चाहत दिलों में हो तो झलकती जरुर है!!
खिलती है जब कली तो महकती जरुर है!!
रखिये हज़ार बंदिशें अमानत को इश्क की,
लेकिन ये अश्क बन के छलकती जरुर है !
दामन बचा के लाख कोई मौत से चले भला,
वक्त पे दबे पांव दर पे दस्तक देती जरूर हैं!
छुपती नहीं अपने छुपाने से चाहतें दिलों की,
सीने में आग इश्क की हो तो भड़कती जरुर है!
जाने वो दिल के जख्म हैं या चाहतों केफूल,
रातों को रजनीगन्धा भीनी महकती जरुर है!
लाख होले रखो डग पाजेब खनकती जरूर है,
भले छुपा लो इश्क चहरे पे झलकता जरूर है!
गोविन्द इश्क की मिसाल कितनी बेमिसाल हैं ,
चिलमन हो या नकाब होले सरकती जरूर है!!
गोविन्द नारायण शर्मा