@गोविंद नारायण शर्मा

ब्रह्म सृष्टि प्रादुर्भाव सृजित हुआ नूतन वर्ष ,
काल गणना आरंभ हुई भयो अपरम्पार हर्ष !

प्रकृति नित उठ नूतन फूलों से करे शृंगार,
मङ्गल गावे मोद मनावे सकल नर और नार !

घर आँगन द्वार सजा उमंग मनावे नाचे रास ,
लता गुल्म वृक्षो में छा गयी नवता उल्लास!

नव किसलय सङ्ग आया पवन चैत्र मधु मास,
ताल मृदंग झांझ बजावे करते हास परिहास !

नव सम्वत शुभारंभ शांति वैभव उदयमान,
सत्य वचन धर्म का बढ़ रहा दिनोंदिन मान !

सकल जगत कल्याण करे स्वस्ति यह गान,
नये सद जीवन का करते हम मङ्गल आह्वान!

जंगम स्थावर चर अचर मादकता पारावार,
खग वृन्द आबाल हिलमिल गावे मंगलाचार!

ऋद्धि सिद्धि धन वैभव पूरित विद्या भरपूर,
प्रेम सौहार्द्र बढ़े सच्चा होवे कार्य व्यवहार!

राम लखन सम नर अनसूया सीता सी नार,
एक निष्ट नवधा भक्ति जीवन भव होवे पार!

चंपा केतकी रंग बिरंगे फूल महके मधुवन में,
कोयल मोर पपीहा मधुर शब्द कुजे कुञ्जन में !

यमुना तट कदम की डारन मधुर बंशी बजावे,
घनश्याम राधा सङ्ग ब्रज मण्डल रास रचावे!

चौक पुरावे कदली अशोक पत्र बन्दनवार,
चौबारे गणपति बिराजो सखी करे मनुहार!

सजधज आवो थान करां अरज बारम्बार,
नव सम्वत२०८१ को करां स्वागत सत्कार!


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