कहा जाता है कि आखिर नाम में क्या रखा है काम के मायने होते है ,कहावत जो कुछ भी हो लेकिन काम के साथ साथ नाम के भी बड़े मायने हैं। हाल ही में खेल के क्षेत्र में दिया जाने वाला भारत का सर्वोच्च खेल पुरुस्कार जिसका नाम पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम है राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड, अगस्त 2021 में खेल के क्षेत्र के इस सर्वोच्च सम्मान का नाम राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया गया हैं । नाम बदलने की सूचना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा अपने ट्विटर पर दी है ।
नाम के मायने इसलिये है कि जिस व्यक्ति के नाम पर इस पुरस्कार का नामकरण निश्चित किया है, उसके मायने हैं । क्योंकि मेजर ध्यानचंद भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में एक अलग पहचान रखते हैं। जिनकी गिनती एक खेल शख्सियत के रूप में की जाती हैं । जिनको हॉकी का जादूगर कहा जाता है इसलिये काम के साथ साथ नाम के भी मायने है ।मायने इसलिये भी है इसी खेल के खिलाड़ियों ने टोक्यो ओलंपिक में देश का मान बढ़ाया है,इसी माह खेल दिवस है ,यह नामकरण उस महान खिलाड़ी को सच्ची श्रद्धांजलि है सच्चा सम्मान है ।
- नाम बदलने की लम्बे समय से उठ रही थी मांग
खेल के क्षेत्र में दिए जाने वाले पुरस्कार का नाम बदले जाने से चाहे खेल क्षेत्र हो या राजनीतिक गलियारे हर जगह चर्चा में है । एक तरफ जहां खेल जगत की हस्तियां, खेल से जुड़े हुए व्यक्तियों और आम जनता खुश हैं, वही इस कदम को कुछ सवालिया नजरिया से देखा जा रहा हैं । काफी लंबे समय से मेजर ध्यानचंद जिनके जन्मदिन(29 अगस्त) को खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है,उनके नाम पर ही खेल रत्न पुरस्कार किए जाने की मांग उठ रही थी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने जन भावनाओं का सम्मान करते हुए इस पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद के नाम पर किए जाने की पहल की । स्वयं प्रधानमंत्री मोदी जी के द्वारा भी अपने ट्विटर अकाउंट पर यही बात कही है कि “देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए. लोगों की भावनाओं को देखते हुए, इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है.”
- हॉकी खेल का पुनर्जागरण युग
जिस प्रकार टोक्यो ओलंपिक में महिला हॉकी टीम और पुरुष हॉकी टीम का शानदार प्रदर्शन रहा जिससे एक बार फिर से इस राष्ट्रीय खेल का पुनर्जागरण हुआ है । ऐसे वक्त में हॉकी के जादूगर कहलाने वाले खेल जगत की एक शख्सियत जिनके खेल खेल जगत में अभूतपूर्व योगदान रहा। उनके नाम से पुरुस्कार का नामकरण करने के सरकार के इस कदम से हॉकी जो कि भारत का एक राष्ट्रीय खेल है का पुनर्जागरण युग शुरू होगा साथ ही खिलाड़ियों को प्रेरित करेगा और इस का परिणाम आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा ।
- क्या है खेल रत्न अवार्ड
यह अवार्ड खेल के क्षेत्र में दिया जाने वाला देश का सर्वोच्च अवार्ड है । यह प्रतिवर्ष खेल और युवा मंत्रालय द्वारा प्रदान किया जाता है । इस मंत्रालय द्वारा गठित एक समिति द्वारा नाम का चयन किया जाता है और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पिछले चार साल की अवधि में खेल क्षेत्र में शानदार और सबसे उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया जाता है। इस पुरस्कार मे एक पदक, एक प्रशस्ति पत्र और नगद राशि पुरस्कृत व्यक्ति को दिये जाते है।
इस पुरस्कार की शुरुआत सन 1991-1992 में इस उद्देश्य के तहत की गई थी कि खेल जगत की हस्तियों खेल जगत में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों का सम्मान किया जाना और खेल के प्रति लोगों में जागरूकता को बढ़ावा देना है।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर खेल रत्न पुरस्कार दिया जाता रहा है । तत्कालीन समय में जब राजीव गांधी जी की हत्या हुई थी उस दौरान पी.वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार सत्ता में थी। एक लहर थी, एक मानवीय संवेदना ही थी उसी दौर में इन अवार्ड का नाम राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड किया गया।
- खेल रत्न कौन ?
