@ गोविन्द नारायण शर्मा

कोई मुझे पुराना जमाना फिर लाकर दे दो ,
काली मिट्टी से बनी बैलों वाली गाड़ी दे दो !

सीखने को मिट्टी वाली तख्ती कहीं खो गयी ,
मुझे वो खड़िया वाली लेखनी फिर से दे दो !

नानी आयी मीठे पपीता वाला गीत सुनाओ,
नदी के मीठे खरबूजे की बेल की लोरी गा दो !

झितरिया नानी के घर दूध मलाई उड़ायेगा,
मोटा ताजा होने को गोरी गैया का दूध दे दो!

चल मेरी ढोलकी ढ़माक ढम ढम बजायेगा,
ऐसा मस्ति का आलम हमको फिर से दे दो!

वो पुरानी चेन उतरने वाली atles साइकिल,
कोहनी पर लगी चोट छुपाने का हुनर दे दो!

गुब्बारे सा मुँह फुलाकर खूब सिसकनने दो,
दादाजी का चश्मा छुपाने की गुस्ताखी दे दो !

रिमझिम बरसती बारिश की नन्ही नन्ही बूंदे ,
बहते पानी में छपाक से कुदने की आजादी दे दो!

कागज की कश्ती बनाकर तेराऊँ आंगन में,
कीचड़ सना लिपट जाऊं माँ से वो मस्ती दे दो !

सखाओ से रूठना मनाना मस्ती से खेलना,
घरौंदा बनाने को बारिश की सोंधी बालू दे दो!

रामू हलवाई की जलेबी पर ललचाई निगाह ,
पापा की जेब से निकाल मम्मी अठ्ठनी दे दो !

चकरी डोलर में झूलकर दोस्तो को चिढ़ाना,
मेरी लाल झालर फुग्गे जोकर जैसी टोपी दे दो !

घर की मुंडेर पर मोर को हाथ मे दाना चुगाना,
पक्षियो के पानी को परिण्डे का शुकुन दे दो !

गोरैया का घोंसला अण्डे बचाने को बनाना ,
चींटियों के कीड़ी दाने का पुण्य लाभ मुझको दे दो !

मैं तितली बन मस्त उड़ता फिर वन उपवन में ,
रंग बिरंगे फूलों वाला झबला मुझे लाकर दे दो !

मैंने ही बनाया मैंने ही मिटाया गीत गाने दो,
कोई मुझे पुराना जमाना फिर लाकर दे दो।

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