संसदीय शासन प्रणाली व संसदीय कार्यप्रणाली में कई प्रकार के प्रस्ताव महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, उनमें से दो प्रस्ताव बड़े महत्वपूर्ण है-  विश्वास प्रस्ताव और अविश्वास प्रस्ताव ।


1.विश्वास प्रस्ताव2.अविश्वास प्रस्ताव 


ध्यान देने योग्य बात है कि विश्वास प्रस्ताव सत्ता पक्ष द्वारा लाया जाता है और अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष द्वारा ही लाया जाता है । संसदीय शासन प्रणाली में कार्यपालिका का जीवन लोकसभा के विश्वास मत पर ही निर्भर करता है सरकार के बने रहने के लिये लोकसभा में बहुमत जरूरी है ।कई बार  सरकार को सदन में बहुमत साबित करना पड़ता है इसके लिए सरकार विश्वास प्रस्ताव ला सकती है या फिर विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाकर सरकार से बहुमत साबित करने को कह सकती है और अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर सरकार को कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व ही त्यागपत्र देना होता है ।

  • अविश्वास प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया क्या है ?


संसदीय कार्य प्रणाली की नियमावली के नियम 198 के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है या विपक्ष सरकार के पास जा सकती है और उसे सदन में बहुमत साबित करने को कह सकती है ।


अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा के नियम 198 के तहत आता है । सामान्यतया संविधान के अनुच्छेद 75 में यह कहा गया है कि मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगी । लोकसभा में विपक्ष के किसी भी सदस्य को यह लगे या अनुभव होता है कि सरकार सदन में अपना विश्वास खो चुकी है तो वह सत्ता पक्ष को अपना बहुमत साबित करने के लिए कह सकता है और अविश्वास प्रस्ताव ला सकता हैं । ध्यान देने योग्य बात यह है कि अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में ही लाया जा सकता है राज्यसभा में नही ।


★ लोकसभा कार्य नियमावली के नियम 198  (1) क के तहत अध्यक्ष के बुलाये जाने पर प्रस्ताव रखे जाने की अनुमति माँगी जाती है।


★ इसके लिए नियमावली के नियम 198 (1) ख  के तहत प्रस्ताव की लिखित सूचना लोकसभा महासचिव को देनी होती है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि प्रस्ताव की सूचना सुबह 10:00 बजे से पूर्व दी जाने होती है अन्यथा इसे अगले दिन दी गई सूचना मानी जाएगी।


★ नियम 198 (2) के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में कम से कम 50 सदस्यों का होना जरूरी है यदि प्रस्ताव के पक्ष में 50 से कम सांसद हो तो अध्यक्ष प्रस्ताव रखने की अनुमति नहीं देते है। 

★ नियम 198(3) के तहत अगर अनुमति मिल जाती है तो अध्यक्ष उस पर चर्चा के लिए एक या ज्यादा दिन या दिन का कोई भाग निर्धारित कर सकता है।


★ नियम 198 (4) के अनुसार चर्चा के अंतिम दिन लोकसभा अध्यक्ष द्वारा मतदान के माध्यम से निर्णय की घोषणा करता है।


★ नियम 198 (5) के तहत सदस्यों के भाषण की समय सीमा निर्धारित करने का अधिकार अध्यक्ष जको प्राप्त होता है।


★ मतदान के पश्चात लोकसभा अध्यक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव खव पारित होने की घोषणा कर दी जाती है तो सरकार को त्यागपत्र देना होता है और सरकार गिर जाती है।

  • अब तक 28 बार लाया गया अविश्वास प्रस्ताव

देश के संसदीय इतिहास में अब तक 28 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है। सबसे पहली बार पंडित जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ 1963 में और अब तक अंतिम बार जुलाई 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था ज्ञात हो कि दोनों ही बार अविश्वास प्रस्ताव पारित नही ही पाया।

  • नेहरू के खिलाफ लाया गया था पहली बार


अविश्वास प्रस्ताव एक महत्वपूर्ण कार्यप्रणाली है। भारतीय संसदीय इतिहास में सर्वप्रथम अप्रैल 1952 को पहली लोकसभा का गठन हुआ तब से लेकर वर्तमान समय तक कई बार अविश्वास प्रस्ताव सदन में लाये जा चुके हैं। सर्वप्रथम पंडित जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में अगस्त 1963 में आचार्य जे बी कृपलानी के द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था हालांकि यह प्रस्ताव 347 के मुकाबले 62 मतों से गिर गया था और पारित नही हो सका।

  • जुलाई 2018 में अब तक अंतिम अविश्वास प्रस्ताव 

जुलाई 2018 में प्रधान मंत्री मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव कॉंग्रेस पार्टी के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने पेश किया लेकिन मतदान के बाद सदन में विपक्ष द्वारा लाया गया यह अविश्वास प्रस्ताव गिर गया है।  प्रस्ताव के पक्ष में कुल 126 मत पड़े जबकि विपक्ष में 325 मत पड़े। 

  • अब तक कितनी बार अविश्वास प्रस्ताव पारित हुआ


भारतीय संसदीय इतिहास में अब तक जितनी भी बार सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया उसमें से एक भी बार अविश्वास प्रस्ताव पारित नहीं हो सका,सभी मामलों में अविश्वास प्रस्ताव पारित होने से पूर्व या मत विभाजन होने से पूर्व ही त्याग पत्र दे दिया गया था या प्रस्ताव पारित ही नही हुआ।


प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी को सबसे अधिक अविश्वास प्रस्तावों (15) का सामना करना पड़ा था। 

लाल बहादुर शास्त्री सरकार के खिलाफ (इनके खिलाफ पहली बार 1964 में निर्दलीय सांसद एन सी चटर्जी )और कुल तीन बार तथा पीवी नरसिम्हा राव सरकार में उंनको तीन-बार, अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा।
प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के खिलाफ दो बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। पहली बार मोरारजी देसाई की सरकार बच गई लेकिन दूसरी बार उनके खिलाफ जो अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था तब अपनी हार का अंदाज़ा लगते ही मोरारजी देसाई ने मतविभाजन से पहले ही 1979 में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

इसके अतिरिक्त जवाहरलाल नेहरू ,राजीव गांधी ,अटल बिहारी वाजपेयी ,नरेंद्र मोदी  को भी इसका सामना करना पड़ा था।

  • ध्यातव्य


प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अब तक सबसे अधिक बार (15 बार) अविश्वास प्रस्ताव का सामना किया है। 

सबसे अधिक बार अविश्वास प्रस्ताव (चार बार) रखे जाने का रिकॉर्ड ज्योतिर्मय वसु के नाम है।


अटल बिहारी वाजपेय ने भी  विपक्ष में रहते हुये अपने जीवन काल में दो बार अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में प्रस्तुत किया था।

संदर्भ-

विश्वास प्रस्ताव क्या होता है ? यह अब तक कितनी बार व कब-कब लाया गया। – डॉ ज्ञानचन्द जाँगिड़ – https://go.shr.lc/3vTWOee

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