@ गोविंद नारायण शर्मा

ग़म का ये आलम कोई खबर नही,
तू कब रुख़सत हुई कोई खबर नही!

जाम गटके गिनती नही की रात से ,
बोतलें कितनी रीती कोई खबर नही!

उसका तरीका-ए-कत्ल मासूम नायाब,
निग़ाह शमशीर ख़ंजर कोई खबर नही !

इश्क हैं मुझसे उसने हामी नही भरी,
नज़र से नज़र मिली कोई खबर नही!

उल्फ़त में सनम तेरी हम फ़नाह हुए,
तेरी निगाहों से क़त्ल कोई खबर नही!


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