रात रुक जाने की फरियाद करते रह गये, वो अनमने से भाव लिए सुबकते रह गये!
दिल में बड़ी ख्वाहिशें संजोये उनकी तरफ से, हम से बेहतर कोई मिला शायद तन्हा रह गये!
जिंदगी में शुकूँ मिलेगा किताबों में लिखा है, अपनों के दिए जहर के घूँट पीकर रह गये!
तेरी मजलिस में तेरे कशीदे सुनने गये थे शौक से! बेसुरो की महफ़िल में अलाप सुने बिन रह गये!
रात के चमकते सितारों से दोस्ती की , सूरज उगते ही आंखों से ओझल हो गये!
@गोविन्द नारायण शर्मा