Day: November 26, 2025

काव्य/मुक्तक/कविता: ऐसी थी वो…..

बड़ी सीधी साधी पर कमाल की रूपसी थी वो , बिन शृंगार ही जन्नत की हूर लगती थी वो!!१ कतरा भर पढा था उसकी कातिल निगाहों को , नश्तर सी…

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