@ गोविंद नारायण शर्मा
वो मिलने आये नारियल सिर पर फोड़ गये ,
किसी से न कहने को हाथ मेरा मरोड़ गये!
बातें उल्फ़त की बहुत मीठी की पास बैठकर,
बहला कर दिल जाते वक्त हंसकर तोड़ गये !
कसमें वादे बहुत किये मोहब्बत निभाने को,
लौट आने को कह बेदर्दी तड़पता छोड़ गये !
नाजुक को न सताया करो कांटे पहरेदार हैं,
कलियों के कांटो से गठबंधन बेजोड़ हो गये !
हम गये थे उनके दर पर मिजाज-पुरसी को ,
गले किससे लगते वो देख हमे मुँह मोड़ गए।