लोकतंत्र की पाठशाला कहलाने वाले पंचायती राज की चुनाव का दौर शुरू से कुछ गांव की सरकार चुनी गई कुछ गांव में अब चुना जाना है लोकतंत्र के उत्सव में ग्रामीण अंचल के लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं यह एक शुभ संकेत है कि लोकतंत्र की पाठशाला कहलाने वाले ग्रामीण पंचायती राज आज गांव में लोकतंत्र फल फूल कर वृक्ष बनता जा रहा है  लोगों में जागरूकता बढ़ रही हैं।

 इसी दौर में पिछले दिनों सोशल मीडिया पर खाजूवाला  पंचायत समिति की किसी ग्राम पंचायत के विकास कार्यों को लेकर कुछ तस्वीरें वायरल हो रही है।
यह तस्वीरें सोशल मीडिया के माध्यम से मेरे पास भी पहुंची और उन तस्वीरों को देखकर उस ग्राम पंचायत के विकास कार्यों को देख कर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस प्रकार की रचनात्मक और सृजनात्मक  दूरदर्शिता की सोच के साथ दृढ़ निश्चय पूर्वक इन कार्यों को अंजाम दिया होगा।
   

किसी ग्राम पंचायत है ने यदि जाकर अवलोकन किया जाए तो खाजूवाला पंचायत समिति के 14 बीडी गांव को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन किस प्रकार होता है और किस प्रकार गांव की दशा और दिशा को बदला जा सकता है बड़ी कमाल की दूरदर्शिता के साथ इस 14 बीडी ग्राम के सरपंच ने विकास कार्य को अंजाम दिया है वाकई में काबिले तारीफ है।

इन तस्वीरों ने मुझ जैसे एक ग्रामीण अंचल में निवास करने वाले व्यक्ति को सहज ही  झकझोर  कर रख दिया और सोचने को मजबूर किया आखिर क्या वजह रही है जो यह पंचायत बाकी ग्राम पंचायतों से अलग नजर आ रही है क्यों यह ग्राम पंचायत और उसका विकास कार्य हर किसी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहा है कोई तो वजह रही होगी जबकि राजस्थान की सभी ग्राम पंचायतों के साथ विकास कार्य को लेकर सरकारी योजनाओं के लाखों करोड़ों रुपए खर्च होते होंगे नरेगा जैसी योजनाओं में लाखों रुपए हर ग्राम पंचायत में प्रतिवर्ष आते हैं ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग के माध्यम से भी हजारों लाखों रुपए विकास कार्य के लिए  आते है।
कुछ राजनीतिक पहुंच और रसूखदार व्यक्ति अपने व्यक्तिगत संपर्क के द्वारा भी ग्रामीण क्षेत्रों में अपने ग्राम पंचायत के क्षेत्र में विकास कार्य के लिए विशेष योजनाओं के तहत धनराशि आवंटित करा ही लेते होंगे फिर हर ग्राम पंचायत का स्वरूप आज खाजूवाला पंचायत समिति  की इस ग्राम पंचायत की तरह क्यों नजर नहीं आता।

प्रति वर्ष ग्राम पंचायतों में लाखों रुपए का खर्च हो जाने के बावजूद हर ग्राम पंचायत एक आदर्श मॉडल में नजर क्यों नहीं आती कोई तो वजह रही होगी।
 प्रतिवर्ष हजारों लाखों रुपए ग्राम पंचायतों में विभिन्न योजनाओं के तहत खर्च होते हैं लेकिन धरातल पर नजर क्यो नही आता। 

  • पंचायतों के लिए मास्टर प्लान की आवश्यकता


राज्य सरकार को चाहिए कि हर ग्राम पंचायतों के लिए प्रति वर्ष या प्रति 5 वर्ष के लिए एक मास्टर प्लान एक मॉडल तैयार किया जाए उसी मॉडल के अनुरूप सरकारी योजनाओं के तहत आने वाले धन का चरणबद्ध तरीके से विकास किया जाए ओर यह हर ग्राम पंचायत में समान रूप से लागू हो  तो खाजूवाला पंचायत समिति  की  इस 14 बी डी ग्राम पंचायत की तरह नजर आ सकती है साथ ही  केवल  राज्य सरकार  ही नही बल्कि स्थानीय प्रशासन और उस को संचालित करने वाले जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारियों की रचनात्मक और सृजनात्मक सोच को दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ाना होगा।

हर जनप्रतिनिधि ओर प्रशासनिक अधिकारी की एक रचनात्मक ओर  सृजनात्मक सोच पैदा करनी होगी जो उस मॉडल उस मास्टर प्लान के तहत कार्य करते हुए प्रतिवर्ष उस कार्य के क्रियान्वित की रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रेषित की जाए  जॉनकी अनिवार्यता हो तो हर ग्राम पंचायत की दशा और दिशा दोनों बदले जा सकते  है। अतः कहां जा सकता है कि आज राजस्थान की सभी  ग्राम पंचायतों के विकास के लिए समान विकास के लिए भविष्य की आवश्यकताओं को मध्य नजर रखते हुए  सरकारी योजनाओं को सही प्रकार से क्रियान्वित करने के लिए तथा आम जनता को रोजगार के साथ साथ सरकारी योजनाओं में खर्च होने वाले लाखों करोड़ों रुपए का सदुपयोग करने के लिए राज्य सरकार को चाहिए कि ग्रामीण पंचायती राज विभाग द्वारा सभी ग्राम पंचायतों के लिए पंचवर्षीय योजनाओं का निर्माण बकिया जाये और किया जाना आज की आवश्यकता है।

ऐसी पंचवर्षीय योजनाओं की सफलता और उन्हें लागू करने के लिए हर ग्राम पंचायतों में किए जाने वाले विकास कार्यों की रिपोर्ट प्रतिवर्ष सरकार को प्रेषित किए जाने की अनिवार्यता हो तो निश्चित रूप से राजस्थान के हर गांव की दशा और दिशा को बदला जा सकता है हर गांव में रोजगार का सृजन किया जा सकता है सरकारी योजनाओं को सही प्रकाश से लागू कर हर गांव को एक आदर्श एक मॉडल गांव के रूप में विकसित किया जा सकता है बस आवश्यकता है तो एक रचनात्मक ,सृजनात्मक सोच के साथ दृढ़ निश्चय और इच्छाशक्ति की।

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