राधे गोविन्द प्रभात वन्दन
शंभू कंठ सम सागर नीला आकाश , उभय मिलन मानो क्षितिज अभ्यास! श्वेत पट्टिकाएं सोहे ज्यों निहारिकाएँ अम्बर भाल त्रिपुण्ड विलसती उल्काएँ! अम्बर मेघ मल्हार उमड़ घुमड़ आये, सखि पिया…
(M.A. B.ED, NET, SET, Ph.d, LL.B)
शंभू कंठ सम सागर नीला आकाश , उभय मिलन मानो क्षितिज अभ्यास! श्वेत पट्टिकाएं सोहे ज्यों निहारिकाएँ अम्बर भाल त्रिपुण्ड विलसती उल्काएँ! अम्बर मेघ मल्हार उमड़ घुमड़ आये, सखि पिया…
You cannot copy content of this page