संसद की कार्यवाही के ऐसे दो प्रस्ताव जो सदन की कार्यवाही को प्रभावित भी करते है और विपक्ष के लिए भी बहुत महत्व रखते है। सामान्यतया स्थगन प्रस्ताव और ध्यान आकर्षण प्रस्ताव के अर्थ एक जैसे लगते है लेकिन है अलग ..आखिर किस तरह ये अलग अलग है ..जानेंगे इस आलेख के माध्यम से ।
‘ स्थगन प्रस्ताव’ और ध्यान आकर्षक प्रस्ताव संसद की कार्यवाही के एक महत्वपूर्ण अंग है या यूं कहे कि यह एक सार्वजनिक महत्त्व के विषयों पर चर्चा से संबंधित प्रस्ताव है।
स्थगन प्रस्ताव कब और क्यों लाया जाता है ?
जब संसद के दोनों सदनों का सत्र चल रहा हो एवं उस दरमियान कोई भी सार्वजनिक महत्त्व की घटना हो जाये तो यह प्रस्ताव लाया जा सकता है। स्थगन प्रस्ताव लोकसभा में किसी लोक महत्व के मामले यानी सार्वजनिक महत्व के मामले पर सदन का ध्यान आकर्षित करने के लिए पेश किया जाता है। इसमें सरकार के खिलाफ निंदा का तत्व शामिल होता है और यह सदन की सामान्य कार्यवाही को बाधित भी करता है।
इस प्रस्ताव द्वारा सदन के सदस्य लोकसभा में चल रहे नियमित काम को रोक कर, उस लोक महत्त्व के प्रश्न पर चर्चा करते हैं।
ध्यातव्य: स्थगन प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए सदन के 50 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होती है।
ध्यातव्य: स्थगन प्रस्ताव को पेश करने के लिए आवश्यक है कि मामला लोक महत्व का हो,मामले में विलंब किया जाना उचित न हो,मामला का आधार तथ्यात्मक हो, तभी ऐसा प्रताव लाया जा सकता है।
किस सदन में लाया जा सकता है प्रस्ताव
यह प्रस्ताव संसद के लोक सभा /निम्न सदन में लाया जा सकता है। जब लोक सभा में स्थगन प्रस्ताव लाया जाता है, तो इस दिन प्रातः 10 बजे से पहले उस सदन के अध्यक्ष को सूचित करना पड़ता है।
ध्यातव्य: राष्ट्रपति के अभिभाषण के दिन स्थगन प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है।
अध्यक्ष की अनुमति से लाया जाता है प्रस्ताव
स्थगन प्रस्ताव लोक सभा में लाया जाता है यदि सदन का अध्यक्ष उस प्रस्ताव से सहमत है, तो उसकी स्वीकृति से ही स्थगन प्रस्ताव लाया जा सकता है ।
ध्यातव्य: ध्यान आकर्षण प्रस्ताव भी सार्वजनिक महत्व के विषय पर ध्यान आकर्षण कराने वाला प्रस्ताव है। यह अध्यक्ष या सभापति की अनुमति से ही लाया जाता है । इस दिन प्रातः 10 बजे से पहले उस सदन के अध्यक्ष को सूचित करना पड़ता है।
यहां यह भी जानना जरूरी है कि सदन में स्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा करने के लिए किसी विषय को स्वीकार करने या अस्वीकार करने की पूरी शक्ति सदन के पीठासीन अधिकारी के पास होती है ।
ध्यातव्य: पीठासीन अधिकारी किसी मामले को अस्वीकृत करता है तो पीठासीन अधिकारी उसका कारण बताने के लिए बाध्य है नहीं है ।
ध्यातव्य: स्थगन प्रस्ताव राज्यसभा में न लाने की बजाय इसे केवल लोकसभा में ही उपयोग करने की अनुभूति होती है ।
दोनो में क्या है ? अंतर
अब सवाल है कि अगर यह सदन का ध्यान आकर्षित करने के लिए स्थगन प्रस्ताव पेश किया जाता है तो फिर ध्यान आकर्षण प्रस्ताव क्या होता है ?और इन दोनो में क्या अंतर है ?
(1) ध्यान आकर्षण प्रस्ताव संसद के किसी भी सदस्य द्वारा किसी एक मंत्री का ध्यान आकर्षित करने के लिए लेकर आता है और उसे मंत्री से बयान की अपेक्षा की जाती है जबकि स्थगन प्रस्ताव एक मंत्री की जगह पूरे सदन का ध्यान आकर्षित करने के लिए पेश किया जाता है ।
(2) स्थगन प्रस्ताव केवल और केवल लोक सभा में ही लाया जा सकता है लेकिन ध्यान आकर्षण प्रस्ताव को लोक सभा और राज्यसभा किसी भी सदन में लाया जा सकता है ।
ध्यातव्य: ध्यान आकर्षण प्रस्ताव का प्रचलन 1954 से चला आ रहा है।