धर्म और आध्यात्म से जुड़ी घटना: बात आस्था और विश्वास की है

बघेरा ब्रह्माणी माता मंदिर में देवी का मूल रूप आया सामने,भक्त उमड़ रहे हैं नए रूप का दर्शन करने के लिए..बात आस्था और विश्वास की है।

1 मान्यता के अनुसार करीब 100 वर्षों के बाद माता ने बदला अपना चोला….
2 इस प्रकार बदला चोला मानो देवी खुद नए रूप में दर्शन देना चाहती है।

3 माता के मूल रूप का हुआ दर्शन, कभी किसी ने नहीं देखा था पहले
4 माता के चार भुजाओं की प्रतिमा का रूप आया सामने
5 माता का ममतामय और मनमोहने वाला चेहरा आने लगा है नजर


“मानो तो मैं गंगा मैया ना मानो तो पानी”…आपने यह गाना सुना हो होगा माने और नहीं मानने पर केवल आस्था और विश्वास की बात होती है।

भारतीय धर्म,सभ्यता,संस्कृति और जीवन शैली में आस्था और विश्वास की बात आज से नहीं युगो युगो से की जाती रही है…धर्म, संस्कृति,मंदिर, मूर्तियां में ऐसी अनेक घटनाएं घट जाती है.. घटित होती है जिनको माने तो वह चमत्कार और ना माने तो सिर्फ घटनाएं होती है।

  • बात है बस विश्वास की

बात है तो केवल विश्वास की आपने भी अपने जीवन में धर्म संस्कृति को लेकर अनेक प्रकार के चमत्कार और घटनाओं के बारे में सुना होगा उसे घटनाओं के पीछे अगर कोई महत्वपूर्ण बात है तो वह है आपकी आस्था और आपका विश्वास…

  • बघेरा कस्बे की है घटना

केकड़ी जिले का बघेरा कस्बा जो अपने आप में धर्म,संस्कृति,पौराणिकता और आध्यात्मिकता के क्षेत्र में अपनी पहचान रखना है.. बात उसी बघेरा की है कहां ब्रह्माणी माता रानी के मंदिर में ऐसी घटना घटित हुई ।

धर्म और आध्यात्मिक विश्वास है कि मान्यता के अनुसार आध्यात्मिक शक्तियां समय-समय पर अपना रूप, स्वरूप बदलती हैं या कहा जाता है कि सच्चे मन और विश्वास से उनसे कोई मांग करें तो वह कार्य जरूर पूरा होता है।

  • कमेटी वालो ने रखा सृजनात्मक प्रस्ताव

आज से ठीक 3 महीने पहले जब माता रानी के पुरानी व छोटे-मोटे छात्रों की चांदी को इकट्ठा करके एक कोई बड़ी वस्तु बनाने का विचार श्री ब्रह्माणी माता विकास समिति के मन में आया और समिति की एक आम बैठक बुलाकर समिति के पास पड़े जेवरातों को गला कर इकट्ठा करने की योजना बनाई और जब यह जेवरात गल का इकट्ठा हो गए तो एक बड़ा कोई आभूषण बनाने का विचार प्रस्ताव रखा गया …

  • नामी स्वर्णकार से किया संपर्क

मीटिंग में उपस्थित लोगों में से ही सांवरिया जी, खाटू श्याम व अन्य बड़े धार्मिक मंदिरों की तर्ज पर श्री ब्रह्माणी माता रानी के भी चांदी की पोशाक सोने का वर्क चढ़कर पोशाक बनाने का सभी ने सोचा और इस हेतु स्थानीय शहर केकड़ी में जो सुंदर और आकर्षक आभूषण बनाने वाले कलाकार जो हाल ही में अयोध्या में निर्मित राम मंदिर में पोषक बनाकर के आए हैं और उन्होंने श्री सांवरिया सेठ के भी पोशाके बनाई है, उनसे संपर्क किया और उनको यह दायित्व सोपा गया।

  • पहली बार हुआ चार हाथो वाली देवी का दर्शन

उन्होंने अयोध्या से आकर के आज के 2 महीने पहले श्री माता रानी के मंदिर में बैठकर हमें पोशाक के बारे में जानकारी दी कि यह कितने की पड़ेगी कितने समय में बन जाएगी।

इसके बाद में उन्होंने माता जी के पुजारी के साथ में निज मंदिर में जाकर के माता जी के दर्शन किए और माताजी के स्वरूप का मन में आकलन किया सोनी जी ने उसे दिन हमें बताया कि माता जी के चार हाथ हैं,चतुर्भुज रूप वाली है और एक पाँव मुड़ा हुआ है वह विराजमान है ।

