मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने पत्रकारिता के परिपेक्ष्य में क्या खूब कहा …..” खींचो न कमानो को न तलवार निकालो जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार निकालो ” अकबर इलाहाबादी की ये पंक्तियां खुद ब खुद पत्रकारिता के महत्ता को बयां करता है । पत्रकारिता एक ऐसा शब्द जो आमजन की आवाज का प्रतीक है । जब व्यक्ति सिस्टम से परेशान हो जाए , कोई उसकी आवाज सुनने वाला नहीं हो ,उसकी आवाज को दबाया जा रहा हो , तब आखिर में उसकी उम्मीद एक पत्रकार की कलम होती है और उस पत्रकार की कलम के द्वारा समाज में न्याय की स्थापना ,अधिकारों की रक्षा , आमजन की आवाज बन कर, उसकी स्वतंत्रता के रूप में चलती है । आमजन की आवाज का प्रतीक के रूप में पत्रकारों और क़लमगारो की जिम्मेदारी तब और अधिक बढ़ जाती है जब जनता की सुनने वाला कोई नही हो ।
मध्यकाल मे समाज के समाज सुधारकों , कलम के सिपाहियों के द्वारा भी आम जनता की आवाज बन कर समाज में न्याय की स्थापना और जनता को जागरूक कर जनता की आवाज बनने का प्रयास किया राजा राम मोहन राय का नाम किसी से छुपा नही है ।
हिंदी पत्रकारिता दिवस
30 मई का दिन हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक दिन है । इस दिन प्रतिवर्ष हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
30 मई को ही क्यों मनाया जाता है हिंदी पत्रकारिता दिवस ?
हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में 30 मई का दिन तक ऐतिहासिक यादगार दिन है आज ही के दिन यानी 30 मई 1826 को कलकत्ता में भारत का पहला हिंदी अखबार प्रकाशित हुआ था ।इसी कारण इस दिन को ही हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी भाषा का यह पहला समाचार पत्र पत्रकारिता के क्षेत्र में एक जीवंत पर्याय और एक जीवंत प्रयास था । इसी कारण 30 मई को ही प्रति वर्ष हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाते चले आ रहे हैं ।
देश का पहला हिंदी भाषा का अखबार
पत्रकारिता का आगाज अंग्रेजी शासनकाल में 1780 में ही हो गया रहा बांग्ला, फ़ारसी, अंग्रेजी आदि भाषाओं में समाचार पत्र पहले भी प्रकाशित होते रहे हैं लेकिन हिंदी भाषा में पहली बार 30 मई 1826 को पं0 युगुल किशोर शुक्ल जो कि एक सच्चे समाज सुधारक व वकील रहे उन्होंने भारत का प्रथम हिन्दी समाचार पत्र ‘उदंत मार्तण्ड’ का प्रकाशन कलकत्ता से आरम्भ किया था । हालांकि अंग्रेजो के असहयोग ओर आर्थिक संकट की वजह से यह समाचार पत्र लगभग एक वर्ष क्व बाद में ही बंद करना पड़ा ।
पत्रकार सुरक्षा कानून आज की आवश्यकता
पत्रकार और पत्रकारिता सरकार का चौथा स्तंभ और लोकतंत्र का सच्चा प्रहरी माना जाता है लेकिन जनता की आवाज पत्रकारों पर आए दिन हो रहे हमले, मारपीट, उन पर झूठे मुकदमे , राजनीतिक दबाव, यहां तक की उनकी हत्या किए जाने के मामले भी पूरे देश में सामने आते रहे हैं । ऐसी स्थिति में पत्रकार सुरक्षा कानून आज के समय की महती आवश्यकता है हालांकि छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल ,हरियाणा ,महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने इस विषय पर काफी अच्छी पहल की है। देश उन राज्यों को भी जिन्होंने अब तक इस विषय पर कोई पहल नही किन्ही को भी पत्रकार सुरक्षा कानून लाकर पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता है।
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