मरुधरा के इस पावन अंचल में अजमेर जिले के अंतिम छोर पर बसा हुआ बघेरा कस्बा आध्यात्मिकता ऐतिहासिकता और पौराणिकता के कारण जाना जाता रहा है साथ ही इस पावन धरा पर ऐसे अनेक वीर सपूत हुए हैं जिन्होंने बघेरा कस्बे के साथ साथ अपने परिवार, अपने समाज का सर ऊंचा किया है । इसी क्रम में अगर बात करें तो स्वतंत्रता के पश्चात यहां के अनेक वीर सैनिको ने थल सेना, वायु सेना और जल सेना में रहकर देश सेवा का परिचय दिया है और समाज और गांव के लिए आदर्श स्थापित किए हैं । आज बघेरा के ऐसे ही एक वीर सपूत जिन्होंने वायु सेना में रहकर भारत माता की सेवा की और बड़ी अल्प आयु में ही अपना जीवन भारत माता के नाम करके इस दुनिया से विदा हो गये ।
- शहीद कँवर छत्रसाल सिंह राठौड़
यह सत्य घटना बघेरा निवासी फ्लाइंग ऑफिसर कुंवर छत्रसाल सिंह जी राठौड़ की है ।भारत माता के वीर सपूत और अमर शहीद कुंवर छत्रसाल सिंह जी राठौड़ उर्फ पिंकू राजा का जन्म राजस्थान के अजमेर जिले के अंतिम छोर पर बसे ऐतिहासिक और पौराणिक बघेरा क़स्बे के राठोड़ राजवंशी परिवार में दिनांक 15 मई 1953 को पिता श्रीमान राव नरपत सिंह राठौड़(पूर्व जागीरदार) और माता रानी कनक प्रभा के निवास पर हुआ था ।
- कुंवर छत्रसाल सिंह राठौड़ की शिक्षा
कंवर छत्रसाल जी की प्रारंभिक पढ़ाई की शुरुआत कस्बे के ही एक स्कूल में हुई और हायर सेकेंडरी तक की शिक्षा अजमेर के सेन्ट एंसलम स्कूल से तथा उच्च शिक्षा( स्नातक) 1973 में राजस्थान महाविद्यालय जयपुर से पूरी हुई।
- कुंवर छत्रसाल सिंह एक वायु सैनिक के रूप में
कुंवर छत्रसाल सिंह राठौड़ ने मार्च 1975 में वायु सेना में प्रवेश लेकर नेशनल केडिट कोरप्स ऐयर विग्स सर्टिफिकेट परीक्षा केडिट संख्या 10,614 के तहत उत्तीर्ण की। बहुत ही कम समय में छात्र साल सिंह राठौड़ की उपलब्धियों, एक वफादार और साहसी, सदाचारी सैनिक तथा उनकी कर्तव्य परायणता को देखते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति माननीय श्री नीलम संजीव रेड्डी के द्वारा 10 जून 1977 को पंजीयन संख्या ऐ एफ़ 10129 के तहत राष्ट्रपति कमीशन प्राप्त कर सम्मानित हुए । इन सब उपलब्धियों एवं सेवा भाव के कार्यों को देखते हुए एक सैनिक से फ्लाइंग ऑफिसर पद पर पदोन्नत हुए।
- अल्प आयु में ही देश सेवा में हो गये शहीद
युवा सैनिक छत्रसाल सिंह जी की अप्रैल 1979 में शादी होना तय हुआ था लेकिन शायद कुदरत को कुछ और ही मंजूर था, शादी से करीब एक माह पूर्व 3 मार्च 1979 मिग-21 के दक्ष पायलट/ फ्लाइंग ऑफिसर छत्रसाल सिंह चीन सीमा पर तेजपुर पूर्वी कमान मुख्यालय शिलांग के अधीन फाइटर विमान मिग-21 में सवार होकर घुसपैठियों की टोह लेने के लिए उड़ान भरी थी लेकिन वीर सैनिक छत्रसाल सिंह राठोड़ अपनी मात्र 26 वर्ष की आयु के दिनांक 3 मार्च 1979 को शहीद हो गए । मातृभूमि के इस लाल ने देश सेवा में न केवल बघेरा क़स्बे का वरन अपने परिवार नाम भी अमर कर दिया ।
