भारत के स्वतंत्र होने के पश्चात जब देश में पहली बार अंतरिम सरकार बनी और फिर 1952 के आम चुनाव हुए उससे पूर्व प्रधानमंत्री का नाम तो निश्चित माना जा रहा था हालांकि सरदार पटेल के भी प्रधानमंत्री बनने की चर्चा की थी लेकिन देश का पहला राष्ट्रपति कौन हो इस बात को लेकर भी एक विवाद को देखा गया।
देश के पहले राष्ट्रपति कौन हो इस बात को लेकर भी काग्रेस के बड़े दिग्गज नेताओं और संगठन में विवाद देखा गया था। जिसमे डॉ राजेंद्र प्रसाद की ही जीत हुई।
आइए जानते हैं देश के पहले राष्ट्रपति बिहार के सिवांग जिले के जीरादेई गांव में जन्मे डॉ राजेंद्र प्रसाद के बारे में संपूर्ण जानकारी और राष्ट्रपति बनाने की पूरी कहानी और चुनाव,कार्यकाल शपथ के बारे में।
पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ही क्यों बनें ?
भारत की स्वतंत्रता के पश्चात जब अंतरिम सरकार बनी थी तब नेहरू मंत्रिमंडल में डॉ राजेंद्र प्रसाद खाद्य व कृषि मंत्री के पद पर (15 अगस्त 1947 – 14 जनवरी 1948)
थे। देश के राष्ट्रपति के पद को लेकर दो नाम चर्चा में आए थे जिसमें सी.राजगोपालाचारी और डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम आते हैं। ज्ञात हो कि प. जवाहरलाल नेहरु सी.राजगोपालाचारी को देश के पहले राष्ट्रपति के रूप में देखना चाहते थे।
नेहरू जी नही चाहते थे की ये राष्ट्रपति बने
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू डॉ राजेंद्र प्रसाद को राष्ट्रपति नही बनाना चाहते थे । लेखक R.N.P. द्वारा लिखित पुस्तक “A TROUBLED LEGACY” के अनुसार इसी उद्देश्य से उन्होंने 10 सितंबर 1949 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल का हवाला देते हुए लिखा कि सी राजगोपालाचारी ही देश के पहले राष्ट्रपति बने हालांकि यह बात जब सरदार पटेल को जब मालूम चली तो उन्होंने थोड़ी नाराजगी जाहिर की थी।
क्योंकि इस संबंध में पंडित जवाहरलाल नेहरू की बात सरदार वल्लभ भाई पटेल से नहीं हुई थी और नेहरू ने यह झूठ कहा था,बाद में इस झूठ के लिए पंडित नेहरू ने सरदार पटेल से भी माफी मांगी थी।
आखिरकार डॉ राजेंद्र प्रसाद की जीत हुई और सी राजगोपालाचारी की जगह डॉ राजेंद्र प्रसाद को ही देश का राष्ट्रपति बनाए जाना सरदार पटेल और संगठन द्वारा तय हुआ।
(1) राजेंद्र प्रसाद बने थे देश के अंतरिम राष्ट्रपति
आखिर देश के पहले राष्ट्रपति कौन हो इसका विवाद कांग्रेस पार्टी के संगठन में भी उठा और अंतिम रूप से कांग्रेस संगठन और सरदार वल्लभभाई पटेल के सहयोग से 26 जनवरी 1950 को डॉ राजेंद्र प्रसाद देश के राष्ट्रपति (अंतरिम) बने थे। गवरमेंट हाउस के दरबार हॉल में डॉ राजेंद्र प्रसाद ने शपथ ग्रहण की थी तथा इस पद पर इनका कार्यकाल 12 मई 1952 तक रहा।
(2) डॉ राजेंद्र प्रसाद बने भारत के पहले राष्ट्रपति
26 जनवरी 1950 को स्वतंत्र भारत का संविधान लागू होने के पश्चात 1952 में देश के पहले आप चुनाव हुए और इसके अतिरिक्त सन 1952 में ही राष्ट्रपति का चुनाव हुआ डॉ राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिकारिक उम्मेदवार थे लेकिन किसी भी दूसरी पार्टी ने अपना उम्मेदवार खड़ा नहीं किया फिर भी कुल 4 स्वतंत्र उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे, (1) के.टी.शाह (2) लक्ष्मण गणेश थाटे (3) चौधरी हरीराम और (4) कृष्ण कुमार चटर्जी।
ध्यातव्य:पहले राष्ट्रपति के लिए 2 मई 1952 को चुनाव हुए तथा 6 मई 1952 को परिणाम की घोषणा हुई ।
डॉ राजेंद्र प्रसाद की इस अंतर से हुई जीत
डॉ राजेंद्र प्रसाद के निकटतम प्रतिद्वंद्वी केवल के. टी शाह थे। इस चुनाव में डॉ राजेंद्र प्रसाद को 5,07400 मत मूल्य तथा के.टी शाह को 92,827 मत मूल्य प्राप्त हुए थे । इस प्रकार डॉ राजेंद्र प्रसाद इस चुनाव में विजय हुए और देश के पहले राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। इस प्रकार डॉ राजेंद्र प्रसाद की अपने निकटतम प्रतिद्वंदी से 414,573 मतों के अंतराल से विजय प्राप्त हुई।
