भारतीय संविधान निर्माण के संबंध में भीम राव अंबेडकर, रायजादा, प्रारूप समिति ,बी.एन.राव का नाम बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है और उनके योगदान को याद किया जाता है ।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को संविधान का जनक/पिता कहा जाता है। डॉ भीमराव अंबेडकर के साथ-साथ श्रद्धा निर्माण में कई नाम बड़े सम्मान से ले जाता है । संविधान का पितामह कहलाने का सम्मान किसे प्राप्त है और उनका संविधान निर्माण में क्या योगदान है ? आईए जानते हैं इस आलेख के माध्यम से की संविधान के पितामह कौन है ?और उनका भारतीय संविधान निर्माण में क्या योगदान है। उससे संबंधित पूर्णतया तथ्यात्मक जानकारी।
- भारतीय संविधान के पितामह कौन और क्यों ?
भारतीय संविधान के पिता/जनक डॉ भीमराव अंबेडकर माने जाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं? कि भारतीय संविधान के पितामह के रूप में किसका नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है ? तो आपको बता दे कि संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार बी एन राव को संविधान का पितामह के नाम से जाना जाते है। क्योंकि भारतीय संविधान निर्माण में उनका बड़ा महत्वपूर्ण योगदान रहा है। संविधान निर्माण में उनके महत्वपूर्ण योगदान को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने संविधान सभा में भी स्वीकार किया था।
ध्यातव्य: जुलाई 1946 में बी.एन.राव को तत्कालीन वायसराय ने संवैधानिक सलाहकार नियुक्त किया था।
ध्यातव्य: जाने माने विद्वान ग्रीनविल ऑस्टिन ने भारतीय संविधान निर्माण में 21 लोगों का महत्तवपूर्ण योगदान माना गया था । उनके अनुसार संविधान निर्माण में जिन 21 लोगों का सर्वाधिक योगदान रहा है उनमे बी एन राव भी एक थे।
- संविधान का पहला प्रारूप किया तैयार
संवैधानिक सलाहकार बी एन राव के द्वारा ही संविधान का मूल और पहला प्रारूप अक्टूबर 1947 मे तैयार किया था जिसमें 240 अनुच्छेद और 13 अनुसूची थी।इसी प्रारुप पर डॉ भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता वाली संविधान प्रारुप समिति ने विचार किया और प्रारूप समिति ने फरवरी 1948 को संविधान सभा के सामने प्रारूप प्रस्तुत किया था । डॉ भीमराव अंबेडकर वाली प्रारूप समिति ने जो प्रारूप संविधान सभा के सामने प्रस्तुत किया था उसमें 315 अनुच्छेद और 08 अनुसूचियां थी।आगे चलकर बी एन राव द्वारा प्रस्तुत संविधान का प्रारूप ही वर्तमान संविधान का आधार बना। बर्मा (म्यांमार) के संविधान का प्रारूप बनाने का श्रेय भी उन्ही को दिया जाता है।
ध्यातव्य: बी.एन.राव संविधान सभा के सदस्य नहीं थे।
ध्यातव्य:उन्होंने संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार के रूप में अपने काम के लिए किसी भी प्रकार का पारिश्रमिक नहीं लिया ।
- डॉ भीमराव अंबेडकर ने भी किया स्वीकार
डॉ भीमराव अंबेडकर ने भी संविधान निर्माण में बी एन राव के योगदान को स्वीकार किया था। उन्होंने 25 नवंबर 1949 को संविधान सभा में बोलते हुए स्वीकार किया था। उन्होंने कहा था कि ” जो श्रेय मुझे दिया गया है उसका अधिकारी में नही बल्कि बी एन राव है । जो इस संविधान के संवैधानिक सलाहकार है और जिन्होंने प्रारूप समिति के विचारार्थ संविधान का एक मोटे रूप से प्रारूप तैयार किया था।
- कौन है ? बी.एन.राव
बी.एन.राव जिनका पूरा नाम बेनेगल नरसिंह राव है और इनका जन्म 26 फरवरी 1887 को मंगलौर में हुआ था। इनका परिवार एक बंगाली ब्राह्मण परिवार था और इन्होंने केनरा हाई विद्यालय (1901), ट्रिनिटी कॉलेज, और मद्रास विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की और एक कानूनविद, प्रशासनिक अधिकारी, जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री,एक न्यायाधीश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके थे,लगभग 66 वर्ष ने आयु में 30 नवंबर, 1953 को ज्यूरिख( स्विट्ज़रलैंड) में बी.एन राव की मृत्यु हो गई।
- न्यायाधीश व प्रशासनिक अधिकारी के रूप में
चेन्नई और कैंब्रिज से शिक्षित बी एन राव कानूनविद् और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भी रहे। भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन के पश्चात उनकी पहली नियुक्ति बंगाल में हुई थी। कोलकाता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद पर कार्य किया तथा वे अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय में 1952-1953 में न्यायाधीश भी रहे।
ध्यातव्य: बी एन राव कानून के जानकार होने के साथ-साथ स्वतंत्रता से पूर्व सन 1943 से 1944 के बीच इन्होंने कश्मीर राज्य के प्रधानमंत्री के रूप में भी कार्य किया था।
ध्यातव्य: भारत की स्वतंत्रता के साथ-साथ कश्मीर मामले को लेकर भारत-पाकिस्तान के बीच उत्पन्न हुए विवाद के संबंध में भारत सरकार का पक्ष रखने के लिए सुरक्षा परिषद (संयुक्त राष्ट्र संघ) में भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
ध्यातव्य: ज्ञात हो की बी.एन.राव ने जून 1951 मे सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के रूप में भी अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई थी।
संविधान सभा में एकमात्र मुस्लिम महिला सदस्य कौन थी ? – डॉ ज्ञानचन्द जाँगिड़ – https://go.shr.lc/47MNESN
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