- वीर प्रसूता माता ने निभाया क्षत्रिय धर्म
वीर प्रसूता माता ने जब अपने नौजवान पुत्र को भारत माता की सेवा का कर्तव्य निभाते हुए शहीद हो जाने की खबर मिली तो मां की ममता जाग उठी और दिल्ली पहुंच कर अपने पुत्र का पार्थिव शरीर लेकर बघेरा की धरती पर लौट आई और शहीद का पूर्ण राजकीय सम्मान एवं भारतीय वायु सेना के नियमानुसार अंतिम संस्कार किया गया ।
- छत्रसाल सिंह राठौड की स्मृति में बनाया स्मारक
वीर प्रसूता इस धरती के लाल शहीद कुंवर छत्रसाल सिंह राठौड़ की स्मृति में पिता राव नरपत सिंह राठोड़ और माता कनक प्रभा राठौड़ के द्वारा विश्व प्रसिद्ध और आध्यात्मिक महत्व वाली वराह सागर झील के किनारे और वराह मंदिर के पास एक स्मारक का निर्माण किया गया जो आज भी कस्बे के युवाओं को देश प्रेम और देशभक्ति की प्रेरणा देता हैं।
- छत्रसाल सिंह का व्यक्तित्व कृतित्व है प्रेरणादायक
भारत माता के वीर सपूत शहीद छत्रसाल सिंह राठौड़ का बलिदान आज की बघेरा के आमजन बड़े सम्मान के साथ याद करते हैं और शहीद छत्रसाल सिंह के व्यक्तित्व और कृतित्व से प्रेरणा ली जाती है।
- भंवर सिंह जी के कवि मन की बात
कुंवर छत्रसाल सिंह जी के जन्म से लेकर उनके शहीद होने तक के इतिहास और प्रेरणादायक जीवन परिचय को लेकर भंवर सिंह जी देवगांव के द्वारा उसे कुछ इस प्रकार से शब्द में पिरोया गया ।
बड़भागी गढ़ रावळे,कनकप्रभा री कूंख।
किरपा व्ही जलम्या कंवर,गढ छूटी बंदूक।।
उन्नी सौ पचास सन अर,जोड्यां उणमें तीन।
मइ पिनरा दन आवियां,आया कंवर प्रबीण।।
पिंडत काढ्या मोहरतां,छत्रसाल सिंग नांव।
ऊजाळो ऊजाळियो,पूत पालणे पांव।।
बडा हुया भणिया घणा,हूंस सेवणी मात।
उडण फौज भरती रम्या,मात नागण्यां साथ।।
ऊँचो ओदो पावियो,फ्लाइंग अफसर जाय।
हेंग जोड़ रा केवता,वंस घणो चमकाय।।
गुण परख्यां इण सूंप दी,मिग ईकीस कमाण।
घणो उडायो खा कळा,राखी हाथां काण।।
सरहद चीनी सामने,चोगस दन अर रात।
पूरब दिस रिगस्या करण,छत्रसाल तैनात।।
पूरब सीमा तेजपुर,वायु सेना सिलंग।
खोटी निजरां भाळतो,चीनी ड्रेगन कुलंग।।
रोकण ने घुसपेठिया,ली उड़ान छत्रसाल।
फरज निभातां देस हित,प्राण सूंपिया काल।।
उन्नी सत्तर मार्च त्रय,नऊ लागिया साल।
जबर छबीसी मायने,बलीदान छत्रसाल।।
चौड़ी छाती व्है घणी,माथो ऊँचो होय।
छत्रसाल जेड़ा कंवर,बाठां ठाकर जोय।।
देवगाँव सिरधा नुवे,नुवे बघेरो साथ।
नितरा नूंवे “भंवर सीं” जोड्यां सिरधा हाथ।।
भंवर सिंह”देवगांव”