काव्य/मुक्तक -खुमार में..
कभी इश्क के खुमार में बन संवर चला करो,मुजरे में दिल जलाने रक़ीबों का चला करो! यूँ हर वक्त मदहोशी में बदहवास न रहा करोऔलाद फाके मंद जरा कमा कर…
(M.A. B.ED, NET, SET, Ph.d, LL.B)
कभी इश्क के खुमार में बन संवर चला करो,मुजरे में दिल जलाने रक़ीबों का चला करो! यूँ हर वक्त मदहोशी में बदहवास न रहा करोऔलाद फाके मंद जरा कमा कर…
(रचनाकार:गोविंद नारायण शर्मा ) इक लम्हा ठहरो तेरे माफ़िक निखर जाएंगे,तेरे स्पर्श से रूहानी जज्बात बहक जाएंगे! होंठों पर जब प्यार के दो नगमें गुनगुनाएंगे,मख़मली आवाज से मुसाफ़िर ठहर जाएंगे!…
मोहब्बत के सारे निशां मिटाकर गयी हैं वो ,चीरकर दिल तड़पता ठुकराकर गयी हैं वो! घोंपकर खंजर दिल में मरा जानकर गयी है,हाथों से कत्ल के सबूत मिटाकर गयी हैं…
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