भारतीय संविधान के भाग 03 के अंतर्गत अनुच्छेद 12 से लेकर अनुच्छेद 35 तक मौलिक अधिकारों का उल्लेख है ।मूल संविधान में 07 मौलिक अधिकार प्रदान किये गए थे लेकिन मोरारजी देसाई के कार्यकाल में 44 वें संविधान संशोधन 1978 के द्वारा अनुच्छेद 31 के तहत आने वाला संपत्ति के मौलिक अधिकार को मौलिक अधिकार की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है और अब केवल 06 मौलिक अधिकार ही प्राप्त है। 


संविधान के इन 06 मौलिक अधिकारों में से दूसरा सबसे प्रमुख मौलिक अधिकार माने जाने वाला स्वतंत्रता का अधिकार जो कि संविधान के अनुच्छेद 19 से लेकर 22 तक है।अनुच्छेद 19 में स्वतंत्रता के अधिकार के नाम से एक प्रमुख मौलिक अधिकार है। इसे संविधान की मेरुरज्जु /रीड की हड्डी भी कहा जाता है। 
मूल संविधान में अनुच्छेद 19 को 06 भागों में विभाजित किया गया है जो निम्न प्रकार से है।अनुच्छेद 19 (1)
अनुच्छेद 19 (2)
अनुच्छेद 19 (3)
अनुच्छेद 19 (4)
अनुच्छेद 19 (5)
अनुच्छेद 19 (6)

  • संविधान के अनुच्छेद 19 (1) स्वतंत्रता का अधिकार

 
इसके अंतर्गत सात प्रकार की स्वतंत्रता प्रदान की गई थी लेकिन 44 वें संविधान संशोधन 1978 के द्वारा अनुच्छेद 19 के तहत आने वाली संपत्ति की स्वतंत्रता को मौलिक अधिकार की श्रेणी से हटा दिया गया है और  अब अनुच्छेद 19(1) के तहत  06 प्रकार की ही स्वतंत्रता प्राप्त है जो निम्न प्रकार से है।


● भाषा व विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

अनुच्छेद 19 (1) क के तहत भाषण, विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान की गई है । इसके अंतर्गत प्रेस की स्वतंत्रता, नकारात्मक मतदान करने की स्वतंत्रता,जानने का अधिकार,मोन रहनेे का अधिकार, राष्ट्रध्वज फहराने का अधिकार, सूचना का अधिकार, प्रदर्शन करने का अधिकार आदि की स्वतंत्रता प्राप्त है।  

ध्यातव्य:-1 विचार अभिव्यक्ति का कोई भी माध्यम हो सकता है जैसे बोल कर,लिख कर,कार्टून बनाकर ,चल चित्र बनाकर,फिल्म बनाकर,सीरियल बना भाषण देकर कविता पाठ करके किसी अलग के माध्यम से और किसी भी माध्यम से विचारों की अभिव्यक्ति की जा सकती है।

ध्यातव्य:- 2 .ध्यान देने योग्य बात है कि हड़ताल करने का अधिकार इसके अंतर्गत नहीं आता है।


ध्यातव्य :- 3. प्रेस की स्वतंत्रता दी इसी अनुच्छेद के अंतर्गत आती है। विभिन्न एलेक्ट्रॉनिक माध्यमों व परम्परागत रूप से प्रकाशित अखबारों को प्रदान की गई स्वतंत्रता को प्रेस की स्वतंत्रता कहा जाता है। 

  • सूचना की स्वतंत्रता


सूचना का अधिकार और सूचना की स्वतंत्रता का उल्लेख भारतीय संविधान के किसी भी अनुच्छेद में नहीं है लेकिन कई मामलों में इसे विचार व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा माना गया है । उदाहरण के लिए एस.पी गुप्ता बनाम भारत संघ मामले में सर्वोच्च न्यायालय में निर्णय दिया कि भारतीय संविधान के किसी भाग में भले ही सूचना की स्वतंत्रता का उल्लेख नहीं हो लेकिन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) क के अंतर्गत भाषण और विचार अभिव्यक्ति का ही हिस्सा माना जाएगा।

  • तिरंगा फहराने की स्वतंत्रता

तिरंगा झंडा फहराना भी विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19(1)क  का हिस्सा माना गया है।  नवीन जिंदल बनाम भारत संघ मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि कोई भी व्यक्ति अपने घर,अपने प्रतिष्ठान, अपने ऑफिस पर तिरंगा झंडा फहराता है तो उसे अनुच्छेद 19(1)क के तहत विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तो उसे अनुच्छेद 19(1) क के तहत ही मौलिक अधिकार माना जाएगा।

  • सभा और सम्मेलन करने की स्वतंत्रता


अनुच्छेद 19 (1) ख  के अनुसार  राज्य क्षेत्र में शांतिपूर्ण एवं निरायुद्ध रूप से सम्मेलन करने की स्वतंत्रता प्राप्त है। सिख धर्म केे अनुयायियों के द्वारा कृपाण धारण कर सैकड़ों की संख्या में एकत्रित होते है सभा या सम्मेलन करते है तो इसे अनुच्छेद 19(1)ख  का उल्लंघन नहीं माना जाएगा ।क्योंकि कृपाण धारण करना सिख संप्रदाय के लोगों का अधिकार भी है और स्वतंत्रता भी।

