भारत गांव में बसता है गांव की उन्नति और प्रकृति के लिए स्थानीय शासन का महत्वपूर्ण योगदान है।भारतीय संविधान के अनुच्छेद 40 में भी प्रावधान किया गया है कि राज्य द्वारा ग्राम पंचायत का गठन करने का प्रयास करेगा। इसी क्रम में ग्रामीण पंचायत राज संस्थाओं को सुद्धरण करने के लिए भारत सरकार द्वारा 73वें संविधान संशोधन 1992 द्वारा ग्रामीण पंचायत राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान कर दिया गया है ।

ग्राम सभा :ग्रामीण पंचायतराज संस्थाओं में सबसे छोटी इकाई ग्राम सभा होती है जो की एक संवैधानिक अंग है।

भारतीय संविधान के भाग 9 में अनुच्छेद 243(क) अंतर्गत प्रत्येक ग्राम पंचायत क्षेत्र के लिए एक ग्राम सभा होगी।राजस्थान पंचायत राज अधिनियम 1994 के तहत भी इसका प्रावधान है) । ज्ञाता हो कि ग्राम सभा एक स्थाई अंग है जिसे कभी भंग नहीं किया जा सकता। 

सरंचना : संविधान के अनुच्छेद 243 (क)  के अंर्तगत ग्राम पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले समस्त गांव या गांव से संबंधित सभी पंजीकृत मतदाता इसके सदस्य होंगे। इसका तात्पर्य प्रत्येक 18 वर्षीय या उससे ऊपर के नागरिक जिनका नाम मतदाता सूची में पंजीकृत है ग्राम सभा के सदस्य होते हैं।

अध्यक्षता:ग्राम सभा की अध्यक्षता सरपंच द्वारा की जाती है और उनकी अनुपस्थिति में उपसरपंच द्वारा की जाती है। सरपंच और उपसरपंच दोनों की अनुपस्थिति की स्थिति में बैठक में उपस्थित सदस्यों के बहुमत से इस प्रयोजन के लिए निर्वाचित किए जाने वाले किसी सदस्य द्वारा इसकी अध्यक्षता की जाती है।

ध्यातव्य:ग्राम पंचायत की सबसे छोटी इकई वार्ड सभा होती है जिसमे वार्ड के सभी सदास्य शमिल होते हैं तथा इसकी अध्यक्षता संबंधित वार्ड के वार्ड पंच द्वारा की जाती है।

ध्यातव्य :राजस्थान में ग्राम सभा की शुरुआत सर्वप्रथम 26 जनवरी 1999 को जयपुर जिले के सांगानेर पंचायत समिति की मुहाना ग्राम पंचायत में की गई थी तब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत थे।

ध्यातव्य :राजस्थान देश का पहला राज्य है जहां जनवरी 2000 में वार्ड सभा का पहली बार गठन किया गया था।

ग्राम सभा की बैठके : राजस्थान पंचायत राज अधिनियम 1994 की धारा 8(क)के अंतर्गत ग्राम सभा और उसकी बैठके आयोजित किए जाने का प्रावधान किया गया है। प्रत्येक ग्राम सभा की अनिवार्य रूप से वर्ष में दो बैठके होती है लेकिन सामान्यतः चार बैठक होती है (1) 26 जनवरी (2) 1 मई (3)15 अगस्त और (4)2 अक्टूबर।

ध्यातव्य :ग्राम सभा की विशेष बैठक: कुल सदस्यों का काम से कम 5% या 25 सदस्यों में से जो भी अधिक हो के द्वारा सचिव को लिखित में सूचना के आधार पर ग्राम सभा की विशेष बैठक बुलाई जा सकती है।

ध्यातव्य: ग्राम सभा की बैठक बुलाई जाने के लिए कुल सदस्य संख्या का 1/10  का समर्थन आवश्यक है।

ग्राम सभा से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य

* ग्राम सभा की बैठक बुलाने का अधिकार संबंधित ग्राम पंचायत के सरपंच को प्राप्त होता है।

* ग्राम सभा का सचिव संबंधित ग्राम पंचायत के (VDO) ग्राम विकास अधिकारी ग्राम सभा का सचिव होता है।

शांति समिति :पेसा अधिनियम 1996 के तहत राजस्थान में अधिसूचित क्षेत्र की ग्राम पंचायत को शांति समिति के गठन का अधिकार प्राप्त है ।इस समिति में कुल 20 सदस्य होते हैं जिनमें से 33% महिलाएं और 50% अनुसूचित जनजाति के होना आवश्यक है।

ग्राम सभा के कार्य: 

सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए योजनाओं और कार्यक्रमो को मंजूरी देना।

मनरेगा के श्रमिकों व उनके कार्यों तथा बीपीएल श्रेणी का निर्धारण करना।

राज्य सरकार द्वारा पंचायत राज कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए दी जाने वाली राशि के सही उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए ग्राम सभाओं के माध्यम से अंकेक्षण की व्यवस्था की गई है।

गरीबी मिटाने और अन्य कार्यक्रमों के अंतर्गत लाभार्थियों के रूप में व्यक्तियों की पहचान करना।

भूमि अधिग्रहण पुनर्वास पर परामर्श देना।

लघु जल निकायों की योजनाओं और प्रबंधन का कार्य करना।

मादक द्रव्य की बिक्री और सेवन को भी विनियमित करना ।

ग्रामीण हाट बाजार का प्रबंध करना।

अनुसूचित जनजातियों के लिए महाजनी पर नियंत्रण करना।

अंधविश्वास के मामले में ग्राम सभा खुली बैठक में विचार विमर्श कर सकती है।

ग्राम सभा अपने अधिकार क्षेत्र के अंर्तगत शांतिपूर्ण वातावरण बनाएं रखने और  लोगों के आत्म सम्मान करने के लिए प्रत्येक नागरिक की स्वतंत्र अभिव्यक्ति बनाए रखना और विवाद को सुलझने का कार्य करने के लिए सक्षम होती है।

3 thoughts on “ग्राम सभा क्या है ? क्या ग्राम सभा संवैधानिक अंग है ?”

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