एक पल का एहसास बन कर आती हो तुम ,
दूसरे ही पल ख़्वाब बन उड़ जाती हो तुम !

जानती हो लगता हैं डर मुझे तन्हाइयों से ,
फिर भी हर बार तन्हा छोड़ जाती हो तुम !

फूल की खुशबू सी मुझ में समा जाओ तुम ,
मेरी हर धड़कन का सरगम बन जाओ तुम!

तेरी यादों को अब दिल में छुपा नही सकता,
तेरे चेहरे की मन्द मुस्कान भूला नही सकता!

मेरा बस चले तो तेरी यादों को भूल जाता ,
पर टूटे इस दिल को मैं समझा नही सकता!

तुमसे मिलने को सोचूँ अब वो जमानानही ,
घर तुझ बिन कैसे जाऊं कोई बहाना नही !

मुझे याद रखना कहीं तुम मुझे भूला न देना ,
माना अरसे से तेरी गली में नही आना जाना!

@ गोविन्द नारायण शर्मा

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