यूँ चुप न रहोअच्छा बुरा चाहे कुछ तो बोलो,
मेरी खता नादानियां शिकवे कुछ तो बोलो !
सनम गम नाजुक जहन में दबाकर न रखो,
कोई सुन न ले होले होले से कुछ तो बोलो!
दर्द छुपा रखा है दिल मे बेतहासा अरसे से,
क्या बांध लू गमों के पुलिन्दे कुछ तो बोलो!
हालात कुछ खास नही सिवा तन्हाइयों के ,
अब जिन्दा रहे या जान दे दे कुछ तो बोलो !
बिछुड़ कर तुमसे हम भी कहाँ खुश रहते है, किस गुनहगार को बदुआ दे कुछ तो बोलो !
ठहरा दिया गुनहगार पाक साफ बेगुनाह को,
ये ग़म दफन करें या जलाये कुछ तो बोलो!
जब तलक ख़ामोशियों के पहरे लगे हुए है,
अपने लबों से नही नैनो से कुछ तो बोलो!
रचनाकार: गोविन्द नारायण शर्मा