभा, विधान परिषद, राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति आदि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाए जाने के लिए एक निर्वाचन आयोग का प्रावधान किया गया है) चुकि इस आयोग का उल्लेख संविधान में ही कर दिया गया है इसलिए यह एक संवैधनिक आयोग की श्रेणी में आता है।
- स्थापना और मतदान दिवस
25 जनवरी 1950 को संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत भारतीय निर्वाचन आयोग स्थापना की गई थी इसीलिए प्रतिवर्ष 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है ज्ञात हो कि सन 2011 से 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रुप में मनाया जाना शुरू किया था।
- चुनाव आयोग का गठन
भारतीय चुनाव आयोग का गठन संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत हुआ था । अनुच्छेद 324(2) के अनुसार निर्वाचन आयोग एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य निर्वाचन आयुक्त से मिलकर होगा जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी ।
स्थापना के समय यह एक सदस्य आयोग था जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन थे। इसके पश्चात दिनेश गोस्वामी समिति 1989 के परामर्श पर इसे बहुत सदस्य आयोग बनाया गया। सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के पश्चात एक बार फिर से इसे 2 जनवरी 1990 को एक सदस्यीय आयोग बनाया गया लेकिन वर्तमान में यह बहु सदस्य आयोग हैं क्योंकि 2 अक्टूबर 1993 को इसे फिर से बहुसदस्यीय आयोग बना दिया गया था।
- 1.ध्यातव्य:-
ध्यान देने योग्य बात यह भी हैै कि चुनाव आयोग को बहू सदस्यय बनाए जाने का सर्वप्रथम तरकुंडे समिति 1975 केे द्वारा दिया गया था।
- 2. ध्यातव्य :-
ध्यान देने योग्य बात यह है कि निर्वाचन आयोग के सदस्य संख्या की बढ़ोतरी करने के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता नहीं होती है यह शक्ति केवल राष्ट्रपति को प्राप्त है।