  • स्वर्णकार ने मन में किया विचार

आभूषण बनाने वाले स्वर्णकार ने कहा कि मैं चाहता हूं की इसी रूप में में पोषाक बनाऊं । सोनी जी ने कहा फिर कुछ सोचने के बाद में उन्होंने सामने जाकर के माता जी से आज्ञा ली, आखों के रूप में और हमें बताया की हर 100 साल में मूर्ति अपना चोला या कामी छोड़ती है और जिस दिन यह माता रानी मुझे आदेश कर देगी मैं पोशाक बना दूंगा ।

हमने नवरात्र से पूर्ण पोशाक बनाने की इनको बात कह दी तो कल दिनांक 13 सितंबर 2024 शुक्रवार को यह शाम को बघेरा आए और पुजारी तथा कमेटी के सदयो के सामने माताजी की प्रार्थना वन्दना करने के बाद में पोशाक का नाप लेने लगे।

  • घटित हुई आश्चर्यचकित घटना

जब ये पौशाक का नाप ले रहे थे.तो एक बार भी तो उन्होंने पूरा नाप ले लिया लेकिन उसके देर बाद में जब यह एक हाथ में कलश रूपी जो मुद्रा बनी हुई थी वहां हाथ लगाया तो वहां की जो कामी है स्वत: हट कर के नीचे गिर गई और धीरे-धीरे पूरे शरीर पर लगी हुई कामी हटकर गिरने लगी जो किसी चमत्कार से कम नहीं था और उसे जगह पर मूर्ति का जो मूल स्वरूप नजर आ गया जो कलश रूप में था मानो माता स्वयं अपने नए रूप में दर्शन दे रही हो… तो सोनी जी ने वहीं पर काम रोक दिया और इनके पास में जो पुजारी जी थे उनसे पूछा कि अब मैं क्या करूं ।कामी लगी चोला इस प्रकार उतरने लगा मानो देवी खुद नए रूप में दर्शन देने चाहती है।

  • पुजारी ने बताया कि

मंदिर में पुजारी नंदलाल पाठक ने बताया कि एक विश्वास के अनुसार चमत्कारिक मूर्तियां करीब 100 वर्षों के बाद अपना चोला जरूर छोड़ती है उतारती है। विश्वास किया जा रहा है कि बघेरा में ब्रह्माणी माता ने भी 100 वर्षों बाद में माता रानी ने अपना निज स्वरूप प्रकट किया यह बड़े ही चमत्कारपूर्ण घटना है।

चार भुजा वाली देवी का मूल स्वरूप देखा पहली बार

पोशाक का नाप लेते समय सोनी जी ने समिति के सदस्यों को कहा कि मुझे क्या करना चाहिए समिति के सदस्यों ने गांव के जो सबसे बुजुर्ग पुजारी श्री नंदलाल जी पाठक को बुलाया और उनसे राय मशवरा किया उनसे परामर्श मांगा गया कि अब क्या करना चाहिए ऐसे में पुजारी जी ने भी कहा कि भाई जब मूर्ति का मूल स्वरूप नजर आ रहा है तो यह ऊपर कामी का चोला चढ़ते चढ़ते इतना लगभग दो इंच का हो गया है ।

  • चमत्कार या आस्था

पुजारी के अनुसार माता जी की आज्ञा लेकर के एक बार और देखोगे कहां-कहां से यह ज्यादा कामी चढ़ी हुई है तो इस समय स्वत: ही दूसरे हाथ में जहां पर कटोरा था वहां से भी कामी हट गई नीचे गिर गई जब चरणों की तरफ देखा तो वहां से कामी हट गई और सबसे बड़ी बात तो यह है कि चेहरे के सामने भी लगभग 3 इंच की कामी हट करके उनके सोनी जी के हाथ में आ गई तब पुजारी जी और समिति के जो सदस्य थे उनके अनुसार उनके कहने पर उसे हटी हुई कामी को सोनी जी ने हटाया तो पूरा वास्तविक स्वरूप सामने आ गया। जिसे शायद ही किसी ने देखा हो।

इसके बाद में सुबह पुजारी जी एवं सभी उपस्थित सदस्यों के साथ प्रातः कालीन श्रंगार और आरती अभिषेक किया गया तो माता का नया ही रूप सामने आया.. यह चमत्कारपूर्ण घटना भक्तजनों के आशीर्वाद के लिए बड़ा ही उपहार है।

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