  • संघ व संगठन निर्माण की स्वतंत्रता


● अनुच्छेद 19 (1) ग इस अनुच्छेद के तहत नागरिकों को संघ वसंगठन या सहकारी समिति निर्माण करने की स्वतंत्रता प्राप्त है। लोकहित में इस पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

  • निर्बाध रूप से भ्रमण करने की स्वतंत्रता

● अनुच्छेद 19 (1) घ संविधान के इस अनुच्छेद के अंतर्गत नागरिकों को राज्य्य क्षेत्र निर्बाध रूप से कहीं भी भ्रमण करने की स्वतंत्रता है।  ज्ञात हो कि कुछ अनुसूचित क्षेत्र और जम्मू कश्मीर में इस स्वतंत्ररता पर प्रतिबंध लगाया जा सकता था। हाल ही में धारा 370 को हटााए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में अब यह प्रावधान लागू नहीं होता है ।

  • निर्बाध रूप से निवास करने की स्वतंत्रता

● अनुच्छेद 19 (1) ङ  राज्य क्षेत्र में कहीं पर भी निर्बाध रूप से निवास करने की स्वतंत्रता प्राप्त है ।ज्ञात हो कि कुछ अनुसूचित क्षेत्र और जम्मू कश्मीर में इस स्वतंत्ररता पर प्रतिबंध लगाया जा सकता था। हाल ही में धारा 370 को हटााए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में अब यह प्रावधान लागू नहीं होता है ।

संपत्ति की  स्वतंत्रताअनुच्छेद 19(1) च-  इसके अंतर्गत संपत्ति खरीदनेेे और बेचने की स्वतंत्रता है लेकिन 44 वें संविधान संशोधन 1978 के द्वारा इसे मौलिक अधिकार की श्रेणी से हटा दिया गया है।

  • जीविकोपार्जन हेतु व्यवसाय, व्यापार,वृति की स्वतंत्रता

● अनुच्छेद 19(1) छ किस अनुच्छेद के अंतर्गत नागरिकों को रोजगार व जीविका की स्वतंत्रता प्राप्त है। लोकहित, सदाचार और नैतिकता के आधार पर इस स्वतंत्रता पर रोक लगाई जा सकती है।

  • स्वतंत्रताओ पर निर्बंधन/प्रतिबंधन का प्रावधान।

अनुच्छेद 19 के तहत मिलने वाली स्वतंत्रता अबाध नही है उन पर प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। इस अनुच्छेदो के अंतर्गत इस बात का उल्लेख किया गया है कि उपरोक्त स्वतंत्रताओ पर किन-किन आधार पर युक्तियुक्त निरबंधन का प्रतिबंध लगाए जा सकते है।

  • यह है निर्बंधन/प्रतिबंधन  के आधार


अनुच्छेद 19 के तहत मिलने वाली स्वतंत्रता अबाध नहीं है इन पर युक्तियुक्त प्रतिबंध लगाये जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त संविधान के अनुच्छेद 19(3),19(4) और 19(5) तथा 19 (6) में युक्ति प्रबंधन शब्द मूल संविधान में पहले से ही उल्लेखित थे।  केवल और केवल अनुच्छेद 19(2)  में यह शब्द बाद में जोड़े गए थे। आइये जानते है उन परिस्तिथियों के बारे में जिनमे प्रतिबंध लगाए जा सकते है- जैसे 


(1) भारत की एकता और अखंडता बनाए रखने के लिए ।राज्य की सुरक्षा के लिए।
(2) विदेशी राज्य के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के लिए। 
(3) लोक व्यवस्थ, शिष्टाचार तथा सदाचार के हित में 
(4) न्यायालय की अवमानना होने पर 
(5) मानहानि तथा अपराध उद्दीपन के संबंध में आदि। 
ध्यान देने योग्य बात यह है कि युक्तियुक्त निरबंधन शब्द का उल्लेख अनुच्छेद 19(2) के तहत नहीं था।  

सन 1951 के पहले संविधान संशोधन के द्वारा युक्तियुक्त निरबंधन शब्द जोड़े गए- इस संविधान संशोधन के द्वारा तीन आधार पर –  (1) विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के आधार पर, (2) लोक व्यवस्था के आधार पर, (3) अपराध उद्दीपन पर निर्बंधन स्थापित किए गए ।

अनुच्छेद 19(1) छ के अंतर्गत आने वाला अधिकार व्यापार,वृत्ति, उपजीविका, कारोबार करने का अधिकार अबाध नहीं है इस पर युक्तियुक्त निर्बंधन लगाए जा सकते हैं। भारत की प्रभुता और अखंडता शब्द इसके पश्चात 16वा संविधान संशोधन 1963 के द्वारा शामिल किया गया था।

ध्यान देने योग्य बात है कि आजीविका, व्यापार, व्यवसाय वृत्ति में से कुछ व्यवसाय के लिए तकनीकी योग्यता निर्धारित की जा सकती है।

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