खेल जगत के इस सर्वोच्व सम्मान का नाम बदले जाने पर आखिर इतना विवाद और बहस क्यों ? क्या यह राजनीति चर्चाओं का विषय है ? आखिर किसके नाम पर हो खेल रत्न पुरस्कार आखिर कौन है खेल रत्न किसका क्या योगदान इसका निर्णय आप खुद कीजिए।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी का खेल और खेल के क्षेत्र में योगदान को देखा जाए तो 1982 के दिल्ली एशियन गेम्स के दौरान आयोजक कमेटी के एक हिस्सा थे । प्रत्यक्ष रूप से किसी खेल से उनका कोई सरोकार नहीं है उसी दौरान दिल्ली में दो स्टेडियम बनाए गए जिनमें से एक का नाम पंडित जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम रखा गया तथा दूसरे का नाम इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम रखा गया ।
मेजर ध्यान चंद का नाम न केवल भारत बल्कि विश्व में हॉकी के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में गिना जाता है। वे तीन बार ओलम्पिक के स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे । उनको हॉकी के जादूगर भी कहा जाता है । बताया जाता है कि उन्होंने जर्मनी की ओर से खेलने कें लिये हिटलर के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया था।
- उसी विधा की शख्सियतो के नाम पर हो नाम करण
अब इसे देश का दुर्भाग्य कहा जाए या फिर विभिन्न क्षेत्र की जानी-मानी हस्तियों के योगदान की उपेक्षा या फिर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी कि देश में विभिन्न प्रकार की योजनाओं, विभिन्न प्रकार के पुरस्कारों, विभिन्न प्रकार कि सरकारी योजनाओं ,विभिन्न प्रकार के संगठनों, खेल मैदान, हवाई अड्डा, गली मोहल्लों ,सड़कों, के नाम नेताओं के नाम पर रखे जाते रहे हैं उस क्षेत्र की शख्सियतो के नाम पर नही।
यह एक लॉजिकल भी है कि एक खेल का सर्वोच्च अवार्ड किसी राजनेता के नाम की जगह खेल जगत की सबसे बड़ी शख्सियत के नाम पर रखा गया। इस पर सियासत नहीं होनी चाहिए। भविष्य में किसी प्रकार का विवाद ना हो किसी प्रकार का सवालिया निशान न लगे इसलिए इसके लिए एक मापदंड हो किसी भी राजनेताओं के नाम पर खेल पुरस्कार, खेल संबंधी योजनाएं, खेल स्टेडियम का नाम न रखा जाए बल्कि बल्कि उसी विद्या के चेहरे या सर्वोच्च जानकार और चेहरे का ही के नाम पर हो। न केवल खेल बल्कि सभी क्षेत्रों में पुरस्कार, योजनाएं , सम्मान, संस्थाओं के नाम उसी क्षेत्र की शख्सियत के नाम पर किए जाने चाहिए ।इनके लिए एक कार्य योजना ,एक आचार सहिंता, एक पॉलिसी निर्मित की जाने की जरूरत है।
- कांग्रेसी के इस नेता ने दे दी यह सलाह
खेल अवार्ड का नाम बदले जाने पर सब के अपने अपने मत,विचार और दृष्टिकोण हो सकता है । कांग्रेस नेता श्री रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी अपना मत दिया और इस बहाने सरकार को एक बड़ी सलाह भी दे डाली क्या कुछ कहा ..कुछ अंश आपके सामने है- राजीव गांधी जी के न नाम पर देश का सर्वोत्तम पुरस्कार सर्वोत्तम खेल पुरस्कार है उस खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यान चन्द जी के नाम पर कर दिया इसका स्वागत है लेकिन उम्मीद है अब देश के खिलाड़ी के नाम पर और भी ज्यादा स्टेडियम के नाम और अन्य स्कीम का नाम के रखा जाएगा । सबसे पहले नरेंद्र मोदी स्टेडियम का नाम भी बदल दीजिए, अरुण जेटली स्टेडियम नाम बदल दीजिए , भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के नाम पर निर्मित स्टेडियम का नाम बदल दीजिए। अब रखिए पी.टी उषा के नाम पर , रखिए सरदार मिल्खा सिंह के नाम पर, रखिए मेरीकॉम के नाम पर……. सचिन के नाम पर, गावस्कर और कपिल देव के नाम से,अब रखिये, अभिनव बिंद्रा और …..नाम पर ……पुलेला गोपीचंद के नाम पर, लिएंडर पेस के नाम पर, सानिया मिर्जा के नाम से और अब शुरुआत हुई है तो बदल दीजिये… सबसे पहले नरेंद्र मोदी स्टेडियम और जेटली स्डेडियम के नाम बदल कर दीजिए सरदार मिल्खा सिंह के नाम पर कर दीजिये तो पूरा देश आपके इस फैसले से सहमत होगा।
निर्णय आपका
अब सत्ताधारी दल के द्वारा चाहे कोई भी हो योजनाओं, पुरुस्कारों संस्थाओं के नाम बदलने की परिपाटी सही है या गलत ,और इस प्रकार के निर्णय के क्या मायने हैं ,कौन से बयानों के क्या मायने हैं, इसका निर्णय पाठक खुद कीजिए ।
बहुत ही अछि लेखन शैली व उत्कृष्ट उदाहरण के साथ प्रस्तुति है आपकी