ध्यातव्य: सन 1952 में हुए देश के पहले राष्ट्रपति के चुनाव में 65 सांसदों तथा 489 विधायकों ने अपने मतों का उपयोग नहीं किया।
राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को इन्होंने दिलाई शपथ
6 मई 1952 को पहले राष्ट्रपति के चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद 13 मई 1952 को सर्वोच्च न्यायालय के दूसरे मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री मादाकोलाथुर पंतजली शास्त्री द्वारा उन्हें भारत के पहले राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गयी।
पहले राष्ट्रपति का यह रहा कार्यकाल
भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद का कार्यकाल 13 मई 1952 से 12 मई 1957 तक था। इस प्रकार 26 जनवरी 1950 से 12 मई 1957 तक इनका कार्यकाल रहा।
(3) डॉ राजेंद्र प्रसाद दूसरी बार चुने गए देश के राष्ट्रपति
12 मई 1957 को देश के पहले राष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त हो रहा था इस कारण समय पूर्व चुनाव करवाना आवश्यकता था। दूसरे राष्ट्रपति का चुनाव 6 मई 1957 को हुए । एक बार फिर से डॉ राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिकारिक उम्मेदवार थे लेकिन फिर भी कुछ स्वतंत्र उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे जिनमे चौधरी हरीराम प्रमुख थे।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद की दूसरी बार हुई जीत
राष्ट्रपति के दूसरे चुनाव में डॉ राजेंद्र प्रसाद के निकटतम प्रतिद्वंद्वी केवल चौधरी हरीराम थे। इस चुनाव में डॉ राजेंद्र प्रसाद को 4,59,698 मत मूल्य तथा चौधरी हरीराम को मात्र 2672 मत मूल्य प्राप्त हुए थे । इस प्रकार डॉ राजेंद्र प्रसाद इस चुनाव में भी दूसरी बार विजय हुए और देश के दूसरी बार राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। इस प्रकार डॉ राजेंद्र प्रसाद की अपने निकटतम प्रतिद्वंदी से 4,57,026 मतों मूल्य के बड़े अंतराल से जीत हुई।
डॉ राजेंद्र प्रसाद को दूसरे राष्ट्रपति के रूप में इन्होंने दिलाई शपथ
6 मई 1957 को दूसरे राष्ट्रपति के चुनाव होने के बाद 13 मई 1957 को सर्वोच्च न्यायालय के पांचवे मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री सुधी रंजन दास के द्वारा उन्हें भारत के दूसरे राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गयी।
दूसरे राष्ट्रपति का यह रहा कार्यकाल
भारत के दसारे राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद का कार्यकाल 13 मई 1957 से 13 मई 1962 तक था। इस प्रकार 26 जनवरी 1950 से 13 मई 1962 तक कुल 12 वर्षों का इनका कार्यकाल रहा।
ध्यातव्य: ज्ञात हो की भारत के दूसरे राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान डॉ राजेंद्रप्रसाद का स्वास्थ्य खराब हो जाने के कारण 19 जुलाई 1961 से 19 दिसंबर 1961 तक इलाज के लिए चले जाने कारण अनुपस्थित रहे थे।
एक मात्र व्यक्ति जो तीसरी बार राष्ट्रपति बने
डॉ राजेंद्र प्रसाद से लेकर वर्तमान राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू तक अनेक व्यक्तियों ने इस पद को सुशोभित किया है, लेकिन इन सब में देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद सबसे अलग है क्योंकि बाकि राष्ट्रपतियों से हटकर डॉ राजेंद्र प्रसाद ही देश के ऐसे एकमात्र व्यक्ति हैं जिन्होंने तीन बार (1950,1952,1957) इस पद को सुशोभित किया है और 1950 से लेकर 1962 तक लगातार करीब 12 वर्षों तक राष्ट्रपति रहे।
ध्यातव्य: ज्ञात हो कि डॉ राजेंद्र प्रसाद एक बार देश के अंतरिम राष्ट्रपति तथा दो बार निर्वाचित राष्ट्रपति के रूप में रहे थे।