साजन मेरे मेरी रगों में दौड़ते लहू तुम,
तेरी सनसनाहट बदन में पाऊँ बलम !१
हवा में सन सन जल में तरंग साजन,
बिजली में चमक पत्थर में आग हो !!२!!
ठहरे हुए पानी मे कंकर न मार साजन,
तन मन में सिहरन सी उठ जाएगी मीत ! ३
प्यार से जो छू लोगे बदन मेरा साजन,
किस्मत फिर से मेरी बदल जाएगी !! ४!!
सीने से लगाने की अंतस प्यास साजन, ख्वाबो में तुझे सजा लूं मेरे जीवन धन ! ५
दुनिया की बुरी नजर से बचाने को तुझे ,
खाली नयनों में तुझे बसा लूं साजन !!६!!
मैं तेरी यादों के साये में जिन्दा साजन,
मर कर तेरी अदाओं पर फ़नाह मोहन! ७!
तुझ से जुदा हूँ मैं अपनी खताओ से ,
फिर भी तुम्ही पर मरती मोरे साजन ! ८!
तेरी बाहों में छुपा ले मुझको साजन
मैं खुशबू बन कर तुझमें समा जाउँगी !९!
साजन छुए बदन तितली सा बहके मोरा मन,
गोविन्द पराग पान कर भोरे सा बहके मस्त!१०!
@ गोविन्द नारायण शर्मा